भले ही हर बात पर हैं रोती, लड़कों से 10 गुना ज्यादा लड़कियां हिम्मती होती

Update: 2017-10-12 10:53 GMT

लखनऊ: जरा-जरा सी बात पर रो देने का मतलब नहीं होता है कि वो कमजोर होती है। हां बड़ी-बड़ी भारी चीजें भले हीं वो ना उठा पाएं, पर वो हर उस मुकाम को हासिल कर सकती हैं, जिसके बारे में वे एक बार ठान लेती हैं। वो अगर किसी के सामने अपने कदम पीछे ले जा रही हैं। तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे डर गईं। हो सकता है कि वे उस सामने वाले शख्‍स के सम्‍मान में ऐसा कर रही हों। पर असल बात तो यह है कि उनका दिल बच्‍चों के दिलों की तरह मासूम होता है।

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अक्‍सर आपने देखा होगा कि लोग लड़कियों को रोनी और कमजोर दिल वाली कहते हैं। लोग कहते हैं कि वे कोई भी दर्द बर्दाश्‍त नहीं कर पाती हैं, फिर वह चाहे दिल टूटने का हो या मम्‍मी पापा की डांट का। एग्‍जाम में कम मार्क्‍स आने का हो या फ्रेंड से झगड़ा होने का हो। पर अगर हम आपसे कहें कि कमजोर समझी जाने वाली लड़कियां लड़कों से हर तरह के दर्द का 10 गुना ज्‍यादा झेल सकती हैं। जब एक लड़की किसी बच्‍चे को जन्‍म देती है, तो उसे जो दर्द होता है, उतना दर्द कभी भी एक लड़का नहीं झेल सकता है।

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बताते हैं आपको वो बातें जो एक लड़की को लड़के से ज्‍यादा मजबूत साबित करती हैं –

*अक्‍सर जब लड़कों को बाइक या किसी और तरह से चोट लग जाती है और खून निकलने लगता है, तो वे काफी परेशान हो जाते हैं। पर एक लड़की जो हर 3 हफ्ते के बाद पीरियड्स के दर्द को झेलती है, उसके आगे लड़कों का दर्द कुछ नहीं होता है।

*कुछ लड़कों का मानना होता है कि लड़कियां बात-बात पर रोने लगती हैं। उनको समझाना भी मुश्किल होता है। पर सच तो यह है कि लड़कियां किसी बात को अपने दिल में नहीं रखना चाहती हैं। वे उस बात को भुलाने के लिए रोती हैं और फिर अपने काम को ध्‍यान लगाकर कर पाती हैं।

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*बहुत ही कम सुना होगा कि लड़कियां एक्सिडेंट में अपनी जान गंवाती हैं। लड़कों का एक्सिडेंट होने पर वो हिम्‍मत जल्‍दी हार जाते हैं। वे अपने होश तक खो देते हैं जबकि लड़कियां हिम्‍मत से काम लेते हुए जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्‍बा रखती हैं।

*एक उम्र के बाद लड़कियां समझदार हो जाती हैं। वे परिवार और अपनी जिम्‍मेदारी को बखूबी निभाना जानती हैं। पर उसी उम्र में लड़की मौज-मस्‍ती में पड़े रहते हैं।

*एक लड़के की शर्ट पर अगर गलती से कोई दाग लग जाए, तो वो दूसरों पर चिल्‍लाने लगता है। जबकि एक लड़की शादी के बाद पूरी तरह से बदल जाती है। मां बनने के बाद भी वह खुद से ज्‍यादा बच्‍चों के शरीर पर ध्‍यान देती है।

*साइंस भी प्रूव कर चुकी है कि लड़कियां छोटी-मोटी बीमारियों का सामना आसानी से कर लेती हैं जबकि लड़कों को तुरंत डॉक्‍टर के पास जाना पडता है।

*लड़कों में सहनशीलता कम होती है। उन्‍हें नए लोगों के साथ एडजस्‍ट होना पड़े, तो वे बड़ी आनाकानी करते हैं। जबकि लड़कियां शादी के बाद लड़के के घर आकर रहती हैं। उनके मम्‍मी-पापा को अपनाती हैं। अब आप ही बताइए कि किसके अंदर इतनी हिम्‍मत होगी, जो अपने घर परिवार को छोड़कर दूसरे के घर रह पाएगा।

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