Su Venkatesan Wikipedia: तमिल साहित्यकार और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सक्रिय राजनेता एस. वेंकटेशन
Su Venkatesan Biography in Hindi: एस. वेंकटेशन, जिन्हें सु. वेंकटेशन के नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु के एक प्रमुख तमिल लेखक, साहित्यकार और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सक्रिय राजनेता हैं।;
Su Venkatesan Biography in Hindi
Su Venkatesan Biography in Hindi: एस. वेंकटेशन, जिन्हें सु. वेंकटेशन के नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु के एक प्रमुख तमिल लेखक, साहित्यकार और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सक्रिय राजनेता हैं। वेंकटेशन पार्टी के राज्य समिति के सदस्य और पार्टी के पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं। वे तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ के राज्य मानद अध्यक्ष हैं।उनका जीवन साहित्य, संस्कृति और राजनीति के संगम का उत्कृष्ट उदाहरण है। उनकी लेखनी ने तमिल साहित्य को समृद्ध किया है, जबकि उनकी राजनीतिक सक्रियता ने समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका जीवन और कार्य इस बात के लिए प्रेरित करता है कि, साहित्य और राजनीति के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है, और यह कि एक व्यक्ति की प्रतिबद्धता और समर्पण समाज को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
व्यक्तिगत जीवन:
सु. वेंकटेशन का जन्म 16 मार्च 1970 को तमिलनाडु, को मदुरै के हार्वेपट्टी में आर. सुब्बुराम और नल्लामल के घर हुआ था । उन्होंने मुथुथेवर मुक्कुलाथोर हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई की और मदुरै के मन्नार थिरुमलाई नाइकर कॉलेज से बैचलर ऑफ कॉमर्स की डिग्री हासिल की। वह सेम्मलर पत्रिका के संपादक थे। सेम्मलार, सीपीआई (एम) की साहित्यिक पत्रिका है। उनका पालन-पोषण एक साधारण परिवार में हुआ, जहां शिक्षा और संस्कृति का विशेष महत्व था। बचपन से ही वे साहित्य और कला के प्रति आकर्षित थे, जिसने उनके भविष्य के मार्ग को निर्धारित किया।वेंकटेशन का विवाह 1998 में पी.आर. कमला से हुआ और उनकी दो बेटियां हैं जिनके नाम याझिनी और तमझिनी हैं।
साहित्यिक जीवन:
सु. वेंकटेशन का साहित्यिक सफर तमिल साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनकी लेखनी में तमिलनाडु की सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक विषयों की गहरी समझ देखने को मिलती है।
वेंकटेशन की साहित्यिक कृतियों में 'वेकाई' (गर्मी) नामक उपन्यास और 'कावल कोत्तम' (Kaval Kottam) विशेष रूप से उल्लेखनीय है। 2008 में प्रकाशित उनके पहले उपन्यास कवलकोट्टम को 2011 में तमिल के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था जिसे विकटन पुरस्कार भी दिया गया है। फिल्म अरावन इसी पर आधारित है। उनका दूसरा उपन्यास वीर युग नायकन वेलपारी तमिल लोकप्रिय पत्रिका आनंद विकटन में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ था । यह उपन्यास मदुरै शहर के इतिहास और उसकी सांस्कृतिक धरोहर को गहराई से प्रतिबिंबित करता है।'कावल कोत्तम' में, वेंकटेशन ने मदुरै की पुरानी पुलिस प्रणाली और सामाजिक संरचना का विस्तृत वर्णन किया है। उनकी लेखनी में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर भी गहन विचार किया गया है, जो उनकी राजनीतिक विचारधारा को प्रतिबिंबित करता है। इसके अलावा, वेंकटेशन ने तमिल साहित्य में अन्य महत्वपूर्ण कृतियों का भी योगदान दिया है, जिनमें 'वेकाई' (Vekkai) और (Theendaamarg Kadhai) शामिल हैं। इन रचनाओं में उन्होंने की जटिलताओं को उकेरा है। उनकी कहानियाँ और उपन्यास पाठकों को समाज की वास्तविकताओं से रूबरू कराते हैं और उन्हें सोचने पर मजबूर करते हैं। 2012 में तमिलन पुरस्कार होनहार सितारे, 2018 में वीरयुग नायगन वेलपारी उपन्यास के लिए विकटन पुरस्कार, 2019 में तमिल लिटरेरी गार्डन, कनाडा से आजीवन उपलब्धि के लिए इयाल पुरस्कार, 2019 में वीरयुग नायगन वेलपारी उपन्यास के लिए मगुदम पुरस्कार, 2020 में तन श्री के.आर. सोमा भाषा एवं साहित्यिक फाउंडेशन, मलेशिया से सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय तमिल कार्य पुरस्कार, 2023 में वीरयुग नायगन वेलपारी उपन्यास के लिए सीकेके साहित्य पुरस्कार जैसे कई नामचीन पुरस्कार हासिल हो चुके हैं।
