Politician Etela Rajender Wikipedia: मुदिराजु समुदाय और पिछड़े वर्गों के बड़े नेता माने जाते हैं इटेला राजेंदर: जानिए एक प्रख्यात तेलंगाना नेता की राजनीतिक यात्रा
Politician Etela Rajender Wikipedia: इटेला राजेंदर एक ऐसे राजनैतिक हैं जो मुदिराजु समुदाय और पिछड़े वर्गों के बड़े नेता माने जाते हैं। जानिए कैसी रही है उनकी राजनीतिक यात्रा।;
Politician Etela Rajender (Image Credit-Social Media)
Politician Etela Rajender: इटेला राजेंदर एक वरिष्ठ भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक मजबूत पहचान बनाई है। वे तेलंगाना आंदोलन के एक प्रमुख नेता रहे हैं और विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। इटेला मिट्टी से जुड़े नेता माने जाते हैं, जिन्होंने जमीनी स्तर पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई। वे विशेष रूप से मुदिराजु समुदाय और पिछड़े वर्गों (OBC) के बड़े नेता माने जाते हैं।
चुनावों में उनकी रणनीति और जनता के बीच लोकप्रियता के कारण वे कई बार हुजूराबाद से विधायक बने।वे 2021 तक तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के सदस्य थे, जिसके बाद वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। वर्तमान में, वे मलकाजगिरी लोकसभा सीट से सांसद हैं। इटेला राजेंदर की यात्रा एक छात्र नेता से लेकर वित्त और स्वास्थ्य मंत्री बनने, टीआरएस छोड़कर भाजपा में शामिल होने और लोकसभा सांसद बनने तक फैली हुई है। वे तेलंगाना में भाजपा के प्रमुख नेताओं में से एक बन चुके हैं और राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इटेला राजेंदर का व्यक्तिगत जीवन
इटेला राजेंदर का जन्म 20 मार्च 1964 को हनुमाकोंडा जिले के कमलापुर आंध्रप्रदेश(अब तेलंगाना) में हुआ था और उन्होंने 1984 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से बीएससी किया। वे जमुना राजेंदर के पति हैं, जो जमुना हैचरीज़ की मालिक हैं, और उनके दो बच्चे हैं—एक बेटा और एक बेटी। छात्र जीवन से ही इन्होंने राजनीति में प्रवेश किया।
राजनीतिक करियर
Politician Etela Rajender (Image Credit-Social Media)
प्रारंभिक राजनीतिक सफर और टीआरएस में भूमिका (2003-2010)
इटेला राजेंदर 2003 में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में शामिल हुए। वे वामपंथी विचारधारा वाले छात्र नेता के रूप में पहचाने जाते थे। 2004 में, उन्होंने आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में कमलापुर विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की और मौजूदा विधायक मुद्दसानी दामोदर रेड्डी को हराया। वे आंध्र प्रदेश विधानसभा में टीआरएस के फ्लोर लीडर बने। 2008 में, उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देकर उपचुनाव लड़ा और पुनः निर्वाचित हुए।
हुजूराबाद निर्वाचन क्षेत्र और तेलंगाना आंदोलन (2010-2014)
-2009 में, परिसीमन के कारण कमलापुर निर्वाचन क्षेत्र को हुजूराबाद विधानसभा क्षेत्र में मिला दिया गया। इटेला राजेंदर ने 2009 के चुनाव में हुजूराबाद से जीत हासिल की और 2010 में एक बार फिर विधायक पद से इस्तीफा देकर उपचुनाव में विजयी हुए। इस दौरान, वे तेलंगाना आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल रहे और तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर संघर्ष करते रहे।
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तेलंगाना का गठन और राज्य सरकार में भूमिका (2014-2021)
तेलंगाना के पहले वित्त मंत्री (2014-2018)
इटेला राजेंदर तेलंगाना राज्य के गठन के बाद, वे 2014 में के. चंद्रशेखर राव (KCR) सरकार में पहले वित्त मंत्री बने। इस दौरान, उन्होंने राज्य की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और विकास कार्यों के लिए बजट आवंटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तेलंगाना आंदोलन के अगुआ
इटेला तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के शुरुआती नेताओं में से एक थे और उन्होंने तेलंगाना राज्य के गठन के लिए संघर्ष किया। वे हमेशा तेलंगाना की स्वायत्तता और अलग राज्य की मांग के प्रबल समर्थक रहे हैं।
इस संघर्ष के कारण उन्हें के चंद्रशेखर राव (KCR) के करीबी सहयोगी के रूप में देखा जाता था।
मिला स्वास्थ्य मंत्री का पद (2019-2021)
-2018 में, इटेला राजेंदर फिर से हुजूराबाद से विधायक चुने गए और 2019 में तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री बने।कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को संभालने में अहम भूमिका निभाई।
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टीआरएस से अलगाव और भाजपा में शामिल होना (2021)
2021 में, राजेंदर पर मेडक जिले के अचम्पेट और हाकिमपेट गांवों में भूमि अतिक्रमण के आरोप लगे। इसके बाद मई 2021 में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया और फिर राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया। 4 जून 2021 को उन्होंने टीआरएस से इस्तीफा दे दिया और 12 जून को विधायक पद से भी त्यागपत्र दे दिया। 14 जून 2021 को इटेला राजेंदर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए।उसी वर्ष के अंत में हुजूराबाद उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की।
2023 विधानसभा चुनावों में हार
2023 में, इटेला राजेंदर ने हुजूराबाद और गजवेल दोनों सीटों से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। वे दोनों स्थानों पर भारत राष्ट्र समिति (BRS) के उम्मीदवारों से हार गए।
2024 लोकसभा चुनाव और भाजपा में नई भूमिका
2024 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने मलकाजगिरी सीट से चुनाव लड़ा। जिसमें इटेला राजेंदर कांग्रेस की पटनम सुनीता महेंद्र रेड्डी को 3,91,475 मतों के भारी अंतर से हराकर सांसद बने। इस जीत के साथ, वे तेलंगाना में भाजपा के एक प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे।
विवाद और संपत्ति विवरण
2018 के चुनावी हलफनामे के अनुसार, इटेला राजेंदर ने ₹42.41 करोड़ (2023 में ₹57 करोड़) की संपत्ति घोषित की और वे तेलंगाना के सबसे अमीर मंत्रियों में से एक थे। 2021 में भूमि अतिक्रमण के आरोपों के चलते उन्हें सरकार और पार्टी दोनों से हटाया गया। इटेला राजेंदर की राजनीतिक यात्रा संघर्ष, उतार-चढ़ाव और सफलता से भरी रही है। उन्होंने तेलंगाना आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, राज्य के पहले वित्त मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्य किया, लेकिन विवादों के चलते टीआरएस से अलग होकर भाजपा में शामिल हो गए। 2024 लोकसभा चुनाव में उनकी जीत ने उन्हें तेलंगाना में भाजपा के एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया।