K Vikram Rao: पानीपत का हिन्दू - मुस्लिम इत्तेहाद याद रहे !!
पानीपत युद्ध से हिन्दु-मुस्लिम एकता और अफगानी लुटेरों का दृढ़ता से मुकाबला करना भी एक ऐतिहासिक दृष्टान्त है। इतिहास याद रखता है कि शूरवीर कमाण्डर इब्राहिम खान गर्दी और मराठा जनरल सदाशिवराव भाऊ के नेतृत्व में संयुक्त रुप से हिन्द की सेना इन अफगानियों से टकराई।
K Vikram Rao: तालिबानी अफगनों (Talibani Afghan) ने पाकिस्तानी सीमा (Pakistan Border) पर तैनात अपनी सेना में एक नई टुकड़ी गठित की है। नाम रखा है ''पानीपत।'' पठानों ने दावा भी किया कि यह फौजी टुकड़ी अहमदशाह अब्दाली की भांति (पानीपत, तीसरा युद्ध 1761) हरियाणा तथा दिल्ली तक इस्लामी हुकूमत पुनर्स्थापित करेगी। यह सपना ''गजवा - ए - हिन्द'' का ही अनुच्छेद है, जिसके तहत हिन्दुस्तान को दारुल इस्लाम बनाया जायेगा। यह अखबारी रपट पानीपत के तीसरे युद्ध (third battle of panipat) आधारित है, जिसमें अहमदशाह ने मराठा साम्राज्य (Maratha Empire by Ahmad Shah) के सदाशिवराव भाउ को हराया था। नतीजन दिल्ली के मुगल बादशाह जो मराठों पर आश्रित थे, कमजोर हो गये तथा ब्रिटिश राज को भारत को गुलाम बनाने का रास्ता प्रशस्त हो गया। बाद में बहादुर शाह जफर को सजा देकर भारत पर लंदन का राज कायम कर दिया।
हिन्दु- मुसलमान सेना ने अफगानी लुटेरे अहमद शाह दुर्रानी को पीछे खदेड़ा
मगर इस पानीपत युद्ध से हिन्दु - मुस्लिम एकता और अफगानी लुटेरों का दृढ़ता से मुकाबला करना भी एक ऐतिहासिक दृष्टान्त है। इतिहास याद रखता है कि शूरवीर कमाण्डर इब्राहिम खान गर्दी (Brave Commander Ibrahim Khan Gardi) और मराठा जनरल सदाशिवराव भाऊ (Maratha General Sadashivrao Bhau) के नेतृत्व में संयुक्त रुप से हिन्द की सेना इन अफगानियों से टकराई। पानीपत भले ही हार गए पर हिन्दु- मुसलमान सेना ने अफगानी लुटेरे अहमद शाह दुर्रानी (Afghan robber Ahmed Shah Durrani) को पीछे खदेड़ा। दुखद विवरण यह रहा कि इन अफगानी पठानों ने महान हिन्दुस्तानी योद्धा इब्राहीम गर्दी को कैद में तड़पा कर मार डाला। पर यह रणबांकुरा जो फ्रांसीसी तोपखाने में कुशलता से शिक्षित था ने अपने समर कौशल से इस्लामी आक्रामकों को क्षीण किया। इस जंग में हैदराबाद के तेलुगु भाषी निजाम सिपाही भी देश पर शहीद हुये। अफगानी से भिड़ते।
एक आवश्यक उल्लेख एक गद्दार, देशद्रोही का
यहां एक आवश्यक उल्लेख एक गद्दार, देशद्रोही का। अहमदशाह अब्दाली (Ahmad Shah Abdali) की सेना की सहायता करने में लखनऊ - फैजाबाद के नवाब शुजाउद्दौला की घातक किरदारी रही। वह नवाब सफदरजंग का पुत्र था। उसने अफगान हमलावरों की मदद की। मुगल सम्राट को कमजोर किया। मात्र अपने वंश के लिए काम किया। अंग्रेजों और अंतत: सारे अवध को उपनिवेश बनने की नींव डाली। तो यह ज्वलंत उदाहरण है हिन्दू - मुस्लिम (मराठा - इब्राहीम खां गर्दी) की राष्ट्रभक्ति का और अवध नवाब की गद्दारी का। इस घटना पर एक चलचित्र में बना था। इसमें इब्राहीम खां गर्दी की भूमिका में थे मशहूर अभिनेता मुकेश खन्ना (Actor Mukesh Khanna), जो महाभारत में भीष्म पितामह की के रोल में थे। मराठा सेनापति की भूमिका में पंकज धीर (Pankaj Dheer) थे, जो महारथी कुन्तीपुत्र कर्ण बने थे। हर भारतीय युवक को यह फिल्म देखनी चाहिये ताकि भारत पर फख्र कर सके।
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