बाबा रामदेव के लाला रामदेव बनने की कहानी का सच

हरियाणा के सैद अलिपुर गाँव के एक किसान के बेटे रामकिशन यादव आज बाबा रामदेव के नाम से मशहूर हैं।

Written By :  Yogesh Mishra
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-06-07 17:54 IST

पतंजलि उत्पाद के साथ बाबा रामदेव और बालकृष्ण (फोटो साभार-सोशल ​मीडिया)

हरियाणा के सैद अलिपुर गाँव के एक किसान के बेटे रामकिशन यादव आज बाबा रामदेव के नाम से मशहूर हैं। सुर्ख़ियों में रहने और सत्ता प्रतिष्ठान से लाभ उठाने के उनके हुनर का कोई सानी नहीं है। बड़े-बड़े प्रबंधकीय कौशल वालों को भी यह हुनर रामदेव से सीखना पड़ सकता है। आपदा तैयार करने, उसे अवसर में बदलने दोनों में बाबा को महारत हासिल है। वह सत्ता प्रतिष्ठान की चाबी अपने हाथ रखने के लिए कितने भी रंग बदल सकते हैं। इन दिनों कोरोना काल में बाबा एलोपैथिक को गाली देने और इस विधा के डॉक्टरों पर तोहमत मढ़ने के लिए सुर्ख़ियों में हैं। रामदेव ने कहा कि एलोपैथिक दवाएँ खाने से लाखों लोगों की मौत हुई है। उन्होंने एलोपैथी को 'स्टुपिड और दिवालिया साइंस' भी कहा। इसके कुछ ही दिनों पहले उन्होंने कहा था, ''ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। वातावरण में भरपूर ऑक्सीजन है। लेकिन लोग बेवजह सिलेंडर ढूँढ रहे हैं।''

बयानों की यह सुर्ख़ी उन्हें तब हासिल हुई है जब कोरोना काल में अपनी दवा कोरोनिल को लेकर बाबा खुद कटघरे में खड़े किये जा चुके हैं। इस दवा के लॉंचिंग के अवसर पर देश के चिकित्सा मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन व परिवहन मंत्री नितिन गड़करी उपस्थित रहे। हालाँकि लॉन्चिंग के कुछ ही घंटों में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इस दवाई से पल्ला झाड़ लिया। सरकार ने इस दवाई की बिक्री पर रोक भी लगा दी। यह बात अलग है कि बाद में कोरोनिल को कोरोना से सुरक्षा देने के नाम पर बेच कर 250 करोड़ रुपये कमाये गये। इस साल तो सरकार कोरोना के मरीजों को यह दवा बांटने लगी है।

रामदेव और उनके साथी बालकृष्ण ने आयुर्वेदिक औषधि बनाने के लिए कनखल, हरिद्वार में दिव्य फार्मेसी की स्थापना वर्ष 1995 में की। यहां चार वैद्यों वाला अस्पताल चलता था। पहला प्रॉडक्ट च्यवनप्राश लॉन्च हुआ। वर्ष 2003 में रामदेव ने पतंजलि योगपीठ की स्थापना की। इसी साल आस्था और संस्कार टीवी चैनलों पर रामदेव योग दिखाने और सिखाने लगे। रामदेव की क़िस्मत वर्ष 2006 में तब खुली जब इनकम टैक्स एक्ट में एक बड़ा बदलाव कर योग को धर्मार्थ कार्य मान लिया गया। इसी साल पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की स्थापना हुई। कम्पनी को बनाने में रामदेव के अनुयायी श्रवण और सुनीता पोद्दार का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने ही 50 करोड़ की शुरुआती फंडिंग की। आज उनके पास 8 फीसदी शेयर हैं। जबकि बालकृष्ण के पास 92 फीसदी शेयर हैं।


वर्ष 2012 में पतंजलि आयुर्वेद एफएमसीजी मार्केट में उतरी। सौ से ज्यादा आइटम बेचा जाने लगा। वर्ष 2013 के आसपास स्वदेशी जागरण और कालाधन वापस लाने की शुरू हुई राजनीतिक लड़ाई के बाद रामदेव ने प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी का खुलकर समर्थन किया। अपने शिविरों में उनके लिए जमकर प्रचार किया। वर्ष 2013-14 में बड़े-बड़े मॉल से लेकर गली—मोहल्लों में पतंजलि के स्टोर्स खुले। वर्ष 2017 में पतंजलि योगपीठ को इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल से आयकर छूट का दर्जा मिला। आधार आयुर्वेदिक चिकित्सा और योग शिक्षा को बनाया गया। वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक पतंजलि ने दमदार बढ़ोतरी दर्ज की। वर्ष 2015 और 2016 में तो पतंजलि ने 100 फीसदी ग्रोथ की। नोटबन्दी और जीएसटी के बाद पतंजलि के कारोबार में गिरावट आई। लेकिन फिर भी वर्ष 2017

