UP Politics: सपा-सुभासपा के रास्ते अलग होने के संकेत, खुलने लगी सपा गठबन्धन की परतें
UP Politics: उत्तर प्रदेश मेंं समाजवादी पार्टी गठबन्धन की परतें खुलना शुरू हो गयी। विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के साथ गठबन्धन कर चुनाव लड़ने वाले छोटे दलों ने अखिलेश यादव का साथ छोड़ना शुरू कर दिया है।
UP Politics: उत्तर प्रदेश मेंं समाजवादी पार्टी गठबन्धन (Samajwadi Party Alliance) में दरार काफी दिनों से देखने को मिल रही थी। पर आज इसके परते खुलना शुरू हो गयी। विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव (के साथ गठबन्धन कर चुनाव लड़ने वाले छोटे दलों ने अखिलेश यादव का साथ छोड़ना शुरू कर दिया है। आज महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य के साथ छोड़ने के बाद अब जल्द ही सुहेलदेव समाज पार्टी भी साथ छोड़ने को तैयार हैं। वहीं जनवादी पार्टी भी जल्द फैसला लेगी। चाचा शिवपाल सिंह यादव पहले ही अलग अखिलेश यादव से अलग चल रहे हैं।
विधान परिषद की रिक्त सीटों को लेकर हुई अनबन
दरअसल विधानपरिषद के लिए रिक्त हो रही 13 सीटों के चुनाव को लेकर सहयोगी दलों को इस बात की उम्मीद थी कि उन्हे भी एक सीट मिलेगी। सुहेलदेव समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर चाहते थें कि उनके दो बेटों में से किसी एक बेटे को विधानपरिषद मेंं भेजा जाएगा पर आज जब अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के चारों प्रत्याशियों को उम्मीदवार बना दिया तो सहयोगी दलों का नाराज होना जायज था। सुभासपा का कहना था कि 38 सीटों पर राष्ट्रीय लोक दल ने चुनाव लड़ा था, जिनमें से सिर्फ 8 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं सुभासपा ने सिर्फ 16 सीटों पर चुनाव लड़ा और छह सीटों को जीता। इसलिए परफारेंस को देखा जाए तो हमारे दल का परफारेंस ज्यादा अच्छा है। उसके बाद भी उन्हे मौका नहीं दिया गया।
सपा गठबंधन में उनकी कहीं जगह ही नहीं है: केशव मौर्य
हालांकि महान दल के केशव मौर्य का मामला अलग है उनका कहना है कि गठबंधन से वह इसलिए अलग होना चाहते हैं क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि सपा गठबंधन में उनकी कहीं जगह ही नहीं है। जब से वह गठबंधन में आए हैं। तबसे वह सपा सरकार बनाना चाहते थे लेकिन अखिलेश यादव की तरफ से उन्हें कभी तवज्जो नहीं मिला। केशव देव ने आगे कहा कि उन्होंने सपा अध्यक्ष के किसी फैसले पर सवाल नहीं खड़े किए. कभी उनके खिलाफ आवाज नहीं उठाई. खराब सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार रहे।
जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय चौहान भी नाराज बताए जा रहे हैं। उनका कहना है कि अखिलेश यादव ने वादा किया था कि आपको विधान परिषद भेजा जाएगा। लेकिन आज उन्होंने वह वादा भी तोड़ दिया। जिसके कारण पार्टी हमारे कार्यकर्ता बहुत ज्यादा नाराज हैं। हम जल्द ही बैठक करके गठबन्धन तोड़ने का फैसला करेगें।