लखनऊ: मां का दूध नवजात शिशु के लिए अमृत के समान है। अगस्त के फर्स्ट वीक में विश्व के 170-80 से अधिक देशों में विश्व स्तनपान दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मां के दूध के महत्व को बताना और बच्चों में बढ़ रही कुपोषण की समस्या से बचाना है। इस सप्ताह की शुरुआत 1992 से हुआ है।
इस सप्ताह को मनाने के पीछे वजह सिर्फ स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्यु दर कम करना है। वैसे भी डॉक्टर भी सलाह देते है कि जन्म से 6 माह तक शिशु को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए।
क्यों जरूरी है मां का दूध
स्तनपान शिशु के लिए आवरण कवच की तरह है। मां के दूध से शिशु को रोगों से लड़ने की क्षमता मिलती है। मां के दूध में लेक्टोफोर्मिन होता है, जो बच्चे में रोगाणु नहीं पनपने देते है। ये दूध बच्चे को स्वस्थ रखता है।
विश्व स्तनपान सप्ताह में मां के दूध की इन्हीं विशेषताओं को बताया जाता है। मां के दूध में ऐसे जरूरी पोषक तत्व, एंटी आक्सीडेंट, हार्मोन प्रतिरोधक मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के विकास में मददगार होते हैं।
स्तनपान में लापरवाही
सीजेरियन बच्चो के बढ़ते चलन ने शिशु को मां के दूध से वंचित कर दिया है। देश के 62 प्रतिशत नवजातों को ही मां का पहला दूध मिल पाता है । लगभग 38 प्रतिशत बच्चे मां के दूध से दूर रह जाते है। शिशु को ऊपर के दूध से पलना पड़ता है। इतना ही नहीं वर्किंग वुमेन के ट्रेंड ने स्तनपान पर ब्रेक लगा दिया है। इसका खामियाजा नवजात शिशु को भुगतना पड़ता है। कहा जाता है कि स्तनपान करने वाले बच्चे ज्यादा दीर्घायू और हेल्दी होते हैं बिना स्तनपान करने बच्चो की अपेक्षा।
जन्म के बाद तुरंत दें मां का दूध
बच्चे के जन्म से 6 माह तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध देना चाहिए। इसके अलावा कोई भी खाद्य ऊपर का नहीं देना चाहिए। प्रसव के आधे घंटे के अंदर-अंदर और ऑपरेशन से प्रसव कराए बच्चों को 4- 6 घंटे के अंदर मां का दूध देना चाहिए।
कोलोस्ट्रम यानी वो गाढ़ा, पीला दूध जो शिशु जन्म से लेकर कुछ दिनों 4 से 5 दिन तक निकलता है उसमें विटामिन, एन्टीबॉयटिक, अन्य पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते हैं। उसे शिशु को जरुर देना चाहिए। ये दूध बच्चों के लिए अमृत या ताउम्र दवा का काम करता है।
स्तनपान जीवनदान, कराकर करें मातृत्व को योगदान
स्तनपान के बहुत फायदे हैं। नवजात शिशु के लिए मां के दूध से बेहतर विकल्प और कोई भी नहीं होता है। इससे बहुत फायदा होता है। मां का दूध पाचन क्षमता को बढ़ाता है। शिशु को पेट की गड़बड़ी से बचाता है। स्तनपान शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है।
आज की बदलती लाइफस्टाइल में अधिकतर मांएं बच्चों को स्तनपान कराने से परहेज करने लगी है और शिशु को बॉटल का दूध देने से भी नहीं हिचकती है। लेकिन डॉक्टर भी मानते है कि बच्चे को ऊपर की दूध की जगह मां का दूध देने से वो स्वस्थ रहते है उन्हो कोई बीमारी नहीं होती है।
मां का दूध ना कि मानव निर्मित दूध
कहते है कि मां के दूध जैसा कोई भी दूध नहीं होसकता है जो शिशू के लिए बेहतर विकल्प हो। लेकिन सही मायने में ये अनुकरण हो ही नहीं सकता है। क्योंकि मां के दूध से बच्चे को बैलेंस डायट मिलती है। और स्तनपान कराने से मां को भी किसी तरह की बीमारी गठियां, कैंसर नहीं होता है। इसलिए विश्व की मांओं को ये संदेश है कि वे अपने बच्चे को खुद का दूध दें और विश्व स्तनपान सप्ताह के उद्देश्य को सार्थक बनाएं।