Mahakumbh 2025: नित-नए कीर्तिमानों का महाकुम्भ और पुण्य में बाजार का संगम

Mahakumbh 2025: धार्मिक अनुष्ठानों से लेकर पर्यावरण और सामाजिक समस्याओं तक, इस बार महाकुंभ हर पहलू में एक नया आयाम स्थापित करेगा।;

Written By :  Rakesh Achal
Update:2025-01-11 21:51 IST

Maha Kumbh of new records every day and confluence of market with virtue (Pic from Social Media )

Mahakumbh 2025: लिखना तो था 41 दिन से चल रहे किसान आंदोलन के बारे में लेकिन नहीं लिख रहा। लिखकर करूंगा भी क्या ? सरकार तो नींद से जागने के लिए रजामंद है नहीं। इसीलिए उत्तर पदेश में महाकुम्भ के दौरान बनाये जा रहे एक नए कीर्तिमान के बारे में लिख रहा हूँ। उत्तर प्रदेश में सरकार स्कूल,अस्पताल बनवाये या न बनवाये लेकिन नित- नए कीर्तिमान अवश्य बनवाती है । पहले सरकार ने सरजू तट पर दीपोत्स्व का कीर्तिमान बनाया। अब योगी जी की देखा-देखी बाबा लोग 51 करोड़ रुद्राक्षों से एक नया ज्योतिर्लिंग बनाकर नया कीर्तिमान बनाने जा रहे हैं। पहली बार महाकुम्भ का इस्तेमाल देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के औजार के रूप में किया जा रहा है।

खबर है की प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का उद्घाटन एक ऐसे खास नजारे से होगा, जिसका जिक्र इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा। यहाँ 5.51 करोड़ रुद्राक्ष और 11,000 त्रिशूल से सजे द्वादश ज्योतिर्लिंग को बनाने की तैयारी की जा रही है। सवा करोड़ दीपों से महाकुम्भ को रोशन किया जाएगा। सरकार का दावा है महाकुंभ और जंक्शन पर तैनात कोरस कमांडो की सुरक्षा, ये सब एक साथ मिलकर महाकुंभ को एक नई पहचान देंगे। धार्मिक अनुष्ठानों से लेकर पर्यावरण और सामाजिक समस्याओं तक, इस बार महाकुंभ हर पहलू में एक नया आयाम स्थापित करेगा। महाकुम्भनगर प्रयागराज में 5.51 करोड़ रुद्राक्ष और 11,000 त्रिशूल से द्वादश ज्योतिर्लिंग का भव्य शृंगार किया जाएगा। इसके साथ ही 108 हवन कुंडों में 125 करोड़ आहुति और 11 करोड़ वैदिक मंत्रों के उच्चारण से मेला क्षेत्र गूंज उठेगा और इस गूँज में दब जाएगा हर मुद्दा।

प्रयागराज में रहने वाले हमारे एक पत्रकार मित्र ने बताया है की प्रयागराज के सेक्टर 6 स्थित बजरंगदास मार्ग पर मौनी बाबा का भव्य शिविर तैयार हो रहा है, जहां शिविर में बनाए जा रहे द्वादश ज्योतिर्लिंगों का शृंगार 5.51 करोड़ रुद्राक्ष और 11,000 त्रिशूल से होगा। 13 जनवरी को प्रथम स्नान के दिन, मौनी बाबा संगम स्नान के लिए शिविर से निकलेंगे. इसके साथ ही, विशेष यज्ञ की भी तैयारियां की जा रही हैं, जो भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के संकल्प को लेकर होंगे। महाकुम्भ किसी अजायब से कम नहीं होगा,यहां आपको तेरह साल से एक हाथ ऊँचा किये बाबा मिलेंगे तो तीन साल से एक पैर पर खड़े बाबा भी। ये इन बाबाओं का हठयोग है। इससे देश को क्या हासिल हो रहा है ,ये बाबा ही जानते होंगे। हठयोग फुरसत का काम है।

आप को यकीन नहीं होगा लेकिन संगम तट पर बाबाओं एक नया लोक बन गया है। मेले में देश-दुनिया से पहुंचे हर बाबा की तपस्या के अलग रंग हैं। इसमें प्रतापगढ़ के चाय वाले बाबा सिविल सर्विसेज की फ्री कोचिंग-नोट्स देकर तो दिल्ली से आए महंत ओम तीन पहिये वाहन में किचन- बेडरूम बनाकर सुर्खियां बटोर रहे हैं।प्रतापगढ़ के चिलबिला के शिवशक्ति बजरंग धाम से आए चाय वाले बाबा का असली नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है। इन्होंने 40 साल पहले बोलना और अन्न ग्रहण करना त्याग दिया था। दिनभर में ये सिर्फ 10 चाय पीते हैं। ये चाय वाले बाबा अपने भक्तों को प्रसाद के रूप में भी यही चाय देते हैं। बाबा बीएससी किए हैं। इनके पिता प्राचार्य थे। उनके निधन के बाद दिनेश स्वरूप को शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति भी मिली थी। लेकिन नौकरी नहीं की। बाबा बन गए ,क्योंकि बाबा बनना आसान काम था ,नौकरी करना कठिन काम लगा इन्हें।

