चिकित्सा विज्ञान की सफलता में बराबरी की भागीदार है नर्स

विश्व में चिकित्सा जगत की तरक्की किसी से नहीं छुपी है परंतु चिकित्सा जगत की तरक़्क़ी व चिकित्सक का बिना नर्स के सहयोग के मरीज को स्वस्थ करना काफी कठिन व असंभव सा होता है ।

Written By :  rajeev gupta janasnehi
Published By :  Monika
Update: 2021-05-12 06:08 GMT

बच्चों की देख रेख में नर्स (फोटो: सोशल मीडिया )

विश्व में चिकित्सा जगत की तरक्की किसी से नहीं छुपी है परंतु चिकित्सा जगत की तरक़्क़ी व चिकित्सक का बिना नर्स के सहयोग के मरीज को स्वस्थ करना काफी कठिन व असंभव सा होता है।आज हम इस नर्सिंग पेशे की नर्सों के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे|

हर साल 12 मई को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। नर्सों का मरीज़ को स्वस्थ्य रखने में बड़ा योगदान होता है। साथ ही यह दिन दुनिया में नर्सिंग की संस्थापक की फ्लोरेंस नाइटिंगेल को भी श्रद्धांजलि है।

नर्सिंग दुनिया भर में स्वास्थ्य रखरखाव से संबंधित सबसे बड़ा पवित्र पेशा है। मरीज़ों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने में डॉक्टर से नर्सों का कम योगदान नही होता है। नर्स मरीजों को मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और चिकित्सीय तौर पर फिट होने में मदद करती हैं। आज शायद ही विश्व में कोई व्यक्ति होगा जो इन नर्सों की मेहनत ,लगन, प्यार, त्याग के बारे नही जनता हो वो जानता है मरीज़ को ठीक करने में नर्स डॉक्टर व दवाई के रूप के साथ माँ और बहन व परिवारी जन का प्यार देकर जल्दी स्वस्थ करती है| ऐसा भी देखा गया है कभी कभी तो अपने कार्ये से यमराज से मरीज़ को वापस तक ले आती है|

लोगों ने सर आँखों पर रखा

पिछले साल कोविड 19 की महामारी के चलते दुनिया में अगर यह नर्सिंग नर्स नहीं होती तो महामारी क्या होती यह हमसे नही छुपा है । आज इनका त्याग व बिना रुके दिन रात लगातार काम करना किसी से नही छुपा है। पिछले साल विश्व इनके लिए शंख , कैंडल और तो सेना ने फूल बरसायें। विश्व के लोगों का बस नही चल रहा उन्हें सर आँखों पर रखा क्योंकि कोरोना पॉजिटिव मरीज़ की देख भाल का अर्थ है मौत से बात करना । किसी ने सही कहां हैं..

अपना जीवन दाव पर लगाकर,

तुम मेरा ख्याल रखती हो।

तुम साधारण स्त्री नहीं,

देवी की अवतार लगती हो।

आज कोविड-19 की महामारी से किसी तरह हम तीन चार महीने से कुछ राहत महसूस कर रहे थे| लेकिन कोविड-19 की दूसरी और तीसरी लहर ने तो नर्सों की जिम्मेदारी को इतना अधिक बढ़ा दिया है कि उन्हें रात दिन एक करने के बाद भी वह मरीजों की जान यमराज से नहीं बचा पा रही है|समाज व सरकार नए हॉस्पिटल की तो व्यवस्था कर पा रही पर नर्सो की कमी खल रही है |

नर्सिंग सेवा अमीर देश हो या गरीब देश हो दोनों ही देशों में नर्सों की एक बराबर ज़रूरत व अहमियत है |उनकी सेवा भाव में कोई कमी नहीं होती है पर दोनों ही देश चाहे अमीर है चाहे गरीब है नर्सो की कमी से रूबरू होते हैं| विकसित देश या राज्य अपने देश और राज्य में कमी को पूरा करने के लिए वह गरीब देश और राज्यों से नर्सों को अधिक वेतनमान देकर बुलाकर पूरा करने की कोशिश करते हैं |आज नर्सों की डिमांड अप्रत्याशित रूप से काफी बढ़ गई है कारण है कि सभी संपन्न व एकल परिवार होने के कारण वह अपने बुजुर्गों की या अपने परिवारिक सदस्यों की सेवा व देख भाल हेतु 24 घंटे नर्स को लगाकर उसकी तीमारदारी करके उसे स्वास्थ्य लाभ पहुंचाना चाहते हैं ऐसे में नर्सों की संख्या की कमी बेहद खल रही है|

