पायलट के इनकार के बाद भी पार्टी में लेने के लिए क्यों लालायित है बीजेपी, यहां जानें

राजस्थान की राजनीति के लिए आज का दिन बेहद ही अहम साबित होने वाला है। सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच खींचतान आज खत्म हो सकती है।

Update:2020-07-14 12:34 IST

जयपुर: राजस्थान की राजनीति के लिए आज का दिन बेहद ही अहम साबित होने वाला है। सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच खींचतान आज खत्म हो सकती है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पायलट अभी भी सीएम बनने की जिद पर अड़े हुए हैं। जबकि अशोक गहलोत कुर्सी से हटने को तैयार नहीं हैं। वही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को राजस्थान की कमान सौंप दी गई है।

उन्हें जल्द इस पूरे मसले को सुलझा लेने को कहा गया है। कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट से कहा है कि आगे कोई भी बात बढ़ाने से पहले वे जयपुर में विधायक दल की बैठक में शामिल हों।

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राजस्थान घटनाक्रम पर बीजेपी बनाये हुए है नजर

प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान कांग्रेस में जो कुछ भी घटनाक्रम चल रहा है, उस पर बीजेपी बारीकी से नजर बनाये हुए है।

सचिन पायलट ने भले ही बीजेपी में शामिल होने की बात से इनकार कर दिया हो लेकिन बीजेपी पायलट की तरफ अभी भी देख रही है और उन्हें हाथों हाथ लेने को उतारू है।

इसकी एक वजह उनका बढ़ता जनाधार है। वह अगर बीजेपी के साथ आए तो उसे कम कम से कम 49 सीटों का लाभ दिला सकते हैं।

पूर्वी राजस्थान की 49 सीटों पर पायलट का दबदबा

राजस्थान की राजनीति को करीबी से देखने वाले जानकार कहते हैं कि सचिन पायलट का राजस्थान की 49 विधानसभा सीटों पर दबदबा है। राजस्थान में कांग्रेस की जीत में गुर्जर और मीणा की अहम भूमिका हमेशा से रही है। वह खुद गुर्जर हैं।

गौरतलब है कि राज्य की आबादी में 9 प्रतिशत के करीब गुर्जर तो 7 से 8 प्रतिशत के करीब मीणा हैं। अगर दोनों को साथ मिलाकर देखें तो पूर्वी राजस्थान की 49 विधानसभा सीटों पर उनका सीधा प्रभाव है। दौसा, सवाई माधोपुर, भरतपुर, जयपुर ग्रामीण और करौली में दोनों ही जातियों की प्रभावशाली मौजूदगी है। दोनों को साथ लाने के लिए सचिन पायलट ने कोई कसर नहीं छोड़ी।

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49 में से 42 सीटों पर कांग्रेस की जीत के शिल्पी रहे पायलट

यहां ये भी बता दें कि राजस्थान चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने में पायलट की बड़ी भूमिका रही है। ये सचिन पायलट ही हैं जो सूबे की सियासत के परंपरागत जातिगत समीकरण को ध्वस्त कर नई इबारत लिखने में कामयाब हुए।

इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में गुर्जर और मीणा का गढ़ कहे जाने वाले पूर्वी राजस्थान में बीजेपी का अता –पता ही नहीं चला।

यहां की 49 में से 42 सीटों पर कांग्रेस के पंजे में आई। बीजेपी को यहां शिकस्त इतनी भारी पड़ी कि उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा। इसकी बड़ी वजह गुर्जर और मीणा दोनों ही वोटरों का कांग्रेस के साथ जाना था जो कुछ साल पहले तक असंभव सा लगता था।

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