गर्भस्थ भ्रूण पर बड़ा खुलासा: वैज्ञानिकों ने किया ऐसा दावा...

हालांकि वैज्ञानिकों का एक वर्ग यह भी दावा करता रहा है कि 24 सप्ताह से पहले भ्रूण दर्द महसूस नहीं करता। क्योंकि इससे पहले मस्तिष्क में कांटेक्स्ट और उसके बाहरी हिस्से का निर्माण ही नहीं होता। जिनके चलते महसूस करने वाली तंत्रिकाएं नहीं बनी होतीं।

Update: 2020-02-28 06:34 GMT

योगेश मिश्र

लखनऊ: एक तरफ गर्भपात के समय को लेकर बहस चल रही है तो दूसरी तरफ वैज्ञानिकों ने यह खोज निकाला है कि कोई भी भ्रूण तेरह हफ्ते के भीतर प्रतिक्रियाएं देने लगता है। दर्द और पीड़ा महसूस करने लगता है। यही नहीं मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र की संरचना 18 सप्ताह के भीतर ही आकार ले लेती है।

ब्रिटिश प्रो. स्टुअर्ट डर्बीशायर और अमेरिकी वैज्ञानिक मेडिक जॉन बॉक्मैन ने अपने शोध में यह रहस्योद्घाटन किया है। यह शोध हाल ही में जर्नल ऑफ मेडिकल एथिक्स में प्रकाशित हुआ। इन दोनों वज्ञानिकों का दावा है कि अभी 24 हफ्ते तक के भ्रूण के गर्भपात कराने का नियम है। लेकिन इस शोध के प्रकाशित होने के बाद यह प्रमाणित हो गय कि 24 हफ्ते के भ्रूण के गर्भपात की प्रक्रिया में उसे दर्द और पीड़ा का एहसास होता है।

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हालांकि वैज्ञानिकों का एक वर्ग यह भी दावा करता रहा है कि 24 सप्ताह से पहले भ्रूण दर्द महसूस नहीं करता। क्योंकि इससे पहले मस्तिष्क में कांटेक्स्ट और उसके बाहरी हिस्से का निर्माण ही नहीं होता। जिनके चलते महसूस करने वाली तंत्रिकाएं नहीं बनी होतीं।

इस शोध के बाद गर्भपात के नियमों को लेकर बहस का छिड़ना लाजिमी हो गया है। भारत में 20 सप्ताह के भीतर ही गर्भपात हो सकता है। इससे अधिक समय होने पर अदालत का निर्देश जरूरी है। 13 फीसदी मातृत्व मृत्यु दर में गर्भपात एक कारण है। 56 फीसदी गर्भपत असुरक्षित हैं। ब्रिटेन में 18 सप्ताह से पहले औसतन छह हजार गर्भपात होते हैं।

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