G20 Summit 2023: आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर भारत का जी- 20 कार्य समूह एक समावेशी, सुरक्षित, सामूहिक भविष्य की दिशा में एक उल्लेाखनीय कदम

G20 Summit 2023:भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के तहत आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर जी-20 कार्य समूह की स्थापना करके आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सुदृढ़ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इ

Written By :  Kamal Kishore
Written By :  Susan Ferguson
Update: 2023-09-09 05:37 GMT

G20 Summit 2023   (photo: social media )

G20 Summit 2023: विश्वी भर में व्या पक स्त र पर जीवन, आजीविका और अवसंरचना पर सुनामी और भूकंप जैसे भू-भौतिकीय जोखिमों और लगातार बढ़ते तीव्र चरम जलवायु और मौसम की आपदाओं का खतरा बना हुआ है। एक दूसरे से जुड़ी दुनिया में, कोई भी देश और कोई अर्थव्यवस्था इससे अछूती नहीं है। इन बढ़ते खतरों को आपदाओं में बदलने से रोकने के लिए त्वेरित समाधान और अभूतपूर्व वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।

भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के तहत आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर जी-20 कार्य समूह की स्थापना करके आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सुदृढ़ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस समूह ने आपदा और जलवायु जोखिमों के लिए वैश्विक अनुकूलता का निर्माण करने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए विश्वा की बीस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को एकजुट किया है।

वर्ष 2023 इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपदा जोखिम न्यूनीकरण 2015-2030 के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क के मध्य बिंदु को चिह्नित करता है। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आपदा जोखिम में कमी के महत्व को मान्यता देने के लिए 187 देशों द्वारा 2015 में फ्रेमवर्क को अपनाया गया था।

आपदा जोखिम में कमी के लिए दस-सूत्री एजेंडे को रेखांकित

वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा जोखिम में कमी के लिए दस-सूत्री एजेंडे को रेखांकित किया। दस सूत्री एजेंडे में आपदा जोखिम प्रबंधन में महिलाओं के नेतृत्व पर जोर दिया जा रहा है। वर्ष 2019 में, भारत के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना को संशोधित किया ताकि कई जेंडर-उत्तरदायी उपायों को शामिल किया जा सके। इनमें आपदा के बाद पुनर्निर्माण कार्यक्रमों के तहत निर्मित घरों को परिवारों के पुरुष और महिला दोनों प्रमुखों के नाम पर संयुक्त रूप से पंजीकृत करना - और यह देखते हुए कि आपदा के बाद पुनर्निर्माण को "इस तरह से नए सिरे से निर्माण का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए, जो महिलाओं और लड़कियों के लिए समावेशी हो और महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका निभाने के अवसर प्रदान करता हो, शामिल है"। इसके अतिरिक्ति, एनडीएमए अपनी आपदा मित्र स्कीकम के माध्य्म से, देश भर में एक लाख नागरिक स्वयंसेवक आपदा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने और संगठित करने के लिए काम कर रहा है, जिनमें से कम से कम 25 प्रतिशत महिलाएं हैं - और कुछ राज्यों में इन स्वयंसेवकों में से 50 प्रतिशत तक महिलाएं हैं।

सरकार ने इस परिप्रेक्ष्य को जी-20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य समूह की गतिविधियों में शामिल किया, जिसने अपने विचार-विमर्श और अपने परिणाम दस्तावेज़ दोनों में डीआरआर के लिए सामाजिक रूप से समावेशी, स्थानीय रूप से नेतृत्व वाले और जेंडर-उत्तरदायी दृष्टिकोण को रेखांकित किया। गोलमेज चर्चाओं के माध्यम से, कार्य समूह ने यह सुनिश्चित किया कि आपदा जोखिम प्रबंधन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए रणनीतियों की योजना बनाते समय विविध दृष्टिकोणों को व्यीक्तन किया जाए और जी-20 सदस्य देशों द्वारा उन्हेंम सुना जाए।

आपदा जोखिम न्यूनीकरण और अनुकूलता में महिलाओं की भूमिका

आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए महिलाओं की भागीदारी और लैंगिक जवाबदेही पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है क्योंकि जलवायु और आपदा जोखिमों के प्रति स्थानीय अनुकूलता को सुदृढ़ बनाने में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और फिर भी वे इन जोखिमों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील हैं।

