PM 2019: मोदी के तूफान में नीतीश ने खींचे पांव, नहीं है पूरे विपक्ष के पास कोई चुनौती

नीतिश कुमार के मन में कभी पीएम बनने की महत्वाकांक्षा जगी भी होगी तो आज के राजनीतिक हालात में संभव होता नजर नहीं आता। नीतिश के अलावा विपक्षी दलों के पास ऐसा कोई भी चेहरा नहीं जो पीएम पद के लिए सभी दलों को मान्य हो।

Update:2017-05-15 15:45 IST

Vinod Kapoor

पटना: साल 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को कड़ी टक्कर देने के विपक्ष के मंसूबे पर 15 मई को बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पानी फेर दिया। पिछले 15 साल से बिहार के सीएम पद पर विराजमान नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि वो अगले लोकसभा चुनाव में पीएम पद के दावेदार नहीं हैं।

नहीं पालते सपने

नीतीश कुमार बोले कि वो इतने मूर्ख नहीं हैं कि इस पद पर अगले चुनाव में पीएम पद की दावेदारी करें। उनके लिए ऐसा सोचना भी गलत है। वो ऐसे सपने नहीं पालते। मेरे बारे में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा दिखाकर तरह-तरह की बातें की जाती हैं। शरद यादव जी अध्यक्ष नहीं बन सकते थे, हम पार्टी के अध्यक्ष बन गए तो इसे मेरे नेशनल एस्पिरेशन के तौर पर देखा जाने लगा। जबकि ये सही नहीं है। वो ऐसे किसी सपने में यकीन ही नहीं करते।

दरअसल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को जीत मिली और बिहार, दिल्ली के विधानसभा चुनाव को बीजेपी ने जिस अंदाज से जीता उसे मोदी के करिश्मे के तौर पर देखा जाने लगा।

यूपी, हरियाणा, झारखंड के विधानसभा चुनाव बीजेपी ने बिना सीएम का चेहरा आगे किए जीते और सरकार बना ली। खासकर उत्तर प्रदेश में सरकार बनाना बड़ी चुनौती थी लेकिन बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की, जिसकी कल्पना उनके नेताओं ने भी नहीं की थी।

वश में नहीं अकेले टक्कर

लोकसभा के अगले चुनाव में अभी के राजनीतिक हालात के अनुसार किसी के वश में नहीं कि बीजेपी को अकेले टक्कर दे। कभी यही हालत कांग्रेस के लिए होती थी। कांग्रेस में जब 90 के दशक में गिरावट शुरू हुई तो पूरे विपक्ष ने मिलकर उसे 1989 में सत्ता में आने से रोका और विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में जनतादल की सरकार बनी जिसे बीजेपी बाहर से समर्थन दे रही थी। सोमनाथ से अयोध्या की यात्रा के दौरान लालकृष्ण आडवाणी की बिहार के समस्तीपुर में हुई गिरफ्तारी के बाद बीजेपी ने समर्थन वापस लिया और सरकार गिर गई ।

कांग्रेस समेत सभी दल ये चाह रहे हैं कि लोकसभा के अगले चुनाव में बीजेपी के खिलाफ कोई ताकतवर मोर्चा बने ​जो उसे रोक सके। इस मामले में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, अखिलेश यादव की सपा, लालू की पार्टी राजद , वामपंथी दलों के अलावा मोदी विरोधी द्रमुक ने इस मामले में पहल की थी । ममता तो पूरी तरह से मोदी से खार खाए बैठी हैं।

कोई चेहरा नहीं विपक्ष में

इन दलों की दिक्कत ये कि इनके पास ऐसा कोई चेहरा नहीं जो पूरी तरह से बेदाग हो और जो सर्वमान्य भी हो। विपक्षी दलों की नजर ले दे कर बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर टिकी थी। नीतीश कुमार साफ छवि वाले हैं और राजनीति में उन्हें मिस्टर क्लीन भी कहा जाता है। आज की राजनीति में इसे बडी उपलब्धि कहा जा सकता है कि कोई नेता पन्द्रह साल से सीएम रहे और उस पर भष्टाचार के कोई आरोप नहीं लगे।

नीतीश कुमार के मन में कभी पीएम बनने की महत्वाकांक्षा जगी भी होगी तो आज के राजनीतिक हालात में संभव होता नजर नहीं आता। नीतीश के अलावा विपक्षी दलों के पास ऐसा कोई भी चेहरा नहीं जो पीएम पद के लिए सभी दलों को मान्य हो। जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि विपक्षी दलों को 2019 नहीं 2024 के लोकसभा चुनाव के बारे में सोचना चाहिए।

पूरा विपक्ष भी नहीं दे सकता मोदी को चुनौती

नीतीश के पीएम पद के दावेदार नहीं होने के बयान पर बिहार बीजेपी के एक नेता और वहां के पूर्व मंत्री रहे कहते हैं कि 2019 के चुनाव में किसी के लिए जगह कहां है? नीतीश कुमार एक सधे हुए नेता हैं और कोई भी बात सोच समझ कर करते हैं। अगले चुनाव में पूरा विपक्ष मिलकर भी मोदी को चुनौती नहीं दे सकता।

फिर हाल के महीने में पीएम मोदी के साथ उनकी टयूनिंग भी अच्छी दिख रही है। चाहे वो नोटबंदी का सवाल हो या सेना प्रमुख पद पर विपिन रावत की नियुक्ति या जीएसटी का समर्थन। नीतीश कुमार पार्टी लाईन से अलग हट मोदी का समर्थन करते नजर आए।

अब पीएम पद की दावेदारी से इंकार कर उन्होंने पूरे विपक्ष को फिर से नई रणनीति बनाने पर मजबूर कर दिया है।

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