Punjab Election 2022: किसान संगठनों में फूट, सीट बंटवारा बना बड़ी वजह
Punjab Assembly Election 2022: गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Singh Chaduni) की संयुक्त संघर्ष पार्टी (एसएसपी) और बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) के संयुक्त समाज मोर्चा (एसएसएम) के बीच गठबंधन की बातचीत सीटों के बंटवारे (seat sharing) को लेकर टूटने की कगार पर पहुंच गई है।
Punjab Election 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) में किसान संगठन (Farmers Organization) भी मैदान में हैं लेकिन इनके बीच बात बनने से पहले ही बिगड़ रही है। गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Singh Chaduni) की संयुक्त संघर्ष पार्टी (एसएसपी) और बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) के संयुक्त समाज मोर्चा (एसएसएम) के बीच गठबंधन की बातचीत सीटों के बंटवारे (Seat Sharing) को लेकर टूटने की कगार पर पहुँच गयी है। अपने संगठन के लिए 25 सीटों की मांग करने वाले चढूनी का दावा है कि एसएसएम उनके संगठन और इससे जुड़े अन्य सभी किसानों और श्रमिक संगठनों के लिए मात्र 9 सीटों की पेशकश कर रहा है।
चढूनी ने कहा है कि - वे हमें केवल नौ सीटों की पेशकश कर रहे हैं। मैंने राजेवाल जी से हमें कम से कम 25 सीटें देने को कहा। या तो वे हमें हमारा उचित हिस्सा दें या नहीं तो हम अपने उम्मीदवारों को अलग से खड़ा करने के लिए मजबूर होंगे।
चढूनी ने 25 सीटों की मांग की थी
एसएसएम (SSM) ने एसएसपी (SSP) के साथ सीट बंटवारे की फार्मूले पर निर्णय लेने के लिए एक समिति का गठन किया था। 9 जनवरी को चढूनी ने एसएसएम के साथ चुनाव समझौते के लिए बातचीत की थी और उसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी के 10 उम्मीदवारों की निर्धारित घोषणा को रोक दिया। एक वीडियो संदेश में चढूनी ने कहा है कि उन्होंने 25 सीटों की मांग की थी, लेकिन एसएसएम ने पांच सीटों से शुरू होकर, एसएसपी से जुड़े सभी संगठनों को केवल नौ सीटों की पेशकश कर रहा है। चढूनी के साथ जो संगठन हैं उनमें सांझा सुनेहरा पंजाब, पंजाब किसान दल, यूनाइटेड रिपब्लिक पार्टी, टैक्सी यूनियन पंजाब और भारती रिपब्लिक पार्टी शामिल हैं।
इस बार के चुनाव में इन सभी की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं। चढूनी ने कहा है कि वे पिछले छह महीनों से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं और उनके पास 40-50 सीटों के लिए उम्मीदवार हैं। चढूनी का कहना है कि राजेवाल गुट, एसएसएम के गठन के बाद से उन्हें नजरअंदाज कर रहा है जबकि हम एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहते हैं।
इस बीच दिल्ली में कामयाब किसान आंदोलन (Peasant Movement) की अगुवाई करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा की आज हुई बैठक में तय किया गया कि पंजाब में चुनाव लड़ने वाले 22 सहयोगी संगठनों को मोर्चा से बहार कर दिया जाएगा। आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे बलबीर राजेवाल ही पंजाब में चुनाव लड़ने वाले 22 किसान संगठनों की अगुवाई कर रहे हैं।
फ्लोटिंग वोट खींच सकते हैं किसान संगठन
पंजाब चुनाव में सभी दलों, खासकर आम आदमी पार्टी के लिए किसान संगठनों के प्रत्याशी नुकसान कर सकते हैं क्योंकि अंतिम समय तक फैसला न करने वाले मतदाता यानी फ्लोटिंग वोट किसान प्रत्याशियों के खाते में जा सकता है। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इस बात को स्वीकार भी किया है। केजरीवाल को उम्मीद थी कि किसान संगठनों के नेतृत्व वाले संयुक्त समाज मोर्चा (एसएसएम) और आम आदमी पार्टी के बीच चुनावी गठबंधन हो जाएगा लेकिन बात बन नहीं पाई।