BJP संगठन मंत्री बंसल बोले- एक समय पर हों सभी चुनाव तो बचेगा पैसा
सियासी गलियारों में पहले से ही यह संभावना जताई जा रही है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लोकसभा चुनाव समय से पहले करा सकती है।
लखनऊ: सियासी गलियारों में पहले से ही यह संभावना जताई जा रही है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लोकसभा चुनाव समय से पहले करा सकती है। कई नेता देश भर में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने की वकालत करते रहे हैं। अब प्रदेश बीजेपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल ने भी पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ कराने की वकालत करते हुए कहा है कि सभी चुनाव आखिरकार एक साथ क्यों ना कराए जाएं? देश भर में इस पर बहस शुरू हो गई है।
संगठन मंत्री बंसल शानिवार को राजधानी के गोमतीनगर स्थित पर्यटन भवन में पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्मशताब्दी समारोह पर अवध क्षेत्र की संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। लोकमत का परिष्कार और लोकमत की प्रासंगिकता ही इस गोष्ठी का विषय था। इस विषय पर बोलते हुए बसंल ने कहा कि देश भर में कहीं ना कहीं पूरे पांच साल चुनाव चलते रहते हैं। एक राज्य का विधानसभा चुनाव खत्म हुआ तभी दूसरे राज्यों में चुनाव शुरू हो जाता है। राज्यों में भी पंचायत, सहकारिता समेत तमाम स्तरों पर पूरे साल चुनाव चलते रहते हैं। इससे विकास के कामों में रूकावट आती है। उन्होंने कहा कि क्यों ना पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएं? इससे समय के साथ धन की भी बचत होगी, जिससे देश में विकास के कामों में तेजी आएगी।
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सुनील बंसल ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जितने भी देश आजाद हुए, उनमें भारत भी एक है। सिर्फ आपातकाल का समय ही लोकतंत्र के लिए अपवाद है। देश भर में इतने चुनाव होते हैं कि चुनाव की अधिकता के कारण हम लोकतंत्र का गौरव महसूस नहीं कर पाते। इसके अलावा समाज में कुछ बातें घर कर गई हैं कि जनता समझती है कि सिर्फ वोट देना हमारा काम है। उसके बाद अब हमारा काम बचता नहीं है। पर विधानसभा, लोकसभा और सरकार लोकतंत्र की मालिक नहीं है। लोकतंत्र का मालिक मतदाता यानि जनता है। इसीलिए दीनदयाल जी भी कहते थे कि सिद्धांतविहीन मतदान ही सिद्धांतविहीन राजनीति का जनक है। यानि अगर पैसा देकर कोई वोट खरीदता है तो उससे पैदा होने वाला नेता भ्रष्टाचारी ही होगा। वंशवाद, परिवारवाद, जातिवाद के मामले में भी ऐसा ही होता है।
तीन फीसदी फ्लोटिंग वोटर, जीतने वाले को देते हैं वोट
प्रदेश महामंत्री ने कहा कि विधानसभा चुनाव में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो बार—बार पूछता है कि कौन जीत रहा है। उसे और किसी चीज से कोई मतलब नहीं होता। ऐसे मतदाता जीतने वाले को ही वोट कर देते हैं क्योंकि वह हारने वाले प्रत्याशी को वोट देकर अपना मत खराब नहीं करना चाहते। ऐसे कुल तीन फीसदी फ्लोटिंग वोट होते हैं और चुनाव में यह निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। कई बार हम प्रत्याशियों को वोट देने से पहले सोचते ही नहीं कि किसे वोट देना है। जातिवाद की राजनीति देश के लिए महारोग बना हुआ है। पं. दीनदयाल समेत कई बड़े चिंतक सिर्फ इसलिए चुनाव नहीं जीत पाए क्योंकि वह जिस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे या जिस सीट पर चुनाव लड़, उस सीट पर उनकी जाति के वोट कम थे।
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अखिलेश पर बोला हमला, कहा- विकास बड़ी-बड़ी सड़के ही बनवा देना नहीं
बंसल ने पूर्व सीएम व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि विकास सिर्फ बड़े-बड़े माल व बड़ी-बड़ी सड़कें बनवा देना ही नहीं है। बल्कि सभी गांवों तक सड़क, पानी, बिजली, चिकित्सा और शिक्षा की व्यवस्था पहुंचना ही विकास है। यही पंडित दीनदयाल की अन्त्योदय की अवधारणा भी है कि समाज के आखिरी पायदान पर बैठे व्यक्ति तक लाभ पहुंचना चाहिए।