अब तीन IPS अफसरों पर बढ़ा टकराव, केंद्र के आदेश पर टीएमसी का पलटवार

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के बाद केंद्र और ममता सरकार में टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से पश्चिम बंगाल के तीन आईपीएस अफसरों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के आदेश पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस टीएमसी ने कहा है कि इन अफसरों को मुक्त करने के संबंध में राज्य सरकार ही अंतिम फैसला करेगी। 

Update: 2020-12-13 04:35 GMT
2021 में भविष्य

नई दिल्ली: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के बाद केंद्र और ममता सरकार में टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से पश्चिम बंगाल के तीन आईपीएस अफसरों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के आदेश पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस टीएमसी ने कहा है कि इन अफसरों को मुक्त करने के संबंध में राज्य सरकार ही अंतिम फैसला करेगी।

पार्टी ने नड्डा के काफिले पर हमले को लेकर अफसरों को राज्य से बाहर भेजने के केंद्रीय गृह मंत्रालय के फरमान को डराने वाला बताया है। इन तीनों आईपीएस अफसरों को ममता सरकार का करीबी माना जाता है।

राज्य सरकार करेगी अंतिम फैसला

लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक कल्याण बनर्जी ने कहा कि तीन शीर्ष पुलिस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजने का गृह मंत्रालय का फरमान राज्य के पुलिस बल को डराने की कोशिश के सिवा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि नड्डा की सुरक्षा के प्रबंध में इन अफसरों की आखिर क्या गलती थी। उन्होंने कहा कि इस बाबत अंतिम फैसला राज्य सरकार का ही होगा और राज्य सरकार केंद्र के आदेश के आगे नहीं झुकेगी।

शाह के इशारे पर उठाया गया कदम

नड्डा के काफिले पर हमले के बाद केंद्र सरकार की ओर से पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी को दिल्ली तलब करने के केंद्र के कदम को भी उन्होंने राजनीति से प्रेरित बताया है।

बनर्जी ने इस बाबत केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को एक पत्र भी लिखा है। इस पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर राजनीतिक मकसद से इन अफसरों को दिल्ली तलब किया गया है।

राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सदस्य सौगत राय ने भी आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की तैनाती और स्थानांतरण पर राज्य के अधिकार क्षेत्र के संबंध में बनर्जी की राय का समर्थन किया है।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों को मुक्त करने का फैसला राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का है। राज्य सरकार अफसरों की उपलब्धता के आधार पर ही अंतिम फैसला कर सकती है।

राज्य सरकार ने गृह मंत्रालय को भेजा पत्र

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के फरमान के बावजूद राज्य सरकार इन अफसरों को मुक्त करने के प्रति इच्छुक नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र भेजकर इस बाबत राज्य सरकार की अनिच्छा से अवगत करा दिया गया है।

इस अधिकारी ने कहा कि हमने केंद्र सरकार को अपनी मंशा से अवगत करा दिया है। उन्होंने कहा कि इन अफसरों के पास महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं और राज्य सरकार को इन अफसरों की जरूरत है।

इन अफसरों पर थी नड्डा की सुरक्षा की जिम्मेदारी

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जिन तीन आईपीएस अफसरों को प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली भेजने के लिए कहा गया है उनमें डायमंड हार्बर के पुलिस अधीक्षक भोला नाथ पांडेय, प्रेसिडेंसी रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक प्रवीण त्रिपाठी और दक्षिण बंगाल के अतिरिक्त महानिदेशक राजीव मिश्रा शामिल है।

इन अफसरों को 9 और 10 दिसंबर को भाजपा अध्यक्ष नड्डा की पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अब राज्य सरकार इन तीनों आईपीएस अफसरों को कार्यमुक्त करने के लिए तैयार नहीं है। इन तीनों अफसरों को पश्चिम बंगाल सरकार का करीबी माना जाता है।

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क्या करती है पुलिस सेवा की नियमावली

वैसे जानकारों का कहना है कि भारतीय पुलिस सेवा (कैडर) नियमावली, 1954 के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकार के बीच किसी भी प्रकार की असहमति होने पर संबंधित राज्य सरकार को केंद्र सरकार का फैसला मानना होगा।

जानकारों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जिन तीन आईपीएस अफसरों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सेवा के लिए बुलाया गया है, उन्हें कार्यमुक्त करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार बाध्य है।

नियमों के अनुसार अफसरों के संबंध में किसी भी प्रकार की असहमति होने पर केंद्र सरकार ही अंतिम फैसला लेगी और राज्य सरकार को उस निर्णय को लागू करना होगा।

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राज्य सरकार के रुख से और बढ़ा टकराव

केंद्र सरकार की ओर से तीन आईपीएस अफसरों को प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली भेजने के फरमान के बाद केंद्र और ममता सरकार में टकराव और बढ़ गया है। राज्य की ममता सरकार इन तीन अफसरों को कार्यमुक्त करने के लिए तैयार नहीं है।

इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के तलब करने के बावजूद मुख्य सचिव और डीजीपी को दिल्ली भेजने से इनकार कर दिया था। अब राज्य सरकार की और से तीन आईपीएस अफसरों को लेकर ताजे रुख से केंद्र और ममता सरकार में टकराव और बढ़ गया है।

अंशुमान तिवारी

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