Magh Mass 2023: माघमास का हर दिन पर्व सरीखा

Magh Mass 2023: मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण यह महीना माघ का महीना कहलाता है। वैसे तो इस मास का हर दिन पर्व के समान माना जाता है। लेकिन कुछ खास दिनों का खास महत्व भी इस महीने में हैं।

Update: 2023-03-14 16:44 GMT

Magh Mass 2023: माघ एक ऐसा माह है जो भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास व दसवां सौरमास कहलाता है। दरअसल मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण यह महीना माघ का महीना कहलाता है। वैसे तो इस मास का हर दिन पर्व के समान माना जाता है। लेकिन कुछ खास दिनों का खास महत्व भी इस महीने में हैं।

महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार

माघं तु नियतो मासमेकभक्तेन य: क्षिपेत्।
श्रीमत्कुले ज्ञातिमध्ये स महत्त्वं प्रपद्यते।।

अर्थात जो माघ मास में नियमपूर्वक एक समय भोजन करता है, वह धनवान कुल में जन्म लेकर अपने कुटुम्बजनों में महत्व को प्राप्त होता है।

पद्मपुराण, उत्तरपर्व में कहा गया है

ग्रहाणां च यथा सूर्यो नक्षत्राणां यथा शशी।
मासानां च तथा माघः श्रेष्ठः सर्वेषु कर्मसु।।

अर्थात जैसे ग्रहों में सूर्य और नक्षत्रों में चन्द्रमा श्रेष्ठ है, उसी प्रकार महीनों में माघ मास श्रेष्ठ है।

माघ में मूली का त्याग करना चाहिए। देवता और पितर को भी मूली अर्पण न करें।

माघ में तिलों का दान जरूर जरूर करना चाहिए। विशेषतः तिलों से भरकर ताम्बे का पात्र दान देना चाहिए।

महाभारत अनुशासन पर्व के 66वें अध्याय के अनुसार

माघ मासे तिलान् यस्तु ब्राह्मणेभ्यः प्रयच्छति। सर्वसत्वसमकीर्णं नरकं स न पश्यति॥

जो माघ मास में ब्राह्मणों को तिल दान करता है, वह समस्त जन्तुओं से भरे हुए नरक का दर्शन नहीं करता।

श्री हरि नारायण को माघ मास अत्यंत प्रिय है। वस्तुत: यह मास प्रातः स्नान (माघ स्नान), कल्पवास, पूजा-जप-तप, अनुष्ठान, भगवद्भक्ति, साधु-संतों की कृपा प्राप्त करने का उत्तम मास है। माघ मास की विशिष्टता का वर्णन करते हुए महामुनि वशिष्ठ ने कहा है, ‘जिस प्रकार चंद्रमा को देखकर कमलिनी तथा सूर्य को देखकर कमल प्रस्फुटित और पल्लवित होता है, उसी प्रकार माघ मास में साधु-संतों, महर्षियों के सानिध्य से मानव बुद्धि पुष्पित, पल्लवित और प्रफुल्लित होती है। यानी प्राणी को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। ‘

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