अवैध तस्करी व नशीली दवाओं के देह व्यापार खत्म करने के लिए फिल्मों में पूर्ण रूप से फिल्मांकन बंद करना होगा

International Day Against Drug Abuse : 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशीली दवाओं के दुरुपयोग के साथ विरोधी दिवस मनाया जाता हैं।

Written By :  rajeev gupta janasnehi
Published By :  Shraddha
Update:2021-06-26 11:21 IST

International Day Against Drug Abuse: हम नमक को आटे में अत्यधिक मात्रा में मिला देंगे तो वह जहर का काम करने लगता है, इसीलिए कहते हैं की अति हर चीज की बुरी होती है। जो नशीली दवाओं (drugs) या पदार्थ का उपयोग उसे दवा के रूप में करेंगे तो हमेशा हम एक स्वस्थ जीवन के रूप में महकते रहेंगे और इन्हीं नशीली दवाओं का या नशे का हम दुर्गति से प्रयोग करेंगे तो वह हमारे लिए व हमारे जीवन को अभिशप्त कर देती है । आज भागमभाग की जिंदगी में अपने तनाव को मुक्त करने के लिए लोग इसका सेवन करने लगे हैं। इसी वजह से अंतराष्ट्रीय स्तर पर नशे व नशीले पदार्थ और दवाओं का अवैध तरीके से बिक्री होने लगी है। जिसने अवैध व्यापार को भी जन्म दिया है। आज 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशीली दवाओं (international drug) के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के साथ अंतर्राष्ट्रीय अवैध देह व्यापार विरोधी दिवस मनाया जाता हैं।

मादक द्रव्यों का सेवन मस्तिष्क पर आनंददायक प्रभाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से कुछ रसायनों के उपयोग को संदर्भित करता है। परंतु कालांतर में इसका सेवन का आदी व्यक्ति अवैध व्यापार, अनैतिक, अपराध के दल में ना केवल फंसता हैं बल्कि जीवन को बर्बाद कर लेता है। विश्व में 190 मिलियन से अधिक लोग ड्रग उपयोगकर्त्ता हैं और यह समस्या खतरनाक स्तर पर बढ़ रही है, विशेष रूप से 30 वर्ष से कम आयु के वयस्कों में।संयुक्त राष्ट्र में यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

अवैध तस्करी व नशीली दवाओं व देह व्यापार क्या है

नशीली दवाओं के दुरुपयोग का मतलब कोकीन, हॉल्यूकिनोजेन्स, कैनबिस, शामक हिप्नोटिक्स और ओपिएट्स जैसी दवाओं का उपयोग करना नहीं है, बल्कि दर्द निवारक दवा, नींद की गोलियां और ट्रेंक्विलाइज़र जैसी दवाओं का सेवन भी शामिल है।

अवैध तस्करी व नशीली दवाओं कौन करते हैं

हम सब जानते है नशीली चीजों के उपयोग के परिणाम कितने घातक होते है इसके गैर क़ानूनी व्यापार में लिप्त लोग कैसे कैसे हथकंडे अवैध तस्करी व नशीली दवाओं के उपयोग के लिए अपनाते हैं। अवैध तस्करी व नशीली दवाओं व्यापार में इनके कैरीअर बेरोज़गार या आपराधिक संगत में आने से भोले भाले लोग बेवकूफ बनते हैं। जरा सा लालच बाल श्रमिक और पढ़ने वाले बच्चों को अपना टार्गेट बना लेते हैं।

