International Men's Day 2023: कब हुई अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की शुरुआत, इस वर्ष क्या है थीम

International Men's Day 2023: समाज में ज्यादातर देखा गया है कि तनाव में पुरुष गलत कदम उठा लेते हैं , इन्ही कुछ विषयों पर पुरुष में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल एक विषय रख कर अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है।

Newstrack :  Network
Update: 2023-11-19 02:50 GMT

International Men’s Day 2023  (फोटो: सोशल मीडिया )

International Men's Day 2023: पुरुष कोई साधारण शब्द नहीं, जितनी जिम्मेदारी एक पुरुष निभाता है शायद व्यक्त नहीं कर पाता। हालांकि एक महिला की जिम्मेदारियां हर जगह अगर कोई चर्चा हो तो सबके सामने लाने की कोशिश जरूर की जाती है। इस दुनिया में पुरुष और स्त्री एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं, लेकिन आधुनिकता के इस युग में महिला अपने को उसके आगे आने की होड़ में कभी कभी हंसता खेलता परिवार बरबाद कर देती है।

समाज में ज्यादातर देखा गया है कि तनाव में पुरुष गलत कदम उठा लेते हैं , इन्ही कुछ विषयों पर पुरुष में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल एक विषय रख कर अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है। दरअसल इस दिवस की शुरुआत सन् 1999 में त्रिनिदाद एंड तोबागो में की गई थी। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की स्थापना त्रिनिदाद तोबागो में वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय के इतिहास के लेक्चरर डॉ. जीरोम तिलक सिंह ने वर्ष 1999 में की थी। इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की थीम "शून्य पुरुष आत्महत्या" (Zero Male Suicide) रखा गया है। इस थीम का उद्देश्य पुरुषों की आत्महत्या को रोकना है।

पुरूषों के महत्व और उनकी सकारात्मक छवि

हर साल 19 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसका उद्देश्य समाज में पुरूषों के महत्व और उनकी सकारात्मक छवि दुनिया के सामने रखना है।

अक्सर दुनिया मे पुरुषों की छवि को एक अलग रूप में पेश किया गया है, ज्यादातर पुरुषों को यह समझा जाता है कि इन्हे दर्द या दुख नही होता । पुरुष क्रोधित , हिंसक और बेरहम इंसान होते हैं। दरअसल फिल्मों और कहानियों में ज्यादातर पुरुषो के इसी रूप में दर्शाया गया है। लेकिन पुरुषों का भी दिल नरम होता है, समय आने पर वो भी अपने दुख व्यक्त करते हैं।


इस दिवस को मनाकर लोगों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की जाती है। इसलिए कई संस्थाएं सार्वजनिक सेमिनार कार्यक्रम, पैनल चर्चा , कला प्रदर्शनी आदि का आयोजन करते हैं। इस काम में सोशल मीडिया का अहम योगदान रहता है।


हालांकि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस वर्ष 1960 से ही मनाना शुरू किया गया। भारत मे पुरुष दिवस की शुरुआत 2007 में हैदराबाद की एक लेखिका और “सेव द इंडियन फ़ैमिली फ़ाउंडेशन” जैसे गैर-लाभकारी सहित कई अन्य संगठनों की संस्थापक उमा चल्ला द्वारा किया गया। उनके अनुसार पुरुषों के लिए भी सेलिब्रेशन का एक दिन तो होना चाहिए और फिर धीरे धीरे सोशल मीडिया के कारण इस दिवस कl प्रचार प्रसार होने लगा।

दिवस कोई भी हो अगर महिला और पुरुष का स्वास्थ्य ठीक नही है तो समाज स्वस्थ नहीं हो सकता। साथ ही समाज में दोनों को मिलकर एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने का प्रयत्न करना चाहिए।


जिस तरह महिला दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वैसे ही पुरुष दिवस को भी एक उत्सव जैसा मनाने का प्रयत्न करना चाहिए। पुरुष और महिला दोनों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है।

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