Premanand Ji Maharaj :प्रेमानंद जी महाराज ने क्यों क्रोध को बताया सभी गलतियों का अड्डा,जानिए कितना है विनाशकारी
Premanand Ji Maharaj Motivational Quotes in Hindi: प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचारों पर चलकर मनुष्य जीवन की कठिन परिस्थियों को भी बेहद आसानी से पार कर सकता है।
Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचारों पर चलकर मनुष्य जीवन की कठिन परिस्थियों को भी बेहद आसानी से पार कर सकता है। महाराज जी की लगभग 17 साल से दोनों किडनियां ख़राब हैं लेकिन उन्होंने अपनी कड़ी दिनचर्या को अपनाते हुए और भक्तिरस में डूबकर हर एक परिस्थिति का सामना किया है। उन्हें डॉक्टरों द्वारा सलाह भी दी गयी कि वो इसे ट्रांसप्लांट करवा लें लेकिन महाराज जी ने मना कर दिया। उनका मानना है कि उनकी एक किडनी राधा हैं तो दूसरी कृष्ण और ऐसे में वो खुद से राधा-कृष्ण को अलग नहीं कर सकते। उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में ग्रह त्याग दिया था और वो गंगा के तट के किनारे आकर रहने लगे थे। इसी वजह से वो गंगा माँ को अपनी दूसरी माँ मानते हैं। उनके विचारों से आप भी काफी प्रेरणा ले सकते हैं और अपने जीवन में आई किसी भी तरह की विषम परिस्थितियों का डटकर मुकाबला कर सकते हैं।
प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचार
1. कोई व्यक्ति तुम्हें दुख नहीं देता तुम्हारे कर्म
उस व्यक्ति के द्वारा दुख के रूप में प्राप्त होते हैं।
2. क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है बजाय यह सोचने के कि
उसका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है? हम यह सोचे कि हमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है।
3. क्रोध से आज तक कभी किसी का मंगल नहीं हुआ है
यह आपके समस्त गुणों का नाश कर देता है
इसलिए क्रोध की संगति से दूर रहें।
4. बहुत होश में यह मत सोचो कोई देख नहीं रहा
आज तुम बुरा कर रहे हो
तो तुम्हारे पुण्य खर्चा हो रहे हैं
जिस दिन तुम्हारे पुण्य खर्चे हुए
अभी का पाप और पीछे का पाप मिलेगा
त्रिभुवन में कोई तुम्हें बचाए नहीं सकेगा।
5.सत्य की राह में चलने वाले की निंदा बुराई अवश्य होती है, इससे घबराना नहीं चाहिए
यह आपके बुरे कर्मों का नाश करती है, जहां आपके लिए निंदा और बुराई हो
वहां आपके बुरे कर्मों का नाश हो जाता है।
6. स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो
यह जीवन जैसा भी है उनका दिया हुआ है
तुम्हारे पास जितने भी साधन संसाधन है
वह उनकी कृपा का प्रभाव है
7. तुम जिसका भोग कर रहे हो वह सब ईश्वर का है
ऐसे विचार के साथ कर्म करो,
जीवन यापन करो जीवन सुखमय होगा।
8. जब व्यक्ति का ध्यान प्रभु भागवत में लग जाता है
तब वह मोह से मुक्त होकर कार्य करता है,
गोविंद की कृपा से मोह का नाश होता है
और आनंदमय जीवन की प्राप्ति होती है।
9. देह भाव ही मोह है,जो अपने शरीर की सुंदरता को देखता है
वह ईश्वर की सुंदरता से विमुख हो जाता है।
10. आपका चंचल मन बिना बात के भी
बात की रचना कर सकता है
आपके मन के भीतर विषाद भर सकता है
इसलिए अपने चंचल मन को नियंत्रित करो
अपने गुरु के सानिध्य में रहकर
अपने मन को वश करने की उक्ति को जानो।