ग्रेटा थनबर्ग-दिशा रवि को पहनाया मासूमियत का जामा, देश में षडयन्त्रकारियों की पैरवी

दिल्ली में हिंसा फैलाने और विदेशी दूतावासो के समक्ष भारत सरकार की किसानों के उत्पीड़न की फर्जी कहानी गढ़ने की साजिश में शामिल एक 22 साल की युवती को मासूमियत का मुलम्मा चढ़ा कर बेचारी का डंका पीटा जा रहा है।

Update: 2021-02-22 16:50 GMT
अमित शाह ने कहा कि 21 साल की उम्र के कई लोग हैं, लेकिन दिशा रवि को ही क्यों गिरफ्तार किया गया है? दिल्ली पुलिस पेशेवर तरीके से काम कर रही है,

आनन्द उपाध्याय

चीन ने अपने देश में किशोर अपराध कानून मे संशोधन करने का फैसला लागू कर दिया है। गंभीर प्रकृति के आपराधिक मामलों में किशोरवय अपराधियों की आयु की सीमा को घटा कर 14 वर्ष से 12 साल कर दी है। इस नये कानून को इसी 1 मार्च से प्रभावी किया जाना प्रस्तावित है।

चीन में किशोर अपराध कानून में संशोधन

नवीन संशोधित कानून के तहत 12 से 14 वर्ष आयु का किशोर इरादतन हत्या अथवा जानबूझकर घायल करने के कृत्य के फलस्वरूप होने वाली मौत या दिव्यांगता के लिए उत्तरदायी माना जाएगा। चीन की संसद ने यह संविधानिक संशोधन पारित किया है।

भारत विरोधी बयानो पर दिशा रवि को बताया गया 22 साल की मासूस युवती

एक तस्वीर यह है, और एक दूसरी तस्वीर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की अवलोकनीय है,जहाँ किसानों के आन्दोलन के परिप्रेक्ष्य में कथित विदेशी सेलिब्रिटीज के साथ डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए भारत व भारत सरकार की छवि को धूमिल करने, विभ्रम फैलाने, 26 जनवरी जैसे पावन अवसर पर राजधानी दिल्ली में हिंसा फैलाने और विदेशी दूतावासो के समक्ष भारत सरकार की किसानों के उत्पीड़न की फर्जी कहानी गढ़ने की साजिश में शामिल बेंगलूर की एक 22 साल की युवती की उम्र को मासूमियत का मुलम्मा चढ़ा कर बेचारी, इन्नोसेन्ट ,बेक़सूर और अभिव्यक्ति की आजादी की सिपहसालार बताने का सुनियोजित अभियान चला कर मानवाधिकार का डंका पीटा जा रहा है।

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होशोहवास में भारत की छवि को पलीता लगा रहीं ग्रेटा थन्बर्ग

स्वीडिश कथित इनवायरमेन्टलिस्ट युवती ग्रेटा थन्बर्ग के साथ पूरे होशोहवास में भारत की छवि को पलीता लगाने का काम कर रही इस युवती की कलयी अचानक ग्रेटा द्वारा भूलवश पूरे षडयन्त्र का सिलसिलेवार तैयार टूल किट ट्वीटर पर साझा करने के चलते रहस्योद्घघाटित हो गया ।

