Baba ka Bulldozer in Gujarat: यूपी के बुलडोजर का जलवा गुजरात में भी

Baba ka Bulldozer in Gujarat: गुजरात में सीएम योगी ने अपनी पहली रैली की उससे दो दिन पहले सूरत की चौर्यासी विधानसभा सभा में बुलडोजर दिखने लगे।

Written By :  Anurag Shukla
Update: 2022-11-30 08:54 GMT

यूपी के बुलडोजर का जलवा गुजरात में भी (photo: social media )

Baba ka Bulldozer in Gujarat: राजनीति में संकेतों का बहुत महत्व होता है। हर संकेत महत्वपूर्ण होता है। यूपी के 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रचार में बहुत सी जगहों पर बाबा, बुलडोजर और बयानों का बोलबाला रहा था। बुलडोजर यानी भाजपा ने योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को मुद्दा बनाया था। इसी बुलडोजर और बुलडोजर बाबा का असर अब गुजरात के विधानसभा चुनाव में भी दिख रहा है।

यूपी में सफल बुलडोजर रणनीति का असर गुजरात में भी लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। इसका अंदाजा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की पहली रैली के समय ही लग गया। इसी महीने की 18 तारीख को ने जब गुजरात में अपनी पहली रैली की उससे दो दिन पहले सूरत की चौर्यासी विधानसभा सभा में बुलडोजर दिखने लगे। बुलडोजर पर भाजपा कार्यकर्ता प्रचार कर रहे थे। इस सीट पर भाजपा के निवर्तमान विधायक और प्रत्याशी संदीप भाई देसाई अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

इसके अलावा जब यूपी के मुख्यमंत्री ने हार्दिक पटेल के लिए अहमदाबाद में रोडशो किया तो भी उसमें बुलडोजर की धूम थी। द्वारका शहर की द्वारका सीट पर जब योगी आदित्यनाथ ने जनसभा की तो लोगों ने उनका स्वागत शेर आया और बुलडोजर बाबा के नारों से किया। इसका संकेत साफ है कि सूरत से लेकर अहमदाबाद और द्वारका तक बुलडोजर को भाजपा ने अपनी रणनीति का हिस्सा बनाया है।

अपराधियों की अवैध संपत्ति पर बुलडोज़र 

इस खास तरीके में अपराधियों की अवैध संपत्ति या फिर उनकी संपत्ति पर सरकार बुलडोजर चलवा देती थी। अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, विकास दुबे से लेकर जिले-जिले में बहुत से अपराधियों के यहां बुलडोजर चले थे। इस कार्यवाही का असर जहा सियासी ढंग से भाजपा को मिला वहीं यूपी के लोगों ने भी इसे सराहा था। यूपी की विधानसभा सीटों में 80-90 प्रतिशत सीटों पर लोगों ने माना था यूपी में अपराध पर नियंत्रण उनके लिए बड़ा मुद्दा है। इस काम ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आत्दियनाथ को बुलडोजर बाबा बना दिया था।

जहां तक उत्तर प्रदेश की बात है तो बुलडोजर का प्रयोग भाजपा के रणनीतिकारों ने राजनीतिक ध्रुवीकरण के लिए भी किया था। कुछ खास वर्गों में बुलडोजर को लेकर भय तो बुलडोजर को चिढ़ थी। राजनीति में एक सिद्धांत होता है जिसके मुताबिक कोई चिढ़ भी किसी का समर्थन बन सकती है। अब गुजरात में भी बुलडोजर को भाजपा ने मुद्दा बनाया है। ये गुजराती मानस के मन में घर पाती है इसका फैसला तो 8 दिसंबर को ही होगा।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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