अपराधी नेताओं पर लगाम

अपराधी नेताओं पर लगाम लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि चुनावी उम्मीदवारों के नाम तय होने के 48 घंटे में ही पार्टियों को बताना होगा कि उन उम्मीदवारों के खिलाफ कौन-कौन से मुकदमे चल रहे हैं ।

Written By :  Dr. Ved Pratap Vaidik
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2021-08-12 09:55 IST

 सर्वोच्च न्यायालय ने लगाया अपराधी नेताओं पर लगाम: फोटो- सोशल मीडिया

हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने वह काम कर दिखाया है, जो हमारी संसद और विधानसभाओं को कभी से कर देना चाहिए था। उसने आदेश जारी कर दिया है कि चुनावी उम्मीदवारों के नाम तय होने के 48 घंटे में ही पार्टियों को यह भी बताना होगा कि उन उम्मीदवारों के खिलाफ कौन-कौन से मुकदमे चल रहे हैं और उसके पहले वे कौन-कौन से अपराधों में संलग्न रहे हैं। सभी पार्टियां अपने वेबसाइट पर उनका ब्यौरा डालें और उसका शीर्षक रहे, "आपराधिक छविवाले उम्मीदवार का ब्यौरा"। चुनाव आयोग ऐसा एक मोबाइल एप तैयार करे, जिसमें सभी उम्मीदवारों का विस्तृत विवरण उपलब्ध हो।

आयोग आपराधिक उम्मीदवारों के बारे में जागरुकता अभियान भी चलाए। पार्टियां पोस्टर छपवाएं, अखबारों में खबर और विज्ञापन दें। पार्टियां अपनी चालबाजी छोड़ें। छोटे-मोटे अखबारों में विज्ञापन देकर खानापूरी न करें। वे बड़े अखबारों और टीवी चैनलों पर भी आपराधिक उम्मीदवारों का परिचय करवाएं। इन सब बातों पर निगरानी रखने के लिए चुनाव आयोग एक अलग विभाग बनाए।

उच्च न्यायालय की अनुमति के बाद होंगे आपराधिक मामले वापस

अब देखना यह है कि सर्वोच्च न्यायालय के इन आदेशों का पालन कहां तक होता है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि किसी भी नेता के विरुद्ध चल रहे आपराधिक मामलों को कोई भी राज्य सरकार तब तक वापस नहीं ले सकती, जब तक कि उस राज्य का उच्च न्यायालय अपनी अनुमति न दे दे। अभी क्या होता है? अभी तो सरकारें अपनी पार्टी के विधायकों और सांसदों के खिलाफ जो भी मामले अदालतों में चल रहे होते हैं, उन्हें वे वापस ले लेती हैं।

फोटो- सोशल मीडिया 

ऐसे मामले पूरे देश में हजारों की संख्या में हैं। इसीलिए नेता लोग बेखौफ होकर अपराध करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने इस फैसले से नेताओं, पार्टियों ओर सरकार के कान कस दिए हैं। बिहार के चुनाव में कांग्रेस, भाजपा और राजद के लगभग 70 प्रतिशत उम्मीदवारों के विरुद्ध आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। इन पार्टियों ने अपने आपराधिक उम्मीदवारों का विवरण प्रकाशित ही नहीं किया।

कोर्ट ने पार्टियों ठोंका जुर्माना

इसीलिए अदालत ने कुछ पार्टियों पर एक लाख और कुछ पर पांच लाख रु. का जुर्माना ठोक दिया है। सभी प्रमुख पार्टियां दोषी पाई गई हैं। हमारे लोकतंत्र के लिए यह कितने शर्म की बात है कि हमारे ज्यादातर सांसद और विधायक अपराधों में संलग्न पाए जाते हैं। यह तो सभी पार्टियों का प्रथम दायित्व है कि वे अपराधी पृष्ठभूमि के लोगों को अपना चुनाव उम्मीदवार बनाना तो दूर, उन्हें पार्टी का सदस्य भी न बनने दें।

चुनाव आयोग ऐसे उम्मीदवारों पर पाबंदी इसलिए नहीं लगा सकता कि कई बार उन पर झूठे मुकदमे भी दर्ज करवा दिए जाते हैं और कई बार ऐसे अभियुक्त रिहा भी हो जाते हैं लेकिन पार्टियां चाहें तो ऐसे नेताओं की उम्मीदवारी पर प्रतिबंध लगा सकती हैं।

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