हिमाचल चुनाव : गुरु-चेले की लड़ाई में हिमाचल की हॉटेस्ट सीट का हाल

Update: 2017-10-27 08:37 GMT

वेद प्रकाश सिंह की रिपोर्ट

शिमला। ‘हमीं से सीखी है तहकीक-ए- उल्फत, हमीं पे आज बिजली गिराई है’ गम में डूबे किसी शायर की यह लाइनें आज हिमाचल चुनाव की सबसे हॉट सीट के उम्मीदवार और 10 साल सत्ता संभालने वाले प्रेम कुमार धूमल के हालात को बयां कर रही हैं। धूमल आज अपने चेले से ही दो-दो हाथ करने को मजबूर हैं जिसे उन्होंने कभी राजनीति के दांव पेंच सिखाये थे।

मामला है सुजानपुर विधानसभा सीट का जहां गुरु चेला एक दूसरे के वर्चस्व को चुनौती दे रहे हैं। राजनीति के धुरंधर धूमल के खिलाफ कांग्रेस का झंडा बुलंद करने वाले राजेन्द्र राणा पिछले चुनाव में बीजेपी के मंसूबों को निर्दलीय ही पस्त कर चुके हैं। उनके सामने हैं भाजपा के कद्दावर नेता और सीएम पद के दावेदारों में एक प्रेम कुमार धूमल।

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निर्दल लडक़र खुद को किया साबित

राजेंद्र राणा और प्रेम कुमार धूमल के रिश्तों में दरार 2012 के विधानसभा चुनाव में आयी। इस चुनाव में राजेंद्र राणा ने सुजानपुर सीट से टिकट की दावेदारी जताई लेकिन बीजेपी उन्हें टिकट नहीं दिया। नाराज राणा ने सुजानपुर से निर्दलीय पर्चा भर दिया और सभी को धूल चटाते हुए जीत दर्ज की। जब कांग्रेस बहुमत में आयी तो वीरभद्र सिंह सीएम बने और राजेंद्र राणा उन्हें बाहर से समर्थन देकर उनके विश्वासी बन गए। इस एहसान का बदला कांग्रेस ने उन्हें इस बार टिकट देकर पूरा किया।

लेन-देन की बात के बाद बढ़ी थी दूरी

धूमल सरकार के दौरान शिमला में एक होटल में कथित तौर परपैसे के लेन-देन को लेकर धूमल और उनके परिवार पर उठी अंगुलियों के चलते राणा ने बीजेपी से किनारा कर लिया था। बीजेपी द्वारा राणा को टिकट न देने की एक वजह यह भी मानी गयी थी। राणा को धूमल ने प्रदेश मीडिया सलाहकार समिति का अध्यक्ष भी बनाया था।

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पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल हमीरपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ते थे। लेकिन इस बार उन्हें सुजानपुर से टिकट दिया गया है। एक तरफ पुराने दिग्गज का अंतिम समय में क्षेत्र बदल देना। दूसरे आमने सामने गुरू चेले की लड़ाई और तीसरे धूमल का राजनैतिक कद। अगर कहीं धूमल इस चुनाव में उलटफेर का शिकार हो गए तो एक साथ कई कयासों पर विराम भी लग सकता है। हमीरपुर से भाजपा ने कद्दावर नेता जगदेव ठाकुर के बेटे नरेंद्र ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है।

नजर ओबीसी पर

विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल हिमाचल में ओबीसी के करीब 18 फीसदी वोट बैंक को केंद्रित कर सियासी अखाड़े में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। ओबीसी कोटे में कोटा देने और केंद्रीय मंत्री एवं राष्ट्रपति बनने की दौड़ में शामिल रहे ओबीसी के कद्दावर भाजपा नेता थावर चंद गहलोत को हिमाचल प्रभारी बनाने की रणनीति भी चुनाव में सियासी फसल काटने के संकेत दे रही है।

एक वक्त करीब एक दर्जन ओबीसी विधायकों का आंकड़ा वर्ष 2012 में घटकर करीब 4 रहने का रंज लिए ओबीसी समुुदाय ने चुनाव से पहले ‘घृत बाहती चाहंग महासभा’ का गठन कर हिमाचल की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। 18 फीसदी ओबीसी वोट बैंक हिमाचल के 7 जिलों की करीब 29 सीटों पर खासा प्रभाव डालता है। महासभा के प्रदेशाध्यक्ष श्रीकंठ चौधरी का कहना है कि राजनीतिक दल ओबीसी समुदाय की अनदेखी करते हैं। टिकट आवंटन में भी समुदाय नजरअंदाज हो रहा है।

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कांगड़ा और ऊना में सबसे ज्यादा ओबीसी

ओबीसी कल्याण निगम के अनुसार कांगड़ा जिले में 50, ऊना में 40, सिरमौर में 19, हमीरपुर में 22, शिमला में 3.8, सोलन में 11, मंडी 5, चंबा में 3, बिलासपुर में 7 और कुल्लू जिले में 2 फीसदी ओबीसी समुदाय के लोग रहते हैं।

ऊना के हरोली, ऊना और गगरेट, सिरमौर के नाहन और पांवटा साहिब, सोलन के नालागढ़ और दून, मंडी के जोगिंद्रनगर, मंडी, सुंदरनगर, हमीरपुर के नादौन, सुजानपुर में ओबीसी वोट बैंक का दबदबा है।

कांगड़ा की बैजनाथ, जयसिंहपुर और इंदौरा को छोडक़र 13 विस सीटों पर ओबीसी का प्रभाव है। नगरोटा बगवां और कांगड़ा में 60-60 फीसदी वोट बैंक ओबीसी वर्ग का है। सुलह में 40, धर्मशाला में 40, शाहपुर में 50, जवाली में 45, देहरा में 20, नूरपुर में 20, सुलह में 50, पालमपुर में 15, फतेहपुर में करीब 13 फीसदी वोट बैंक ओबीसी वर्ग का है। यानी, हिमाचल में किसी भी दल को सत्ता की चाबी ओबीसी वोट बैंक के पास है।

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भाजपा-कांग्रेस के स्टार प्रचारक

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, स्मृति ईरानी के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, शिवराज सिंह चौहान आदि शामिल हैं। भाजपा के स्टार प्रचारकों में कुल 40 नेताओं को जगह दी

गई है।

कांग्रेस की ओर से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, अंबिका सोनी, सुशील कुमार शिंदे सहित 40 स्टार प्रचारक उतारे जाएंगे।

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