Waqf Bill: भाजपा के एक तीर से कई निशाने
Waqf Bill: भाजपा नेतृत्व ने वक्फ बिल को पारित कर यह स्पष्ट कर दिया है कि एनडीए दल के समस्त सदस्यों में एकजुटता है;
Waqf Bill News (Image From Social Media)
Waqf Bill: भाजपा नेतृत्व ने वक्फ बिल को पारित कर यह स्पष्ट कर दिया है कि एनडीए दल के समस्त सदस्यों में एकजुटता है और उनके मध्य स्थापित एकता के भाव को कोई भी विपक्षी दल अपने प्रयासों से भी खंडित नहीं कर पाया है। यह भाजपा की एक कठिन परीक्षा थी, जिसको प्रधानमंत्री मोदी ने अत्यधिक सरलता से अपने पक्ष में करके समस्त भाजपा के सदस्यों को स्पष्ट कर दिया कि यह उनकी और अमित शाह जी की अभूतपूर्व राजनीतिक विजय है।
इस बिल के पारित होने से भाजपा ने एक विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त कर ली है, जो समस्त जनता को अभी दिखाई नहीं पड़ रही है और ना ही अभी आम व्यक्ति को इसका पूर्ण संज्ञान है, परन्तु कुछ समय पश्चात उस विजय को देखकर, संपूर्ण देश अचंभित होगा।
भाजपा नेतृत्व ने बिहार में मुस्लिमवर्ग को, पलटूराम अर्थात् नीतीश कुमार और चिराग पासवान के विरुद्ध करके इन दोनों नेताओं को अस्तित्वहीन कर दिया है। उनकी पार्टी के अधिकांश मुस्लिम नेताओं ने भी इसके प्रत्युत्तर में त्यागपत्र दे दिये हैं।
वर्तमान स्थिति यह है कि वे केवल अपनी जाति की कुछ प्रतिशत जनता के ही समर्थन वाले नेता रह गए हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में वे भाजपा को किसी भी प्रकार के कूटनीति दांवपेच से विवश नहीं कर पायेंगे। इतना ही नहीं वे आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की बी0 टीम के रूप में चुनावी मैदान में उतरेंगे और जो भी सीट नीतीश कुमार एवं चिराग पासवान को प्राप्त होगी, वह भाजपा के प्रसाद स्वरूप ही होगी अर्थात अब बिहार का आगामी मुख्यमंत्री भाजपा का होगा।
यद्यपि जयंत चौधरी का राजनीतिक प्रभुत्व उत्तर प्रदेश में कुछ ही क्षेत्रों में है, क्योंकि जाटवर्ग कई समूहों में विभाजित हो चुका और अब मुस्लिमवर्ग भी उनसे अलग हो जाएगा, परिणामस्वरूप वे शून्य की ओर अग्रसर हो जाएंगे। जयंत अब पूर्ण रूप से भाजपा की सहानुभूति पर निर्भर होकर राजनीति करेंगे।
भाजपा को इस बिल के पारित होने से सबसे बड़ा राजनीतिक लाभ आन्ध्र प्रदेश में होने वाला है, क्योंकि वहाँ पर चंद्रबाबू नायडू की राजनीति पर पूर्ण विराम लगने की संभावना है। आंध्र प्रदेश में 8 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय है, जिसने इस बार के चुनाव में चंद्रबाबू नायडू का समर्थन किया था, वह वर्ग भी अब पूर्णतया उनसे अलग हो जाएगा और इसका सुखद परिणाम यह होगा कि आंध्र प्रदेश में भी भाजपा के लिए चंद्रबाबू नायडू का आधिपत्य निष्क्रिय रहेगा।
अभी वहाँ पर विधानसभा चुनाव होंने में 4 वर्ष की दीर्घ अवधि शेष है, तब तक उनको और भी अधिक अस्तित्वहीन करने के प्रयास किए जाएंगे। अर्थात् आंध्र प्रदेश में भी भाजपा की सरकार का बनना सुगम होता जा रहा है। ऐसी आशा है कि भाजपा अब निकट भविष्य में दक्षिण में भी अपनी एक प्रभावशाली पहचान बना सकेगी।
वक्फ बिल के पारित होने का सर्वाधिक प्रभाव यदि कहीं हुआ है तो वह मुस्लिमवर्ग की वोटों पर आधारित राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों पर हुआ है। वक्फ बिल मुस्लिम वोटों पर आधारित राजनीति को पूर्णतया समाप्त करने में सहायक होगा। इस बिल का पारित होना जनहित में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
इसके पारित होने के पश्चात वक्फ बोर्डो की अरबों रुपयों की अथाह धन सम्पत्ति को सरकार के द्वारा अधिग्रहित किया जाएगा और उस धनराशि से जनता के हितार्थ चिकित्सालय तथा भावी पीढ़ी के लिए विद्या के मन्दिर निर्मित किए जायेंगे, जिससे असंख्य जनता को लाभ होगा।
अब सरकार को शीघ्रातिशीघ्र अन्य क्षेत्रों में भी इस प्रकार के निर्णय लेने होंगे। धर्म परिवर्तित क्रिश्चियन डाइसीज (वरिष्ठ ईसाई धर्मगुरू) के द्वारा अधिकृत अरबो रुपयों की भूमि का भी अधिग्रहण कर देश के विकास में लगाना चाहिए। इस पहल से सरकार को इतनी अधिक भूमि प्राप्त होगी, जितनी वक्फ बिल के पारित होने से भी नहीं हुई है।
अंग्रेज भारत से जाते-जाते चर्चो को अरबों की सम्पत्ति हस्तान्तरित कर गये थे। इस प्रकार सरकार के समक्ष देशहित में निर्णय लेने के अत्यधिक प्रमुख अवसर आये हैं, जिनको अतिशीघ्र क्रियान्वित कर देश को सुख शांति व समृद्धि से युक्त करना ही देशभक्ति है।