Meerut News: कभी बेचते थे नींबू, राजनीति से पहुंचे बुलंदियों तक, आज हैं सलाखों के पीछे
Meerut News: नगर निगम की राजनीति के तो याकूब धाकड़ खिलाड़ी रहे हैं। यही वजह रही कि नगर निगम चुनाव के दौरान उनकी अलग ही पूछ रहती थी।
Meerut News: पूर्व मंत्री एवं बसपा नेता हाजी याकूब कुरैशी आज भले ही जेल की सलाखों के पीछे हैं। लेकिन एक दौर था जब राजनीति में उनकी तूती बोलती थी। खासकर नगर निगम की राजनीति के तो याकूब धाकड़ खिलाड़ी रहे हैं। यही वजह रही कि नगर निगम चुनाव के दौरान उनकी अलग ही पूछ रहती थी। सच्चाई यही है कि निगम की सियासत ने ही उन्हें बुलंदी तक पहुंचाया। बता दें कि याकूब कुरैशी 1995 से 2000 के बीच बोर्ड में वार्ड-24 से पार्षद बने थे। पार्षद बनने से पहले हाजी याकूब नींबू बेचा करते थे।
तेजी से चढ़ीं राजनीति में सफलता की सीढ़ियां
पार्षद बनने के बाद तो हाजी याकूब कुरैशी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। देखते ही देखते वे डिप्टी मेयर बन गये। 2000 में वार्ड 24- महिला वार्ड हुआ तो याकूब ने अपनी पत्नी संजीदा को मैदान में उतार दिया। याकूब की बदौलत संजीदा भी पार्षद बन गईं। याकूब का असर देख बसपा ने उन्हें 2002 में खरखौदा से टिकट दिया। चुनाव में याकूब की जीत हुई। फिर क्या था। याकूब की बसपा में तूती बोलने लगी। हालांकि 2006 में कार्टूनिस्ट मामले में विवादित बयान के कारण बसपा से याकूब को निष्कासित कर दिया गया।
खुद पार्टी बनाकर जीता चुनाव, माया सरकार में रहे मंत्री
याकूब के असर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2007 में बसपा ने जब उन्हें विधानसभा टिकट नहीं दिया तो उन्होंने यूडीएफ पार्टी बनाकर उसके टिकट पर मेरठ शहर से चुनाव लड़ा और जीता भी। जिसके बाद अपनी पार्टी का बसपा में विलय कर वह मायावती सरकार में मंत्री बन गये। 2014 व 2019 में लोकसभा चुनाव मुरादाबाद-मेरठ से लड़े लेकिन हार गये। याकूब के ख़राब दिनों की शुरुआत प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद शुरु हुई। वर्ष 2022 में पुलिस ने याकूब की मीट फैक्ट्री में छापेमारी की थी। जहां पर अवैध तरीके से मीट की पैंकिग हो रही थी। याकूब फिलहाल जेल में हैं। पिछले दिनों शासन की तरफ से याकूब का गैंग पंजीकृत किया गया है, जिसमें उनकी पत्नी और दोनों बेटों के नाम भी हैं।