Holi 2022: इन दो पकवानों के बिना अधूरी है आपकी होली

Holi 2022 : होली के त्यौहार में रंगों के साथ पकवानों का भी बड़ा महत्व है। गुझिया के अलावा होली त्यौहार (Holi festival) पर पारंपरिक तौर से पुआ, धुस्का बनाना और खाना बहुत जरूरी माना जाता है।

Written By :  Preeti Mishra
Published By :  Bishwajeet Kumar
Update: 2022-03-07 10:58 GMT

होली 2022 (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया)

Holi Festival : फागुन आते ही पता नहीं क्यों मन एक नए उत्साह और चुहड़बाजियो से भर उठता है। जी हां, ये सभी के साथ होता है। त्योहारों का मौसम होता ही कुछ ऐसा है। और होली तो कुछ और ज्यादा ही खास है। सभी त्यौहारों में होली ही एक ऐसा त्योहार है जिसमें सभी उम्र के लोगों के अंदर का बचपन जाग उठता है।

रंग-बिरंगे रंगों में रंगे सभी लोग एक सामान मालूम होते हैं। काले और गोरे के भेदभाव को खत्म करने वाला यह त्यौहार सभी लोगों को समानता में लेकर खड़ा कर देता है। होली का नाम सुनते ही पेट में गुदगुदी सी होने लगती है। रंगों के साथ घर में बनने वाले तरह-तरह के पकवानों की याद इतनी तीव्र हो जाती है कि अनायास ही जीभ में पानी आ जाता है।

होली के दिन सभी के घरों में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। कुछ पकवान तो पहले ही बना के रख लिए जाते हैं, जैसे-गुझिया, खस्ता, नमकीन, शकर पारा इत्यादि। लेकिन कुछ पकवान ऐसे है जिनका होली के दिन बनना परंपरा के लिहाज़ से भी बहुत जरुरी है। जैसे- पुआ और धुस्का।

क्यों बनता है पुआ

होली हो और घरों में पुआ न बने ऐसा हो नहीं सकता है। इस दिन घरों में पुआ बनाना सिर्फ स्वाद के ही नहीं बल्कि परंपरा के लिहाज़ से भी बेहद लाज़मी है। इतना ही नहीं रंगों की होली से ठीक एक दिन पहले जलाई जाने वाली होलिका दहन की पूजा में गुलाल के साथ पुआ चढ़ाना भी हिन्दू रीति-रिवाज़ के हिसाब से जरुरी है। आटे में दूध ,चीनी और मेवे डालकर बनायीं जाने वाली इस डिश का स्वाद लाजवाब होता है। पुओं के भी कई प्रकार हैं। हर कोई अपने स्वाद और सहूलियत के हिसाब से इसे अपने अंदाज़ में बनाता है। जैसे -मालपुआ, रसपुआ, रबड़ीपुआ इत्यादि।

कैसे बनता है पुआ

सामान्यतः गेहूं के आटे या मैदा में थोड़ी सी सूजी की मात्रा मिलाकर उसमें स्वादानुसार चीनी या गुड़ मिलाकर से दूध से घोला जाता है। ध्यान रखने की बात है कि घोल बहुत पतला नहीं होना चाहिए। इस मिश्रण को 2 घंटे के लिए छोड़ दें ताकि एक अच्छा बैटर तैयार हो जाये। फिर उसमें बारीक़ कटे हुए मेवे को डालकर मिला लें। फिर एक कम गहरे तल वाली कड़ाही में घी या रिफाइन तेल डाल कर गरम करें। याद रखें तेल बहुत ज्यादा गरम ना हो फिर धीमी आंच में एक गोल बड़े चम्मच या छोटी कटोरी की मदद से थोड़ा -थोड़ा घोल (batter ) को डाल कर सभी पुओं को तल लें। टिश्यू पेपर की मदद से सरे एक्स्ट्रा तेल निकाल लें। और फिर मज़ा लें इन स्वादिष्ट पुओं का।

क्यों बनता है धुस्का

इसके अलावा धुस्का भी झारखण्ड का होली में बनने वाला एक पारम्परिक पकवान है। परंपरा के लिहाज़ से होली में घरों में धुस्का का बनना बेहद जरुरी होता है। यह खाने में नमकीन होता है। चावल, दाल और हरी सब्जियों का कॉम्बिनेशन इसके स्वाद को और भी उम्दा करता है। इसे नमकीन पुआ भी कहा जाता है। स्वाद और सेहत से भरपूर इस पकवान को कटहल की सब्जी या मटन के साथ बहुत पसंद किया जाता है।

कैसे बनता है धुस्का

चावल उससे आधी मात्रा में चने की दाल, चने के दाल की आधी मात्रा से भी कम धुली उड़द की दाल लेकर सभी सामग्री को आपस में मिलाकर रात भर के लिए भिगो दें। सुबह पानी से निकालकर मिक्सर में हल्का दरदरा पीस लें। फिर उसमें पीसे हुए लहसुन, अदरक और मिर्ची का पेस्ट स्वादानुसार डाल दें। प्याज , पत्ता गोभी, मटर, बीन्स इत्यादि हरी सब्जियों को बारीक़ काटकर घोल में मिला दें। स्वादानुसार नमक मिला लें। फिर सभी सामग्रियों के साथ घोल को अच्छे से फेंट लें। अब कम घहरे तल वाली कड़ाही में तेल डाल कर गर्म कर लें। ध्यान रखें तेल बहुत गरम ना हो। फिर एक बड़े चम्मच और छोटी कटोरी की मदद से घोल को तेल डालें और सभी धुस्का को तल लें। एक्स्ट्रा तेल निकालने के लिए टिश्यू पेपर का उसे करें। धुस्का का मज़ा आप अपनी मनपसंद सब्जी या नॉनवेज के साथ लें।

तो आप भी होली में इन दो पारम्परिक पकवानों को बना कर अपनों के साथ त्योहार का भरपूर मज़ा लें।

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