Ram Prakash Gupta: सुनहु भरत भावी प्रबल

Ram Prakash Gupta: यह एक हक़ीक़त है। इस हक़ीक़त का सीधा रिश्ता उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता जी से जुड़ता है।

Written By :  Yogesh Mishra
Published By :  Divyanshu Rao
Update:2021-11-17 22:13 IST

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की तस्वीर राम प्रकाश गुप्ता (फोटो:सोशल मीडिया)

Ram Prakash Gupta: भाग्य व कर्म का द्वंद्व हर आदमी के जीवन का कई बार हिस्सा बनता बिगड़ता रहता है। सफलता उसे कर्मयोद्धा होने की ओर खिंचती है, तो असफलता उसे भाग्य को कोसने का मौक़ा देती है। पूरे जीवन आदमी यह तय नहीं कर पाता है कि वह कर्म के भोग को भोग रहा है या भोग के लिए कर्म कर रहा है। पर तमाम बार हमारे आसपास कई ऐसी घटनायें घटती हैं, जो हमें प्राय: भाग्य व भगवान के भरोसे लाकर खड़ा कर देती है।

यह एक हक़ीक़त है। इस हक़ीक़त का सीधा रिश्ता उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता जी से जुड़ता है। राम प्रकाश जी संविद सरकार में उपमुख्यमंत्री थे। 1993 में लखनऊ मध्य से विधायक थे। सुनहु भरत भावी प्रबल

Ram Prakash Gupta Wikipedia - 1996 में जब विधानसभा का चुनाव हुआ तो उन्हें पार्टी ने टिकट ही नहीं दिया। पर राम प्रकाश ( जी की वरिष्ठता को देखते हुए अटल बिहारी वाजपेयी जी ने उन्हें चुनाव न लड़ने को लिए राज़ी किया। अटल जी ने कहा,"राम प्रकाश तुम्हारा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है।" वैसे कहा तो यह जाता है कि लखनऊ की किसी सीट से लालजी टंडन जी को चुनाव लड़वाने के लिए व्यापक स्तर पर बदलाव के राम प्रकाश जी शिकार हो गया।

पर टिकट न मिलने के बाद भी राम प्रकाश जी पार्टी कार्यालय लगातार आते रहते थे। उन दिनों चुनाव की ज़िम्मेदारी रमापति राम त्रिपाठी पर थी। राम प्रकाश जी (Ram Prakash Gupta political career) रमापति जी का सहयोग करने लगे। एक दिन पार्टी कार्यालय में दक्षिण भारत से अम्मा जी के एक अनुयायी आ धमके। कार्यालय में रमापति जी और राम प्रकाश जी बैठे थे। तभी अम्मा जी के अनुयायी ने कमरे में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि हमें अम्मा जी ने भेजा है कि मैं वहाँ जाकर भाजपा का प्रचार करूँ।

राम प्रकाश गुप्ता की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

हमें किसी तरह आप लोग अमेठी भेजवा दें। सुना है वहाँ कोई होटल आदि नहीं है। ऐसे में वहाँ रूकने की व्यवस्था भी करा दें। बाकी खाने खर्चे का पैसा हमारे पास है। रमापति जी ने भारत जी को बुलवाया। कहा इन्हें अमेठी तक भिजवाने की व्यवस्था करें। उसी समय प्रचार सामग्री एक जीप पर अमेठी ले जाने के लिए लोड हो रही थी। यह बात भारत जी ने रमापति जी को बतायी।

पर इससे पहले कमरे में बैठे रहने के दौरान अम्मा के भक्त ने राम प्रकाश गुप्ता जी से हाथ दिखाने को कहा। हालाँकि राम प्रकाश जी भी कुंडली के ख़ासे विद्वान थे। पर किसी ज्योतिष के आगे हाथ खोलने से कोई पीछे कैसे रह सकता है। उन्होंने अपनी हथेली सामने वाले टेबुल पर खोल कर रख दी। उस आदमी ने अपनी मुट्ठी भींची। तीन बार टेबुल पर मार कर कहा," आपको बड़ी कुर्सी पर जाना है। बड़ी कुर्सी पर जाना है। आपको बड़ी कुर्सी पर जाना है।" यह वाक्य अभी पूरा हुआ ही था कि भारत जी कमरे में आये, बोले, " जीप स्टार्ट है। इन्हें भेजिये।" उन्हें जीप के आगे बैठा कर अमेठी के लिए रवाना कर दिया गया। संजय सिंह जी के यहाँ उनके रूकने की व्यवस्था करवा दी गयी।

