मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार
Sundarlal Bahuguna :पर्यावरण प्रेम को देखते हुए अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में आपको पुरस्कृत किया था।
Sundarlal Bahuguna : हाँ यह ऊपर लिखी पंक्ति आज प्रभु के चरणों में स्थान प्राप्त करने वाले 94 वर्षीय स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा (Sundarlal Bahuguna) की है। आपने दलित वर्ग के विद्यार्थियों की उत्थान के लिए पर्वतीय क्षेत्र में शराब की दुकानों को ना खोलने का आंदोलन और उसके बाद चिपको आंदोलन के कारण आप विश्व भर में वृक्ष मित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
जी हां स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा ने जब पेड़ों की कटाई दुर्गति से हो रही थी तो आपका मन रो उठा तब उसे रोकने के लिए आप पेड़ से चिपक कर अपनी जान देने पर उतारू हो गए थे। आप जैसी शख्सियत ने ही विश्व के मानव को वह रास्ता दिखाया कि अगर पेड़ है तो जीवन है क्योंकि जीवन के लिए जल, जमीन ,वायु की आवश्यकता होती है और इन सब को उत्पादन करने में पेड़ ही जननी का धर्म निभाते हैं।
आपके इस पर्यावरण प्रेम को देखते हुए अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में आपको पुरस्कृत किया था। इसके अलावा अनेक सम्मानित पुरस्कारों से वह पुरस्कृत होते रहे हैं परंतु आज उनका सच्चा पुरस्कार या उन्हें सच्ची अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि तभी होगी जब पर्यावरण प्रेमियों के अलावा विश्व का हर मानव पर्यावरण की सुरक्षा करेगा। चाहे वह जल हो, वायु हो, जैव विविधता हो, पशु पक्षियों, किसी ना किसी रूप से अगर हम पर्यावरण की रक्षा करेंगे।
पेड़ों की हत्या से आज हमारा जीवन कष्ट में है निश्चित मानिए कल आने वाली जनरेशन के लिए जीवन जीना असंभव व अस्वस्थ भरा रहेगा। आज सभी पर्यावरण प्रेमियों की तरफ से हम स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा को श्रद्धांजलि देने के साथ सभी पर्यावरण प्रेमियों से आग्रह करते है कि उनकी याद में एक कोई भी काम जिससे पर्यावरण स्वच्छ हो व पर्यावरण बचे उस काम के लिए आगे आना होगा और सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करनी होगी।