उदाहरण के लिए विचार करें कि कैसे भारत के कई तटीय समुदायों, जैसे कि सुंदरबन क्षेत्र, में महिलाओं ने मैनग्रोव की बहाली और निरंतर प्रबंधन का नेतृत्व किया है और इस प्रकार कई अतिव्यापी जोखिमों को दूर किया है। सबसे पहले, मैनग्रोव तटीय क्षेत्रों में चक्रवात, तूफ़ान और बाढ़ से प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करते हैं। दूसरा, मैनग्रोव महत्वपूर्ण कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं और इस प्रकार जलवायु परिवर्तन शमन में योगदान करते हैं। तीसरा, मैनग्रोव स्थानीय मछली इको सिस्ट म को बनाए रखते हैं और इस प्रकार स्थानीय समुदायों को आर्थिक आजीविका और खाद्य सुरक्षा प्रदान करते हैं। विश्वथ भर में, विशेष रूप से विकासशील देशों (ग्लोबल साउथ) में महिलाओं द्वारा की गई ऐसी अनगिनत पहलें दर्शाती हैं कि कैसे महिलाओं को अक्सर इन जोखिमों के प्रभावी प्रबंधन को व्यवस्थित करने की क्षमता के साथ-साथ आपदा जोखिम के वाहकों के बीच संबंधों की सूक्ष्म समझ होती है।

फिर भी यह उन सामाजिक मानदंडों के कारण भी है जो अक्सर हमारी लैंगिक भूमिकाओं को प्रभावित करते हैं और अक्सर महिलाओं को आपदा और जलवायु जोखिमों के बीच में रखते हैं। उदाहरण के लिए, सूखे की बढ़ती अवधि और आवृत्ति के कारण पानी की कमी से महिलाओं पर देखभाल का बोझ बढ़ जाता है और जिससे उन्हें पानी लाने के लिए उन्हें दूर जाने के लिए विवश होना पड़ता है। उनकी आजीविका गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इसके अतिरिक्तर, महिलाओं को जोखिम बीमा या आपदा के बाद मुआवजा योजनाओं के अंतर्गत अपर्याप्त कवरेज मिलता है क्योंकि उनके पास आमतौर पर भूमि और अन्य उत्पादक संपत्तियों का स्वामित्व नहीं होता। आपदाओं के बाद महिलाओं को जेंडर आधारित हिंसा के उच्च जोखिम का भी सामना करना पड़ता है। इस प्रकार आपदा जोखिम न्यूनीकरण के संदर्भ में महिलाएं मूल्यवान लेकिन निर्बल हितधारक हैं।

महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर जी-20 की भारतीय अध्यक्षता के फोकस ने अधिक देशों को पर्याप्त संसाधन - वित्त, प्रौद्योगिकी, ज्ञान और संस्थागत क्षमता जुटाने के लिए प्रोत्साहित करके समावेशी आपदा जोखिम कटौती पर वैश्विक कार्रवाई को आगे बढ़ाने में मदद की है।

इन संसाधनों का प्रभावी ढंग से लाभ उठाने के लिए पहला त्वसरित कदम आपदा पूर्व और बाद की दोनों स्थितियों में जेंडर, आयु और विकलांगता के अलग-अलग डेटा संग्रह और जेंडर-उत्तरदायी सामाजिक-आर्थिक आकलन की क्षमता में निवेश करना है। इसके अतिरिक्तग, स्थानीय स्तर पर इन प्रयासों का नेतृत्व करने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित करने से न केवल प्रचलित सामाजिक मानदंडों के अनुसार डेटा एकत्र करने में मदद मिलेगी, बल्कि स्थानीय जोखिम और अनुकूलता की प्रकृति के बारे में अधिक व्यापक जानकारी भी मिलेगी।

इसके बाद, जमीनी स्तर पर महिलाओं और महिला समूहों द्वारा की जा रही युक्तियों में निवेश में तेजी लाकर और स्थानीय, राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय स्तर पर निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी के लिए संस्थागत तंत्र स्थापित करके इस डेटा का निर्माण करना महत्वपूर्ण है। ये कार्रवाइयां स्थानीय सतत विकास प्रक्रियाओं को बदलने, आपदा जोखिमों के लिए दीर्घकालिक सामूहिक अनुकूलता का निर्माण करने और लैंगिक समानता को सुदृढ़ बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

अगले सात वर्षों में, हमें 2030 तक सेंडई फ्रेमवर्क के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जी-20 भारत की अध्यक्षता द्वारा सृजित अवसरों का और आपदा जोखिम प्रबंधन में महिलाओं की आवाज, एजेंसी और नेतृत्व का लाभ उठाना चाहिए। हमें उम्मीद है कि ब्राजील, जो अगले साल जी20 की अध्यक्षता करेगा, डीआरआर कार्य समूह की विरासत को आगे बढ़ाएगा और आपदा योजना तथा तैयारियों के लिए महिलाओं, स्वदेशी और स्थानीय समुदायों तथा अन्य निर्बल समूहों की आवाज उठाना जारी रखेगा।

(कमल किशोर भारत सरकार के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य और जी-20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य समूह के अध्यक्ष हैं/ सुसान फर्ग्यूसन यूएन वीमेन इंडिया की कंट्री रिप्रसेंटेटिव हैं।)

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