में पतंजलि ने 10,561 करोड़ रुपये का कारोबार किया। उसकी सालाना आमदनी में बढ़ोतरी 55 फीसदी रही। जबकि देश में एफएमसीजी बाजार 8-9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा था। फोर्ब्स के मुताबिक बालकृष्ण 25600 करोड़ रुपये के मालिक हैं। वे देश के 48वें सबसे अमीर हैं। पतंजलि ने वर्ष 2019-20 में 9022.71 करोड़ रुपये की आमदनी की। कम्पनी ने 21.56 फीसदी का मुनाफा कमाया। जो 424.72 करोड़ रुपये था। पतंजलि आयुर्वेद का एफएमसीजी मार्केट शेयर 6 फीसदी से ज्यादा है।

बाबा का पतंजलि भी विवाद के कम केंद्र में नहीं रहा है। जीएसटी घटने के बावजूद पतंजलि अपने वॉशिंग पाउडर उत्पादों को ज्यादा कीमत पर बेच रही थी जिस पर राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण ने 75.10 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोंका था। इससे पहले वर्ष 2016 में पतंजलि की पांच यूनिटों पर गलत प्रचार और गुमराह करने वाले विज्ञापन के लिए हरिद्वार की एक अदालत 11 लाख रुपए का जुर्माना लगा चुकी है। इन यूनिट्स से 16 अगस्त, 2012 को बेसन, शहद, कच्ची घानी का सरसों का तेल, जैम एवं नमक के सैंपल लेकर जांच के लिए रुद्रपुर लैब में भेजा गया था। जांच रिपोर्ट में उत्पादों के सैंपल फेल हो गए। चार साल तक मुकदमा चला। कोर्ट ने कहा कि 'पतंजलि' जिन उत्पादों को अपनी यूनिटों में उत्पादित बताकर अपने लेबल पर बेच रही थी, वह किसी दूसरी कंपनी के यूनिटों में बने थे। ये खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड पैकेजिंग एंड लेबलिंग रेग्युलेशन का उल्लंघन है।

रामदेव की दिव्य फार्मेसी की पुत्रजीवक नामक एक औषधि पर काफी बवाल हो चुका है। इसका मामला संसद तक में उछल चुका है। पहले यह दवा 'पुत्रवती' नाम से बेची जाती थी। विवाद होने की वजह से वर्ष 2007 में मामले की जांच हुई। इसके बाद इस दवा को बेचना बंद कर दिया गया था। इसके बाद इस दवा को नए नाम से बेचा जाने लगा। हालांकि इस दवा पर कहीं भी ऐसा कुछ नहीं लिखा है जिससे यह कहा जा सके कि यह बेटा पैदा होने के लिए दी जाने वाली दवा है। लेकिन आरोप है कि कंपनी के स्टोर्स में यह दवा पुत्र पैदा करने की दवा कह कर बेची जाती है। मामला गरमाने पर केंद्र सरकार ने उत्तराखंड सरकार से जांच करने को कहा। जांच रिपोर्ट बाबा रामदेव के खिलाफ आई थी।

रामदेव की हरिद्वार स्थित दिव्य योग फार्मेसी से अप्रैल, 2005 में 115 कर्मचारियों को निकालने पर बवाल हुआ था। तब सीपीएम नेता बृंदा करात ने कहा था कि उनको आंदोलनरत कर्मचारियों ने बताया है कि इस फार्मेसी में इनसानी खोपड़ी और पशुओं के अंगों का इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है। बृंदा करात ने जांच की मांग की थी। बाद में दो दवाइयों के सैंपल की जांच में केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने पाया कि इनमें इनसानी और पशुओं के डीएनए मौजूद हैं। फाइनल रिपोर्ट में कहा गया कि आयुर्वेद में इन वस्तुओं के इस्तेमाल की अनुमति है। लेकिन दिव्य योग फार्मेसी ने लाइसेंसिंग और लेबलिंग संबंधी क़ानूनों का उल्लंघन किया है। इस पर काफी राजनीति हुई। अंततः उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2006 में रामदेव को आरोपों से मुक्त कर दिया।