राजनीतिक जीवन:
साहित्य के साथ-साथ, सु. वेंकटेशन का राजनीतिक जीवन भी उतना ही समृद्ध और प्रभावशाली है। वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के तमिलनाडु राज्य समिति के सदस्य हैं और पार्टी के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय हैं। उनकी राजनीतिक सक्रियता का मुख्य उद्देश्य सामाजिक न्याय, समानता और वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना है। वेंकटेशन ने 2019 के लोकसभा चुनाव में मदुरै निर्वाचन क्षेत्र से सीपीआई (एम) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और विजयी हुए, जिससे वे संसद सदस्य बने। मदुरै संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले सु वेंकटेशन ने 4,47,075 (44 प्रतिशत) वोट हासिल किए और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी (एआईएडीएमके उम्मीदवार) को 1,34,119 वोटों के अंतर से हराया। उनकी जीत ने मदुरै में सीपीआई (एम) की उपस्थिति को मजबूत किया और क्षेत्र में वामपंथी राजनीति को नया आयाम दिया।
संसदीय योगदान:
सांसद के रूप में, वेंकटेशन ने संसद में तमिलनाडु के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया है। उन्होंने राज्य की 3000 वर्षों की प्रगतिशील विचारधारा की विरासत को संसद में प्रस्तुत किया, जिससे तमिलनाडु की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर को राष्ट्रीय मंच पर पहचान मिली।
सांस्कृतिक संरक्षण:
वेंकटेशन ने तमिलनाडु की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और संवर्धन के लिए सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने केंद्रीय संस्कृति समिति में दक्षिण भारत, पूर्वोत्तर, अल्पसंख्यक, दलित या महिलाओं का प्रतिनिधित्व न होने पर सवाल उठाया, जिससे क्षेत्रीय और सांस्कृतिक विविधता के महत्व को रेखांकित किया गया।
सार्वजनिक छवि:
सु. वेंकटेशन की सार्वजनिक छवि एक समर्पित, सुलभ और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील नेता की है। उनकी साहित्यिक पृष्ठभूमि और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया है। सांसद के रूप में, उन्होंने मदुरै और तमिलनाडु के व्यापक हितों के लिए निरंतर कार्य किया है, जिससे उनकी छवि एक जन-नेता के रूप में स्थापित हुई है।
तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ के साथ संबंध:
सु. वेंकटेशन तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ के राज्य मानद अध्यक्ष भी हैं। इस संगठन के माध्यम से, वे साहित्य और कला के क्षेत्र में प्रगतिशील विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत हैं। उनका मानना है कि साहित्य और कला समाज में परिवर्तन लाने के महत्वपूर्ण साधन हैं, और वे इन माध्यमों का उपयोग सामाजिक न्याय और समानता के संदेश को फैलाने के लिएr करते हैं। सु. वेंकटेशन का जीवन साहित्य, संस्कृति और राजनीति के क्षेत्र में समर्पण और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उनकी लेखनी ने तमिल साहित्य को समृद्ध किया है, जबकि उनकी राजनीतिक सक्रियता ने समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका जीवन और कार्य हमें यह संदेश देते हैं कि साहित्य और राजनीति के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है, और यह कि एक व्यक्ति की प्रतिबद्धता और समर्पण समाज को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।