निर्भया की मां ने किया चुनाव लड़ने से इनकार, बताई ये वजह...

आशा देवी सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। सूत्रों की मानें तो निर्भया की मां कांग्रेस की टिकट पर केजरीवाल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। इसकी घोषणा जल्द हो सकती है।

Update: 2020-01-17 11:40 GMT

नई दिल्ली: चर्चित गैंगरेप और हत्याकांड बाद दरिंदों को मौत के तख्ते तक पहुंचाने की जंग लड़ने वाली उसकी मां आशा देवी पर अब राजनीतिक पार्टियां दांव लगाना चाहती हैं। दिल्ली विधानसभा चुनावों में निर्भया की मां को टिकट देकर मैदान में उतारने की योजना बनाई जा रही है। कहा गया कि आशा देवी सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। हालाँकि इन सभी अफवाहों पर विराम लगाते हुए निर्भया की माँ ने चुनाव लड़ने या राजनीति में आने से मना कर दिया। गौरतलब है कि इस बात की अफवाहें सामने आ रही थीं कि निर्भया की मां कांग्रेस की टिकट पर केजरीवाल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर सकती हैं।

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हालांकि, निर्भया की मां का कहना है कि उनका पहला मकसद अपनी बेटी के दरिंदों को फांसी के तख्ते पर झूलते हुए देखना है। उसके बाद अगर कोई चुनाव लड़ने की बात आएगी तो देखा जाएगा।

जिताऊ प्रत्याशी साबित हो सकती हैं निर्भया की मां

सभी राजनैतिक पार्टियों को अंदाजा है कि निर्भया की मां इस विधानसभा चुनाव में एक जिताऊ प्रत्याशी साबित हो सकती हैं। इसलिए अंदरूनी तौर पर राजनैतिक पार्टियां इस मौके को भुनाना चाहती हैं। हालांकि, राजनैतिक पार्टियां अभी खुलकर इस पर नहीं बोल रही हैं।

भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने दिए ये तर्क

भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने तर्क देते हुए बताया कि जो महिला इतनी जद्दोजहद करके अपनी बेटी के लिए न्याय की लड़ाई लड़ सकती है, उससे बढ़कर समाज में संघर्ष करने वाली महिला का जीता-जागता उदाहरण और क्या हो सकता है।

इसलिए राजनीतिक पार्टियों की कोशिश है कि इस चुनाव में निर्भया की मां से बात कर उन्हें मैदान में उतारे। भाजपा से लेकर कांग्रेस और आप सूत्रों का कहना है कि उनकी कोशिश है अगर निर्भया की मां चुनाव के लिए हां कर देती हैं तो न सिर्फ वह जिताऊ प्रत्याशी होंगी बल्कि उनकी पार्टी के लिए दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में कुछ सीटों पर अच्छा सकारात्मक असर भी डाल सकेंगी, जिससे सीटों की संख्या बढ़ सकती है।

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हमारा सिर्फ एक ही मकसद है कि निर्भया के दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकते हुए देखूं। अगर चुनाव लड़ने को लेकर कोई ऑफर आएगा तो सोचा जाएगा, लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है।

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