अवैध तस्करी व नशीली दवाओं का सेवन कैसे

किशोरावस्था के बच्चे नशे के जाल में आसानी से फंस जाते हैं, क्योंकि वो नशे के दुष्प्रभावों से अनभिज्ञ होते हैं। नशे के सौदागरों का निशाना किशोरावस्था के बच्चे, विशेषकर स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थी होते हैं। हमें इन नशे के सौदागरों से बचकर रहना है व अपने साथियों को भी बचाना है। पारिवारिक समस्या, बीमारी व अन्य कारण भी लोगों को नशे के जाल में फंसा देते हैं यही से बच्चों में तमाम तरह के अपराध के साथ देह व्यापार भी पनपता है। हमारे आस पास अनेक उदाहरण है। हमारे समाज में फ़िल्मीचरित्र का बहुत जल्दी असर मन और मस्तिष्क पर पडता है। फ़िल्म में तस्करी के माध्यम से पैसा व ताक़त का फ़िल्मांकन इस धंधे में डालने का काम करता है। इस नशा से आज के समय में कोई भी वर्ग अछूता नही है यहाँ तक अनेक फ़िल्मी हो या खेल जगत मॉडलिंग हो वो इसकी गिरफ़्त में तमाम लोग है। इस तरह अनेक नाम है जो हम सब जानते है लिखने से कोइ फर्क नहीं पड़ता।

अवैध तस्करी व नशीली दवाओं प्रचार से रोकना होगा

नशा आज आधुनिक समाज की बहुत बड़ी समस्या बन गयी है। नशे को खत्म करना हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है। इस समस्या के निवारण के लिए सभी को मिल-जुल कर काम करना होगा पूरे विश्व को हर साल 26 जून को नही पूरे समय जन जागरण अभियान चलना होगा। आज विशेष अभियान के तहत सरकार व अनेक सामाजिक संस्थान मीडिया के साथ स्कूल में इस के दुरुपयोग व बिक्री की रोक के लिए अभियान, रैलियां, पोस्टर डिजाइनिंग नुक्कड़ नाटक सेमिनार और कई अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत में पंजाब के पाकिस्तान से लगते हिस्से में नशा महामारी बन चुका है।

अवैध तस्करी व नशीली दवाओं को महिलाएँ दे रही गति

आज आधुनिकीकरण और आर्थिक सम्पन्नता बराबरी की होड़ में महिलाएँ भी अछूती नहीं है। आज समाज में एक आंकड़े के मुताबिक़ 20% महिलाएँ किसी ना किसी रूप में जुड़ी है चाहे सेवन या व्यापार में आज हर फ़िल्म नाटक सीरीयल महिलाओं को नशा करते हुए व इस व्यापार में लिप्त दिखाया जाता है |यथार्थ में आपको अब हर छोटे शहर में भी देखने को मिल जाएगा बीड़ी पीती अम्मा अब बीते जमाने की बात है। अब तो जाम से जाम, सिगरेट से सिगरेट अफ़ीम कोकिन आज की युवतियों के लिए आम बात हैं। ख़ास बात यह है पुरुष कि तरह महिलाएँ भी दुष्परिणाम के बारे में जानती है।

अवैध तस्करी व नशीली दवाओं रोकना होगा

आज राजनीतिक व सरकारी घूस के चलते मादक पदार्थ की रोक थाम नहीं हो पा रहा है। आज अनेक फ़िल्म इसकी तस्करी रोक थाम इसके दुष्परिणाम के लिए आ चुकी है माँ बाप को पैसे कमाने के साथ अपने बच्चे के ऊपर ध्यान देना चाहिए क्योंकी उसकी हरकत हमको बहुत कुछ कह देती है। हम उसको इस दलदल में जाने से रोक सकते हैं। सरकार को इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाना चाहिए साथ ही लाइसेंस के माध्यम से जो बिक्री की प्रथा है वह भी अवैध धंधे को प्रोत्साहित करती है। सरकार को चाहिए कि जितना इसका प्रयोग दबाव में या किसी पदार्थ को बनाने में आवश्यक हो उतनी ही बिक्री के लिए और उत्पादित हो व उपयोग के लिए इजाजत हो अन्यथा पैसे के लालच में इंटरनेशनल अवैध नशीली दवाओं और देह व्यापार को रोकना असंभव होगा।

अंतरराष्ट्रीय मादक द्रव्य निषेध दिवस व अंतरराष्ट्रीय देह व्यापार विरोधी दिवस वर्ष 26 जून को पूरे विश्व में 1989 के बाद से वार्षिक रूप से मनाया जाता है। भारतीय संसद में 1985 में एनडीपीएस एक्ट पारित किया गया, जिसका पूरा नाम नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 है।

Tags:    

Similar News