वर्ष 2017 में आर्मी कैंटीन ने पतंजलि के आंवला जूस को उपभोग के लिए अनुपयुक्त करार देकर इसकी बिक्री पर रोक लगा दी थी। इस आंवला जूस के सैंपल की कोलकाता के प्रयोगशाला में जांच कराई गई थी। जांच में यह सैंपल फेल हो गया था। सीएसडी ने इसकी बिक्री रोक दी। इसी तरह पतंजलि के घी में फंगस लगने का भी प्रकरण सामने आ चुका है। पतंजलि के शर्बत पर अमेरिका की फूड एंड ड्रग एजेंसी (यूएसएफडीए) सवाल खड़े कर चुकी है। वर्ष 2019 में यूएसएफडीए की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पतंजलि भारत और अमेरिका के लिए अलग-अलग क्वालिटी के शर्बत बनाता है। अमेरिकी खाद्य विभाग पतंजलि आयुर्वेद कंपनी के खिलाफ केस दर्ज करने पर विचार कर रहा है। दोषी पाए जाने पर कंपनी पर करीब 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। कंपनी के अधिकारियों को तीन साल की सजा हो सकती है। पतंजलि ने अपने बेल और गुलाब शर्बत की जो खूबियाँ गिनायीं थीं, वो भारत और अमेरिका के लिए अलग-अलग थीं।

बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने मल्टीनेशनल्स के साथ साथ व्हाट्सएप को चुनौती देने का ऐलान किया था। 15 अगस्त, 2018 को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने किंभो नामक एक मेसेजिंग ऐप का ट्रायल वर्जन प्ले स्टोर पर लांच किया। हुआ यह कि ऐप को डाउनलोड करने के बाद यूजर्स को कई तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। यूजर्स से शिकायत मिलने के बाद किंभो ऐप को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया। इसके बाद पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने कहा था कि ऐप के लॉन्च की नई तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी। लेकिन तीन साल बाद इस ऐप का कोई अता पता नहीं हैं। अब इसकी चर्चा तक बंद हो चुकी है। एलियट एंडरसन नाम के एक फ्रेंच सिक्योरिटी रिसर्चर ने तो इस ऐप को सिक्योरिटी के नाम पर मज़ाक बताया था।

पतंजलि ने वर्ष 2015 में मैगी की टक्कर में आटा नूडल्स लांच किया। बाद में पता चला कि नूडल्स के उत्पादन के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी से मंजूरी ही नहीं ली गई थी। इस पर एफएसएसआई ने पतंजलि को नोटिस जारी किया। पतंजलि ये नूडल्स आकाश योग नाम की कंपनी से बनवाती थी। सो उसे भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। पतंजलि ने इस मामले में यह खेल किया था कि नूडल्स के पैकेट्स पर फर्जी लाइसेंस नंबर छाप दिये थे। एफएसएसआई ने कहा था कि जिस प्रोडक्ट को मंजूर ही नहीं किया, तो उसे लाइसेंस नंबर कैसे मिल सकता है। यही नहीं, कई जगह पतंजलि नूडल्स के पैकेट में कीड़े पाये गए।


पतंजलि के ढेरों आइटम स्थापित ब्रांड्स की नकल ही दिखते हैं। इनके नाम भी बहुत मिलते-जुलते हैं। इससे पता चलता है कि कंपनी को अपने प्रोडक्ट की बजाय डुप्लिकेसी पर ही ज्यादा भरोसा है।मिसाल के तौर पर, मैगी के इंग्रेडिएंट्स को लेकर देश भर में विवाद के बाद पतंजलि ने मौके का फायदा उठा कर इंस्टेंट नूडल्स बाजार में उतार इसे स्वदेशी नूडल करार दिया। लेकिन पतंजलि नूडलस की पैकिंग और साइज तक काफी कुछ मैगी जैसा ही था। इसके बाद पतंजलि मैरी बिस्किट ले कर आई। यह ब्रिटेनिया के मारी बिस्किट की नकल थी। कैडबरी की फाइव स्टार चॉकलेट का पतंजलि अवतार भी बाजार में लाया गया जिसका नाम था पतंजलि सुपर स्टार। कैडबरी के बोर्नविटा की नकल में पतंजलि ले आई पावर वीटा। अमेरिकी कंपनी केलॉग्स की नकल में पतंजलि चॉको फ्लेक्स लांच किया गया। इमामी लिमिटेड ने तो ब्रांड की नकल के लिए पतंजलि को कोर्ट तक में घसीट लिया था। पतंजलि ने इमामी के केश किंग तेल का नाम, बॉटल डिजाइन और फॉन्ट स्टाइल भी अपने केश कांति तेल में कॉपी कर ली थी।