बात आई, गई, हो गयी। पर उस पर भरोसा केवल राम प्रकाश जी को ही था। रमापति जी को नहीं। राम प्रकाश जी के भी भरोसे का कारण उनकी अपनी ज्योतिषीय दक्षता थी। राम प्रकाश जी की सक्रिय राजनीति को विराम लग गया। पर सूबे में बसपा व भाजपा की मिली जुली सरकार बन गयी। छह छह माह के मुख्यमंत्री दोनों दलों से होने का फ़ार्मूला अपनाया गया। पहले बसपा की मायावती जी मुख्यमंत्री बनीं। पर छह माह बाद भाजपा के मुख्यमंत्री बनने का अवसर न देकर मायावती जी ने कैबिनेट की बैठक में विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पास करके राज्यपाल को भेज दिया।

उन दिनों राजनाथ सिंह जी भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष थे। उन्होंने बसपा व कांग्रेस में तोड़फोड़ करके भाजपा की सरकार बना कर दिखा दिया। कल्याण सिंह जी मुख्यमंत्री बने। कल्याण सिंह जी व अटल बिहारी जी के बीच मतभेद बढ़े। कल्याण सिंह जी को मुख्यमंत्री पद से विदा होना पड़ा। अटल जी राजनाथ सिंह जी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। पर कल्याण सिंह जी को अपने उत्तराधिकारी के रूप में राजनाथ जी के नाम पर आपत्ति थी।

Ram Prakash Gupta political career - राजनाथ जी ने कलराज मिश्रा जी को मुख्यमंत्री बनवाने की मुहिम शुरू दी। अटल जी से बात हो गयी। वह जब पूरी तरह मुतमईन हो गये तब उन्होंने यह बात रमा पति राम त्रिपाठी जी से कही। राजनाथ जी को जब दिल्ली बुलाया गया तब उन्होंने दो टिकट कराये। अपना व कलराज जी का। बिना बताये वह रमापति जी को लेकर कलराज जी के घर जा धमके। उनसे कहा, चलिये दिल्ली घूम आयें। कलराज जी को उन्होंने बताया कि उनके पास दोनों लोगों का टिकट हैं। राजनाथ जी, कलराज जी और रमापति जी एक ही कार से निकले। रमापति जी सेक्यूरिटी चेक अप के बैरियर से वापस लौट आये।

दोनों लोग दिल्ली पहुँचे। पर तब तक फ़ैसला बदला जा चुका था। कलराज जी की जगह राम प्रकाश गुप्ता जी का नाम सामने आ गया था। चूँकि राजनाथ जी ने कलराज जी से कुछ बताया नहीं था, इसलिए उन्हें कोई दिक़्क़त नहीं हुई। रामप्रकाश गुप्ता जी का नाम भी बैठक में डॉ.मुरली मनोहर जोशी जी ने रखा था। दोनों लोग इलाहाबाद विश्वविद्यालय में समकालीन व सहयोगी थे। मीटिंग में पहुँचने से पहले ही दिल्ली एयरपोर्ट पर राजनाथ जी को कुशाभाऊ ठाकरे जी के फ़ोन से सूचना मिली। ठाकरे जी उस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उन्होंने राजनाथ जी से कहा कि वह राम प्रकाश गुप्ता जी को दिल्ली लाने की व्यवस्था करें। राजनाथ जी ने इस काम के लिए फिर रमापति राम जी को लगाया।

रमापति जी, रामप्रकाश जी के घर गये। राम प्रकाश जी बंडी पहने टीवी देख रहे थे। रमापति जी ने उन्हें बताया कि अम्मा के चेले की बात सही हो गयी। आप दिल्ली जाने को तैयार हो जायें। राम प्रकाश जी के लिए भरोसा करने व न करने दोनों तरह की बात थी। उनके ज्योतिष के हिसाब से भी उन्हें मुख्यमंत्री बनना था। रमापति जी ने राम प्रकाश गुप्ता जी को एयरपोर्ट ले जाकर दिल्ली के लिए रवाना करवा दिया। राम प्रकाश जी मुख्यमंत्री बन गये।

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