ममता से दोस्ती और कांग्रेस से दूरी, पश्चिम बंगाल में राजद की बड़ी सियासी चाल
वैसे तो पश्चिम बंगाल में राजद की सियासी जमीन ज्यादा मजबूत नहीं है। इसलिए देखने वाली बात यह होगी कि राजद के प्रस्ताव पर ममता की क्या प्रतिक्रिया होती है।
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जवाब देने के लिए राष्ट्रीय जनता दल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ चुनाव मैदान में उतर सकता है। राजद ने ममता बनर्जी के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरने की इच्छा जताई है।
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वैसे तो पश्चिम बंगाल में राजद की सियासी जमीन ज्यादा मजबूत नहीं है। इसलिए देखने वाली बात यह होगी कि राजद के प्रस्ताव पर ममता की क्या प्रतिक्रिया होती है। तृणमूल कांग्रेस की ओर से अभी तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है। राजद का यह कदम इसलिए भी काबिले गौर है क्योंकि उसने कांग्रेस से दूरी बनाकर ममता से दोस्ती में दिलचस्पी दिखाई है।
राजद को दिख रहीं सियासी संभावनाएं
जहां तक राजद का सवाल है तो राजद ने पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है मगर वह भाजपा के खिलाफ ममता के साथ मोर्चा बनाने का इच्छुक है। इस सिलसिले में राजद के दो बड़े नेताओं अब्दुल बारी सिद्दीकी और श्याम रजक ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करके चर्चा की है। बिहार के बगल का राज्य होने के कारण राजद को पश्चिम बंगाल में सियासी संभावनाएं नजर आ रही हैं।
असम में भी चुनाव लड़ने की इच्छा
इस बाबत पार्टी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि हम पहले भी बंगाल में चुनाव लड़ते रहे हैं और हमारे वहां विधायक भी चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि हम इस बार भी विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं और हमने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है।
राजद नेता श्याम रजक ने कहा कि पार्टी बंगाल के साथ ही असम में भी चुनाव लड़ने की इच्छुक है और दोनों ही राज्यों में चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही है।
कांग्रेस और लेफ्ट से अलग राह
सियासी जानकारों का कहना है कि राजद की ओर से बंगाल के चुनाव में अलग रणनीति अपनाई जा सकती है। बिहार के चुनाव में राजद ने कांग्रेस और वाम दलों दोनों से हाथ मिलाया था।
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वाम मोर्चा मिलकर ममता और भाजपा की चुनौतियों से लड़ने में जुटे हैं। ऐसे में अगर राजद ने ममता से हाथ मिलाया तो बंगाल में राजद की राह कांग्रेस और वामपंथी दलों से अलग हो जाएगी।
देखने वाली बात यह होगी कि राजद के साथ छोड़ने पर कांग्रेस और वामदलों की क्या प्रतिक्रिया होती है और इसका असर बिहार में बने विपक्षी महागठबंधन पर पड़ता है या नहीं।
कांग्रेस और वाम दलों का गठबंधन
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि पश्चिम बंगाल के विकास के लिए ममता और भाजपा दोनों को रोकना जरूरी है। कांग्रेस ने इन दोनों को रोकने के लिए वामदलों से हाथ मिलाकर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है। दोनों दलों में अधिकांश सीटों पर सीट शेयरिंग का फार्मूला भी तय हो चुका है। केवल मुर्शिदाबाद और आसपास की 22 सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि कांग्रेस और वाम दल में सीटों को लेकर कोई विवाद नहीं पैदा होगा और हम आपसी बातचीत से सारे विवादों को हल कर लेंगे।
इन सीटों पर है राजद की नजर
पश्चिम बंगाल में ऐसे मतदाताओं की काफी संख्या है जो बिहार के रहने वाले हैं। राजद की नजर खास तौर पर ऐसी सीटों पर लगी हुई है जहां बिहार के मतदाता अच्छी खासी संख्या में है। जानकारों के मुताबिक कोलकाता, जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी, चितरंजन और वर्धमान जैसी जगहों पर बिहार के रहने वाले लोगों की संख्या काफी है। राजद को लग रहा है कि ऐसी सीटों पर प्रत्याशी उतारकर उसे सियासी फायदा हो सकता है।
इसके साथ ही राजद बिहार में भाजपा के हाथों में लगी चोट का हिसाब भी बराबर करना चाहता है। राजद ने भाजपा का खेल बिगाड़ने के लिए ममता से हाथ मिलाने का फैसला किया है। अब ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि ममता की ओर से राजद के प्रस्ताव पर क्या प्रतिक्रिया जताई जाती है।
पीएम के दौरे से गरमाएगा माहौल
भाजपा की ओर से तगड़ी घेरेबंदी के कारण चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। हाल के दिनों में भाजपा ने टीएमसी के कई विधायकों और अन्य नेताओं को तोड़कर ममता बनर्जी को गहरा झटका दिया है। भाजपा की चुनौतियों से निपटने के लिए ममता भी लगातार दौरे कर रही हैं और चुनावी रणनीति बनाने में जुटी हुई हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 7 फरवरी को पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचने वाले हैं। वे तीन बड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। सियासी जानकारों के मुताबिक पीएम के दौरे के बाद राज्य में चुनावी माहौल और गरमा जाएगा।
रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी
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