नई दिल्ली : आगामी 25 तारीख (सोमवार) को बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में होनी है। लेकिन बीजेपी पदाधिकारी पसोपेश में दिख रहे हैं कि इसका एजेंडा क्या रखा जाए इसकी मूल वजह है कि नोटबंदी के बाद जीएसटी और डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी से मध्यमवर्ग व किसानों में भारी नाराजगी है। पार्टी के लगभग सभी सांसद इन दिनों अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों में हैं और आम जनता व मतदाताओं से संपर्क में हैं।
लगभग हर सांसद को यही फीड बैक जमीनी स्तर से मिल रहा है कि रोजगार, महंगाई, सामाजिक सुरक्षा के मोर्चे पर मतदाताओं व आम आदमी में मोदी सरकार के प्रति मोहभंग बढ़ रहा है। ऐसे संकेत हैं कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद तेल के दामों में कुछ कमी लाई जाएगी, जिससे कीमतों के घटने का लाभ पार्टी को आने वाले राज्य चुनावों में दिलाया जा सके। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में होनी है। रविवार को केंद्रीय पदाधिकारियों की बैठक में मुख्य प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
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देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हो रही लगातार बढोत्तरी से जनता में केंद्र सरकार के प्रति काफी नाराजगी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली भले इसे नकार रहे हों, लेकिन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान इसे महसूस कर रहे हैं और वो डीजल-पेट्रोल के दामों को लेकर अपनी चिंता जता चुके हैं। उन्होंने कहा भी था कि दीपावली तक रेट कम होंगे और वो जीएसटी कौंसिल से इसके बारे में बात करेंगे। इसके बाद आज एक बार फिर प्रधान बोले हैं, कि उपभोक्ताओं के फायदे के लिए उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी के दायरे में लाने का प्रस्ताव दिया है।
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प्रधानमंत्री एलपीजी पंचायत योजना के उद्घाटन तथा कुछ अन्य कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए गुजरात आये प्रधान ने कहा कि जीएसटी जैसा एक कर पेट्रोलियम पदार्थ की कीमतों में देश भर में एकरूपता लायेगा और इससे केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और उपभोक्ताओं तीनों को फायदा होगा।
बीएमएस की दिल्ली रैली को लेकर चिंता
भाजपा समर्थित ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ बीएमएस ने आगामी ने 17 नवंबर को मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर की रैली करने का ऐलान कर रखा है। बीएमएस महासचिव बैजनाथ राय के मुताबिक मोदी सरकार ने न्यूनतम वेतन, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, ठेका प्रथा खत्म करने और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की सेवा शर्तों में नौकरी की गांरटी के मूल तत्वों को शामिल करने जैसे कई वायदे असंगठित व मजदूर वर्ग से किए थे लेकिन साढ़े तीन साल पूरा करने के बाद भी कुछ नहीं किया गया।
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उन्होंने कहा है कि हम इन वायदों के बारे में मोदी सरकार को लगातार कुछ ठोस कार्रवाई कर परिणाम देने को कह रहे हैं लेकिन जमीन पर कुछ नहीं हुआ। नोटबंदी व जीएसटी के बारे में भी बीएमएस काफी आक्रामक है।
संघ के गले नहीं उतर रहे तर्क
दूसरी ओर आरएसएस ने भी सरकार को पिछले दिनों ही आगाह कर दिया है कि आम लोग खास तौर पर किसान डीजल के दामों की वजह से काफी गुस्से में हैं। संघ के सूत्रों ने माना है कि आर्थिक मंदी और तेल के दामों के मामले में सरकार के तर्क उसके गले नहीं उतर रहे। संघ के कई थिंकटैंक यहां तक आगाह कर रहे हैं कि यदि मोदी सरकार ने हालात सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो आने वाले विधानसभा चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
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संघ के लोग भी इन बातों को बखूबी समझ रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के बाद भी भारतीय बाजार में तेल की कीमतों में लगातार उछाल से यह संकेत जा रहा है कि नोटबंदी व जीएसटी के बाद आर्थिक मंदी की भरपाई करने के लिए ही तेल के दाम बढ़ाकर लोगों की जेब ढीली की जा रही है।