खुद नौकरी से पिंड छुड़ाने वाले ये बाबाजी सिविल सर्विसेज की फ्री कोचिंग देते हैं और व्हाट्सएप के जरिये छात्र-छात्राओं को नोट्स भी बनाकर उपलब्ध कराते हैं। व्हाट्सएप के जरिये ही छात्रों के प्रश्नों का बाबा उत्तर भी देते हैं। पूछने पर लिखकर बताते हैं कि विद्यार्थियों को शिक्षा देकर उन्हें अफसर बनाना ही मेरा उद्देश्य है। साथ ही मौन के सवाल पर जवाब देते हैं कि इससे ऊर्जा का संचय होता है, जो विश्व कल्याण के काम आती है।

कुम्भ अजुबिस्तान है क्योंकि यहां आपको जो देखने को मिलेगा वो कहीं नहीं मिलेग। न मक्का में और न मदीना में,न काशी में न मथुरा में। कुम्भ में दिल्ली से आए महंत ओम के तीन पहिये वाहन में किचन और बेडरूम है। इसी में आराम करते हैं और खाना भी बना लेते हैं। ड्राइविंग सीट के बगल में खाना बनाते हैं। उन्होंने बताया कि गाड़ी ही मेरा घर है। इसमें ही किचन है, साथ ही लेटने के लिए सीट भी बेड की तरह रखी गई है।

मेला प्राधिकरण दफ्तर के बाहर खड़ी यह गाड़ी तीन पहिये वाली है। बाबा कहना है कि वह इससे देश का भ्रमण करते हैं। उन्होंने बताया कि देश के किसी भी कोने में जाना होता है तो गाड़ी को चलाकर जाते हैं।जहां कहीं भी रुकना होता है तो गाड़ी में ही खाना बनाते हैं और विश्राम करते हैं। हालांकि, जमीन नहीं मिलने की वजह से वह मेला प्राधिकरण के बाहर रह रहे हैं। बाबा प्राधिकरण के अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं कि उनको भी जमीन आवंटित कर दी जाए, ताकि वह अपने कैंप में जाकर रह सके।

कुम्भ में फक्क्ड़ बाबा ही नहीं बल्कि वे लोग भी आ रहे हैं जिन्हें हर चीज पैसे से हासिल होती है । वे पुण्य भी पैसे से अर्जित करना चाहते है। खबर है की विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजन महाकुंभ में दुनिया की जिन अरबपतियों के ठहरने के लिए संगम की रेत पर महाराजा डीलक्स के अलावा अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त कॉटेज लगाए जा रहे हैं, उनमें एप्पल की मालकिन लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी शामिल हैं। एप्पल की मालकिन लॉरेन पॉवेल जॉब्स पौष पूर्णिमा पर प्रथम डुबकी के साथ संगम की रेती पर कल्पवास भी करेंगी।लॉरेन महाकुंभ के शुभारंभ के दिन आएंगी। उनके ठहरने की व्यवस्था निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के शिविर में की गई है। वह 29 जनवरी तक उनके शिविर में रहकर सनातन धर्म को समझेंगी। वे कैलाशानंद के शिविर में 19 जनवरी से शुरू हो रही कथा की पहली यजमान भी होंगी। लॉरेन पॉवेल जॉब्स एप्पल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स के निधन के बाद विरासत में मिली 25 बिलियन डॉलर की संपत्ति की मालकिन हैं।

इंफोसिस फाउंडेशन के संस्थापक नारायण मूर्ति की अरबपति पत्नी विख्यात समाजसेविका सुधामूर्ति भी महाकुंभ में डुबकी लगाएंगी। सुधामूर्ति के लिए उल्टा किला के पास कॉटेज तैयार किया जा रहा है। वह भी रेत पर प्रवास कर महाकुंभ की संस्कृति को समझेंगी।ओपी जिंदल समूह की चेयरपर्सन रहीं सावित्री देवी जिंदल भी महाकुंभ में आ रही हैं। इन महिलाओं के लिए स्वामी अवधेशानंद और चिदानंद मुनि के शिविरों में ठहरने की व्यवस्था की जा रही है। भाजपा संसद और सिने तारिका और सांसद हेमामालिनी भी डुबकी लगाएंगी। हेमामालिनी जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के शिविर में प्रवास करेंगी। वह संगम में डुबकी भी लगाएंगी।

अगर आप देश की गन्दी राजनीति और जानलेवा समस्याओं से आजिज आ गए हों तो इस महाकुम्भ में अवश्य जाइये। बाबाओं की इस दुनिया में दुनिया की कोई समस्या नहीं है ,शर्त एक ही है की आपकी जेब भरी हो ,डेबिट-क्रेडिट कार्ड हों। अब कुम्भ पुण्य क्षेत्र के बजाय बाजार बन चुका है। लेकिन यहां के अनुभव अनूठे और बेजोड़ हैं। आप समझ ही नहीं पाएंगे की इतनी भीड़ कुम्भ में डुबकी लगाकर अपने आपको पापों से मुक्त करने के लिए आती है?

( ये लेखक के निजी विचार हैं। लेखक स्वतंत्र स्तंभकार हैं।)

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