पतंजलि के टॉइलेट क्लीनर की पैकेजिंग एक स्थापित ब्रांड हार्पिक टॉयलेट क्‍लीनर से मेल खाती थी। हार्पिक की निर्माता कंपनी रेकिट बेन्किसर इंडिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में पंतजलि के खिलाफ केस दायर कर रखा है। रेकिट बेन्किसर इंडिया ने आरोप लगाया है कि पंतजलि का टॉइलेट क्‍लीनर 'ग्रीन फ्लैश' उसके उत्पाद हार्पिक जैसा है। रेकिट बेन्किसर इंडिया ने पतंजलि कंपनी पर यह भी आरोप लगाया है कि उत्पाद की पैकिंग में दिए गए निर्देश भी उनके उत्‍पाद से मिलते-जुलते है। कंपनी ने आरोप लगाया है कि पतंजलि ग्राहकों को अपने उत्‍पाद को जैविक उत्‍पाद बताकर भ्रमित कर रही है।

पतंजलि के बादाम केश तेल की बोतल में छोटे अक्षरों में साफ लिखा है कि इसमें 500 मिलीग्राम तिल तेल और मात्र 25 मिलीग्राम बादाम तेल है।पतंजलि के दंतकान्ति टूथपेस्ट को लेकर डेंटल स्पेशलिस्ट चेतावनी देते हैं कि इस टूथपेस्ट के ज्यादा इस्तेमाल से दांतों की एनेमल घिस जाती है। इस टूथपेस्ट में एब्रेसिव (खुरदरे पदार्थ) सामग्री मिली हुई है।

पलटी मारने के लिए भी बाबा कम नहीं जाने जाते हैं। पहले वो जीन्स पैंट की बुराई करते दिखाई देते थे, फिर उन्होंने परिधान नामक कपड़ों का ब्रांड लॉन्च किया। जीन्स पैंट भी बनाने लगे। रामदेव पहले लोगों से शक्कर का सेवन करने से मना करते थे। लेकिन बाद में उनके पतंजलि स्टोर पर शक्कर भी बिकने लगी।

रामदेव अपने उत्पादों के अलावा जमीन के झंझटों में भी फंस चुके हैं। पतंजलि के फूड पार्क और अन्य यूनिट्स की स्थापना के लिए महाराष्ट्र, यूपी, उत्तराखंड आदि राज्यों में सस्तेदामों पर जमीन देने के आरोप लगे हैं। काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान उनके समर्थन में रामदेव भी आगे आए थे। दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे थे। बाद में जब पुलिस कार्रवाई हुई, तो रामदेव सूट-सलवार पहन कर भागते नज़र आए।

रामदेव ने रामलीला मैदान में हो रहे अनशन के दौरान जगह-जगह पर ऐसे पोस्टर लगा दिए थे जहां उनके साथी बालकृष्ण को महात्मा गांधी, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, चंद्रशेखर आज़ाद तथा भगत सिंह के साथ दिखाया गया था। संदेश दिया गया था कि जिस तरह ये महापुरुष जेल गए, उसी तरह से उन्हें भी जेल जाना पड़ा है। जबकि बालकृष्ण को फ़र्ज़ी पासपोर्ट और अन्य मामलों में जेल भेजा गया था।

रामदेव के गुरु कहे जाने वाले राजीव दीक्षित का 30 नवंबर, 2010 को छत्तीसगढ़ के भिलाई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ था। राजीव दीक्षित की मृत्यु के बाद यह बात बहुत चर्चा में रही कि रामदेव उनकी बढ़ती लोकप्रियता से खुश नहीं थे। 2013 में रामदेव ने समलैंगिकता को बुरी बीमारी बताते हुए दावा किया था कि वह योग से इसे ठीक कर सकते हैं। उन दिनों कोर्ट में सेक्शन 377 का मामला अटका हुआ था। कांग्रेस के कई नेता इसका समर्थन कर रहे थे। इस पर रामदेव ने टिप्पणी करते हुए कहा था- "लगता है अधिकतर कांग्रेसी समलैंगिक हैं इसीलिए समलैंगिकता का समर्थन कर रहे हैं।"

इतना सब जानने समझने के बाद धरती के भगवान कहे जाने वालों की आँखें खुल जानी चाहिए। एक समय था कि आपके बंधु बांधव ही बाबा के योग शिविर में तुरत फुरत चेक करके बता देते थे कि बाबा के योग व प्राणायाम कराने से कितना कोलेस्ट्रॉल कम हो गया, ब्लड प्रेशर कितना ठीक हो गया, बंद वाल्व कैसे खुल गये, आदमी कपाल भाँति, भस्त्रिका, अनुलोम विलोम करने के बाद कितना निरोग हो गया। बाबा के लौकी के जूस ने कितना फ़ायदा पहुँचाया। आपके बाँटे सार्टिफिकेट पर ही बाबा के साम्राज्य की नींव पड़ी है। राष्ट्रकवि दिनकर जी ने लिखा है- " समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र। जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध।" लेकिन इसमें तो आप के बंधु बांधव तटस्थ नहीं, सहयोगी रहे हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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