सबूतों के बाद भी आरोपी युवती को बेकसूर होने का दे रहे सार्टिफिकेट

भारत की खुफिया एजेंसियों को इसके डिजिटल सबूत हाथ लगे हैं, जांच जारी है, बाकायदा कोर्ट ने सुनवाई कर पुलिस रिमाण्ड दी है। कई और युवा शामिल होना सामने आया है। किन्तु खेद और विस्मय की बात है कि, भारत विरोधी कृत्य की भत्सॅना करने और ऐसे देशविरोधी तत्वों के खिलाफ पुरजोर कार्यवाही की माँग की जगह अर्बन नक्सलियों की जमात और वामपंथी छद्म सेकुलरवादी बुद्धि जीवी वर्ग का तबका मानवाधिकार की आढ में अपनी-अपनी दुकान चलाने वाले गैंग, मोमबत्ती ब्रिगेड सहित देश की कई विपक्षी पार्टियों के नेता इस युवती की 22 साल की उम्र की दुहाई देकर उसके द्वारा किये भारत विरोधी गम्भीर षडयन्त्रकारी कृत्य को कमतर करने का दुस्साहस ही नहीं कर रहे हैं, अपितु कोर्ट में विचाराधीन सीरियस प्रकरण की अभियुक्ता को बेकसूर होने का बाकायदा सार्टिफिकेट जारी कर देने का काम निरलज्जता के साथ कर रहे हैं।

मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस कर रही ऐसे षडयन्त्रकारियों की पैरवी

हद तो तब हो गयी जब देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी गलबहियाँ डाले, इसी युवती और उसके आपराधिक षडयन्त्र में शामिल साथियों की पैरवी करने की दौड़ में सबसे आगे बढ़ कर झंडा बुलंद कर रही है। इन्हीं तथाकथित प्रगतिवादी गिरोह के मानवाधिकार के अलमबरदारो को निर्भया के नृशंष हत्यारे बलात्कारियो में शामिल एक नाबालिग किशोर को भी फांसी की सजा अन्य अभियुक्तोंके साथ दिलाने की पैरवी में तब उम्र नहीं दिखाई दी थी।

18 साल में मतदान, 21 में नौकरी का अधिकार तो 22 साल की युवती मासूम कैसे

जब 18 साल में भारत के लोकतंत्र में भारत सरकार या सूबे की सरकार को चुनने के लिए मतदान का अधिकार हासिल होता है, 21 साल के युवा को भारत की सेना, प्रशासन,पुलिस, अन्य शासकीय दायित्व निभाने का अधिकार हासिल होता है, तो आखिरकार किस विशेष प्रावधान के तहत 22 साल की युवती की उम्र को मासूमियत का मुलम्मा चढ़ा कर अभयदान दिये जाने का कुचक्र प्रायोजित किया जा रहा है।

राष्ट्र विरोधी ताकत को कठोर दबाव की जरूरत

जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल तक फैली राष्ट्र विरोधी ताकतों की यह विष बेल अपनों के खाद पानी से पुष्पित पल्लवित विकसित होती दृष्टिगत है, जब सरकार की सक्षम एजेन्सियों के रडार में इनकी करतूत और कारगुजारियो का काला चिट्ठा पकड़ में आता है तो देश के जयचन्दो की पूरी जमात छाती पीटने लगती है, और लोकतंत्र का गला घोंटने,मानवाधिकार के हनन करने, अभिव्यक्ति की आजादी छीनने,असहिष्णुता होने का विधवा विलाप करने निकल पड़ती है।

षडयन्त्र का मोहरा बने दोगलेपन वाली ताकतों का हो दमन

इन सलेक्टिव मोहरों को जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना के पत्थर खाते जवानों या हजारों कश्मीरी पंडितों की त्रासदी नजर नहीं आतीं हैं। आज समय की मांग है कि, समय रहते राष्ट्र की सम्प्रभुता और अखंडता की रक्षा में निहित स्वार्थों के लिए विदेशी षडयन्त्र का मोहरा बने ऐसे दोगलेपनवाली ताकतों का सख़्ती के साथ दमन किया जाये। आई बी, रा,सी बी आई,सेबी और आयकर जैसे विभिन्न विभागों को समन्वित तरीके से अभियान चलाकर आस्तीन के सांपों को ढूंढ कर उनका बन कुचलने के लिए पुरज़ोर कोशिश करनी ही चाहिए।

(आनंद उपाध्याय, स्वतंत्र पत्रकार/लेखक/स्तंभकार हैं। ये लेखत के निजी विचार हैं। )

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