नर्सों को ट्रेन करने के लिए नर्सिंग स्कूल खुले  

आज हर बड़ा अस्पताल अपने यहाँ नर्सों को ट्रेन करने के लिए नर्सिंग स्कूल खोलते है| नर्सों को प्रशिक्षण दिया जाता है व अस्पताल में नियुक्त करता है| उधर सरकार भी अनेक कोर्स के माध्यम से कमी के साथ रोज़गार का साधन उपलब्ध करा रही हैं|

नर्सिंग की दुखद स्थिति यह भी है कि जितनी उनकी मेहनत लगन सतर्कता और जिम्मेदारी का काम है उस हिसाब से मरीज व मरीज़ के परिजन उन्हें उतना सम्मान नहीं देते हैं साथ ही जो उनके साथ काम करने वाले पुरुष साथी हैं वह भी उन्हें कमतर नापते हैं| कई दफे तो उनका मानसिक और शारीरिक शोषण तक किया जाता है| ऐसी दशा में आज सभी अस्पताल संचालकों के साथ पुरुष प्रधान समाज को व समाजसेवी संस्थाओं को नर्सों के प्रति एक शपथ लेनी चाहिए कि वह नारी और नर्स के सम्मान को कभी भी नीचे नहीं गिरने देंगे|इस नोबल पेशे को कलंकित होने से बचाएँगे |

भारत में नर्सों के काम को पहचान देने हेतु राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कांर भी हर साल 12 मई को राष्ट्रींय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्काहर दिया जाता है। इसकी शुरुआत 1973 में भारत सरकार के परिवार एवं कल्याजण मंत्रालय ने की थी। पुरस्कार से नर्सों की सराहनीय सेवा को मान्यजता प्रदान किया जाता है। अब तक अनेक नर्सों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पुरस्कार हर साल देश के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कादर में 50 हज़ार रुपए नकद, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया जाता है।

नर्स दिवस मनाने का प्रस्ताव 1953 में रखा था

अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के एक अधिकारी डोरोथी सुदरलैंड ने पहली बार नर्स दिवस मनाने का प्रस्ताव 1953 में रखा था। इसकी घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति ड्विट डी.आइजनहावर ने की थी। पहली बार इसे साल 1965 में मनाया गया तब से लगातार इंटरनैशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज द्वारा अंतरराष्ट्रीयय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। जनवरी, 1974 में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गई। इसी दिन यानी 12 मई को आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिन को ही अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। इस मौके पर हर साल अंतराष्ट्रीय नर्स परिषद द्वारा अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर नर्सों के लिए नए विषय की शैक्षिक और सार्वजनिक सूचना की जानकारी की सामग्री का निर्माण और वितरण करके इस दिन को याद करता है।

आज कोरोना के चलते अब तो यह सेवा मात्र सेवा कार्ये है ।इस दिन को नर्सों के योगदान को अब नया रेखांकित किया जायेगा ।

एक बार फिर दुनिया की नर्सों का आभार प्रकट करना चाहिये साथ ही समाज सेवियों संस्थाओं के साथ मीडिया बंधुओ से आग्रह आज १२-५-२० उनके काम को शहर में पहचान दिलाये समाज के सामने उनके त्याग को लाए ।हो सके तो एक बार फिर उनके लिए कुछ ऐसा हो जो उन्हें अपने ऊपर गर्व हो *सोचे क्या किया जाए *

सेवा का उत्तम भाव तुम्हारा,

निःस्वार्थ हैं बहाव तुम्हारा।

बिना भेदभाव के ख्याल रखती हो,

हैं जनमानस से लगाव तुम्हारा।

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