Punjab election 2022: अनुसूचित जाति के मतदाता बने पंजाब की सियासत का केंद्र, चुनाव में बनेंगे निर्णायक
Punjab Assembly Election 2022: पंजाब के विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जाति के मतदाता महत्वपूर्ण बना है। पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर 20 फरवरी को चुनाव होना है। पंजाब चुनावों को लेकर सभी पार्टियां अपना दलित कार्ड खेल रही है।
Punjab Assembly Election 2022: पंजाब के विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जाति फैक्टर महत्वपूर्ण बना है। पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर 20 फरवरी को चुनाव होना है। इसको लेकर सभी पार्टियों ने अपने वोटरों को लुभाने के लिए कमर कसी है। आपको बता दें कि 32 फ़ीसदी दलित मतदाता हैं, जिनके लिए अलग-अलग इलाकों में 34 सीटें आरक्षित की गई हैं, लेकिन कुल 50 सीटें ऐसी हैं जिन पर अनुसूचित जाति का मत मायने रखता है।
पंजाब चुनावों को लेकर सभी पार्टियां अपना दलित कार्ड खेल रही है। इस खेल में सबसे आगे कांग्रेस पार्टी है, जिसने दलितों को लुभाने के लिए चरणजीत चन्नी दलित मुख्यमंत्री के रूप में चेहरा दिया है। राज्य में दलित मतदाता 58 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव डालते हैं। इसी वजह से दलित मतदाताओं के हाथ में सत्ता की चाबी कही जा रही है।
25 साल बाद शिअद और बसपा के बीच गठबंधन
वहीं, 1996 के बाद इस बार चुनाव में करीब 25 साल बाद शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) और बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) के बीच गठबंधन हुआ तो पंजाब में अनुसूचित जाति की राजनीति को बल मिला।
117 विधानसभा सीटों में से 34 सीटें आरक्षित
पंजाब में 117 विधानसभा सीटों में से 34 सीटें आरक्षित की गई हैं, जिनमें 32 फीसदी दलित मतदाता हैं। पंजाब में दलित जाति में सबसे बड़ा रविदासिया समाज है। इसके अलावा भगत बिरादरी, बाल्मीकि भाईचारा, मजहबी सिक्ख का खासा प्रभाव माना जाता है। चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) भी दलित बिरादरी के रविदासिया समाज से आते हैं। इसी वजह से इस बार कांग्रेस ने दलित मुख्यमंत्री को सीएम का चेहरा बनाकर दलित वोट को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। इसके अलावा इस बार अकाली दल और बसपा गठबंधन की तरफ से डिप्टी सीएम का पद दलित विधायक को देने की घोषणा की है।
पंजाब में अनुसूचित जाति का प्रतिशत
- 2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब में अनुसूचित जाति का प्रतिशत 31.9 है।
- अनुसूचित जाति सिख - 19.4 प्रतिशत
- अनुसूचित जाति हिंदू - 12.4 प्रतिशत
- बौद्ध अनुसूचित जाति - .098 प्रतिशत
- मजहबी - 26.33 प्रतिशत
- रविदासिया और रामदसिया - 20.7 प्रतिशत
- आद-धर्मी - 10 प्रतिशत
- वाल्मीकि - 8.6 प्रतिशत
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