यूपी की सियासत में निषाद समुदाय करेगा महागठबंधन का एलान

Update: 2016-04-15 12:59 GMT

Rishi Malviya

इलाहाबाद: 2017 के विधानसभा के चुनावी दंगल से पहले न जाने कितने नेता अपना दल छोड़कर दूसरे दलों में सेंध लगाएंगे। अपना नफा-नुकसान देखकर कई छोटी-बड़ी पार्टियां मिलकर नया गठबंधन तैयार करेंगी और कुछ तो महागठबंधन बनाने को लेकर अभी से चुनावी वादे कर रहे है। लेकिन उसके पहले ही एक बड़ा गठबंधन सूबे की सियासत में दस्तक देने जा रहा है और अगर कहीं ये महागठबंधन अस्तित्व में आ गया तो बड़ी-बड़ी पार्टियों का चुनावी समीकरण गड़बड़ा जाएगा।

दरअसल यूपी के 2017 की चुनावी लड़ाई के पहले ही पूरे प्रदेश भर की ओबीसी जातियों ने मिलकर एक महागठबंधन बनाने की तैयारी कर ली है और इस बात का एलान इलाहाबाद के श्रंगवेरपुर में आयोजित पूरे देश भर के राज्यों से आए ओबीसी के प्रतिनिधियों ने किया है।

निषादराज की जन्म भूमि इलाहबाद के श्रंगवेरपुर में निषादराज की जयंती के मौके पर हजारो की तादाद में एकत्र हुए निषाद समुदाय से जुड़ी प्रदेश की सभी उपजातियो ने इसके लिए हुंकार भरते हुए अब अपने लिए एक नया सियासी मंच बनाने का फैसला किया है।

राष्ट्रीय निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद का कहना है कि बीजेपी राम का नाम लेकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो गई। वहीँ राम के अनन्य भक्त निषाद राज से जुडी जातियां आज भी अपने बुनियादी हक की लड़ाई लड़ रहे है और दर-दर की ठोकरें खाकर दूसरे दलों का मुंह ताकने को मजबूर हैं। लेकिन अब वक्त बदल चुका है और इन जातियों के अंदर की राजनैतिक चेतना अब उन्हें सियासी दलों का पिछलग्गू नहीं बनने देंगी।

यूपी में इस समय 76 जातियां ओबीसी की श्रेणी में आती हैं। जिनमें इस महागठबंधन में शामिल होने की सहमति बनाने में जुटी इन जातियों की 66 उपजातियो की हिस्सेदारी 24.47 फीसदी तक पहुंच जाने के आंकड़े बताते है कि अब ये जातियां यूपी के आने वाले चुनाव में सत्ता की भागेदारी में सौदेबाजी की मजबूत स्थिति में आ गई हैं।

श्रंगवेरपुर में आयोजित हुआ निषाद और उनसे जुडी उपजातियों का यह सम्मलेन उसी नई सियासी चेतना की दस्तक है जिसे अब यूपी की सियासत में दरकिनार नहीं किया जा सकता है।

इन उप जातियों में निषाद जाति यूपी के बाहर भी देश के 11 राज्यों में अच्छी आबादी में है। जिसके चलते इन महागठबंधन की अगुवाई का जिम्मा निषादों के सबसे बड़े संघ राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद् को दिया गया है।

राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के मुताबिक आने वाली 5 मई को लखनऊ से इस पार्टी के गठन की औपचारिक घोषणा भी हो जाएगी। राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद् के राष्ट्रीय महासचिव आर के गौतम के मुताबिक मौर्या, राजभर, निषाद और मुस्लिम तबको से जुड़ी कई ओबीसी जातियों ने इसके लिए उन्हें स्वीकृति भी दे दी है। जिसका पूरा स्वरूप आने वाली 5 मई को लखनऊ में साफ हो जाएगा।

गौरतलब है कि आजादी के पहले अंग्रेजो ने जुझारु प्रवत्ति की इन जातियों को विद्वेष के चलते आपराधिक जनजातियो की श्रेणी में डालकर इनके अपने ठिकानो से दूसरे ठिकानो तक बिना प्रशासन की अनुमति के जाने पर रोक लगा दी थी।

आजादी के बाद 31 अप्रैल 1952 को सरदार पटेल ने इन जातियों के ऊपर जन्मजात अपराधी होने की पाबंदी हटवाई। साल 1961 में इन जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में डाला गया, लेकिन मंडल की राजनीति शुरू होने के बाद से इनका दर्जा छीन लिया गया और दोबारा ये जातियां ओबीसी में भेज दी गई। भारत सरकार ने तो इन जातियों को यूपी में अनुसूचित श्रेणी शामिल करने का अध्यादेश भी जारी कर दिया था, लेकिन आज तक उत्तर प्रदेश की सरकार ने उसपर अमल नहीं किया।

सियासी दलों की इसी वादाखिलाफी के बाद इन ओबीसी जातियों ने अपनी स्वतंत्र अस्मिता को स्थापित करने के लिए एक ओबीसी महागठबंधन बनाने का फैसला किया है।

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