Aurangabad Surya Temple: बेहद खूबसूरत है औरंगाबाद का सूर्य देव मंदिर, तस्वीरों में देखिये इसकी सुंदरता

Aurangabad Surya Temple: बिहार के औरंगाबाद में स्थित सूर्य मंदिर अपनी वास्तुकला से लेकर अपने इतिहास के लिए भी जाना जाता है। आइये तस्वीरों में देखें इसकी भव्यता।

Update:2023-11-18 11:11 IST

Aurangabad Surya Temple (Image Credit-Social Media)

Aurangabad Surya Temple: बिहार के औरंगाबाद जिले में एक बेहद अनोखा और काफी प्राचीन सूर्य मंदिर स्थित है। इस मंदिर की विशेषता ये है कि इसका निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने करवाया था। ऐसी भी मान्यता है कि इसका निर्माण उन्होंने सिर्फ एक रात में करवा लिया था। इतना ही नहीं इस मंदिर में कई और भी विशेष चीज़ें हैं जिनके बारे में शायद ही आपको पता होगा।

औरंगाबाद का प्राचीन सूर्य मंदिर

औरंगाबाद में स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर कई मायनो में विशेष है। ये देश का एक मात्र सूर्य मंदिर है जिसका दरवाज़ा पश्चिम की ओर है। यहाँ आपको सूर्य देव की मूर्ति सात रथों पर सवार नज़र आएगी। साथ ही इसमें आप उनके तीनों रूप उदयाचल-प्रात: सूर्य, मध्याचल- मध्य सूर्य और अस्ताचल -अस्त सूर्य के रूप भी देखने को मिलेंगे।



बेहद खूबसूरत है यहाँ की वास्तुकला

ये सूर्य मंदिर लगभग एक सौ फ़ीट ऊँचा है साथ ही ये स्थापत्य और वास्तुकला का अद्भुत उदहारण भी है। इस मंदिर को आज से लगभग डेढ़ लाख वर्ष पूर्व बनाया गया था। इसके अलावा इसे बनाने में सीमेंट या का चूना-गारा इस्तेमाल नहीं हुआ था। बल्कि आयताकार, वर्गाकार, अर्द्धवृत्ताकार, गोलाकार, त्रिभुजाकार आदि कई रूपों में काटे गए पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है। जिसे देखना बेहद सुखद अनुभव कराता है। ये मंदिर वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदहारण है।



औरंगाबाद सूर्य मंदिर का इतिहास



 ये सूर्य मंदिर अपनी कला के लिए भी बेहद मशहूर है। इतना ही नहीं इस मंदिर का इतिहास भी काफी विशेष है। ये मंदिर औरंगाबाद से करीब 18 किलोमिटर दूर है साथ ही ये सौ फ़ीट ऊँचा है। इस मंदिर को काले और भूरे पत्थरों से बनाया गया है साथ ही ये डेढ़ लाख वर्ष पुराना भी है।



इस मंदिर को जब आप देखेंगे तो आपको ये ओड़िशा में स्थित जगन्नाथ मंदिर की तरह लगेगा। इस मंदिर के बाहर आपको एक शिलालेख दिखेगा जिसमे ब्राह्मी लिपि में एक श्लोक लिखा है, जिसके अनुसार इस मंदिर को 12 लाख 16 हजार वर्ष पहले त्रेता युग में बनाया गया था।



वहीँ यहाँ रखी शिलालेख से पता चलता है कि अब इस पौराणिक मंदिर को बने हुए 1 लाख 50 हजार 19 वर्ष हो गए हैं।

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