पाकिस्तान पर भारी पड़े 71 की लड़ाई के असल "नायक" भैरोसिंह राठौड़ की वो कहानी जो बोर्डर फिल्म में भी नहीं दिखाई
Bhairo Singh Rathore Death: देश के जवानों के जज्बे की कहानियां सुनने भर से ही दिल में धडकनें दौड़ाने लगती है. नायक (रिटायर्ड) भैरों सिंह राठौड़ ने सन 1971 की लड़ाई में जो साहस दिखाया, उसके लिए पूरा देश हमेशा ऋणी रहेगा. 71 की लड़ाई के महानायक भैरो सिंह राठौड़ नहीं रहे.
Bhairo Singh Rathore Death: बॉर्डर फिल्म का एक डायलॉग तो सभी को याद ही होगा, "धरती को ऐसे ही माँ नहीं कहते संतराम, इसके सीने में बड़ी ठंडक है, जब देखती है बच्चा सोने जा रहा है, तो उसे रेत की चादर ओढ़ा देती है." 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के समय लोंगेवाला पोस्ट पर पाकिस्तान की तरफ से होने वाली घुसपैठ और भारतीय वीर जवानों की कहानी पर बनी फिल्म बॉर्डर का ये डायलॉग भैरों सिंह नाम के किरदार में सुनील शेट्टी ने बोला था. आज उसी किरदार की अंतिम विदाई है. जोधपुर के एम्स में रियल लाइफ के भैरों सिंह राठौड़ को सांस में तकलीफ के चलते भर्ती करवाया था. 19 सितम्बर को उन्होंने अंतिम सांस ली. 81 साल की उम्र में भैरों सिंह जी अमरत्व को प्राप्त हो गए.
नायक भैरों सिंह और सुनील शेट्टी का बॉर्डर में किरदार
जब इस बॉर्डर फिल्म की कहानी लिखी जा रही थी तब अपने किरदार के लिए सुनील शेट्टी कई बार भैरों जी से मिले. लड़ाई के वक़्त की परेशानियाँ, अनुभव, जोश जज्बे के बारे में जानते रहे. हर बार उस लड़ाई की कहानी कहते हुए भैरों एक बात कहते, उस दिन देवी माँ की कृपा हुई, एक आवाज़ सुनाई दी, "तुम डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ." इस आवाज़ के बाद हिम्मत बढ़ गयी और वहां मौजूद मुट्ठी भर जवानों ने पकिस्तान की घुसपैठ को धराशायी कर दिया. सुनील शेट्टी के उस किरदार को फिल्म में शहादत नसीब हुई. परन्तु असल में ये किरदार 1987 तक देश सेवा में अपना जीवन जोड़े हुए था. सुनील शेट्टी ने ट्विट कर भैरों सिंह राठौड़ को नमन किया और श्रद्धांजलि दी.
एक जवान को गोली लगने पर पाकिस्तानी सेना पर बरसाए अंगारे
1971 की 4 दिसम्बर की सर्द रात, जैसलमेर की लोंगेवाला पोस्ट की बर्फ जैसी ठंडी रेत पर अपनी तैनाती लिए भैरोसिंह दुश्मन की मनसा पर नज़र गड़ाए थे. भारत पाकिस्तान युद्ध के चलते सीमा पर चौकसी सामान्य से ज्यादा सख्त थी. भैरोंसिंह बीएसएफ की एक छोटी सी टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे. उस समय इनके साथ 23 जवानों की एक पंजाब रेजिमेंट की टुकड़ी भी थी. स्थानीय होने की वजह से सभी को पता था कि इनसे बेहतर इस क्षेत्र को कोई नहीं जानता. इसलिए सभी इनके निर्देशों पर काम कर रहे थे. तभी सीमा पार से अचानक भारी हलचल सुनाई दी और टैंक सीमा की तरफ आते दिखाई देने लगे. तब वायरलेस पर सुचना मिलती है कि, "पकिस्तान भारी सीमा बल के साथ लोंगेवाला की तरफ बढ़ रहा है. आप लोग पोस्ट छोड़ कर पीछे हट सकते हैं. इतनी रात को अन्य मदद भेजना संभव नहीं है." इस सुचना के बाद भी नायक भैरोसिंह तुरंत जवाब देते हैं, "हम पोस्ट छोड़ कर पीछे नहीं हटेंगे, आप आराम से सुबह तक मदद भेज दीजिएगा. जब तक हम जिन्दा हैं तब तक लड़ेंगे." और वायरलेस पटक देते हैं.
उसके बाद होता है इतिहास में दर्ज होने वाला युद्ध. जिसमें भारत के 5 जवान शहीद होते हैं, पर पाकिस्तान का एक भी जवान अपना एक कदम भी भारत की धरती पर नहीं रख पाता है. पकिस्तान के कई जवान इस युद्ध में मारे गए, कई टैंकों से हाथ धोना पड़ा. इतनी तबाही होते देख पाकिस्तान की सेना के पास उलटे पाँव लौटने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है. भैरोंसिंह के एक साथी को जैसे ही गोली लगती हैं वो खुद लाइट मशीन गन उठा कर दुश्मन हमलावर हुए. उस समय पाकिस्तान की सेना पर अंगारे बरसने लगे. पाकिस्तानी सेना बौखला गयी और वापिस भागी. जब पाकिस्तान में इस बात का पता चला कि गिनती के सैनिकों ने सैंकड़ों सैनिकों को धूल चटा दी, तो शर्म से सर झुक गए. वहीँ भारतवासियों ने इस बात का जश्न मनाया. आज भी भारतीय सीमा में खड़े पाकिस्तानी टैंक इस बात की गवाही देते हैं कि उस रात पकिस्तान को कैसी मुंह की खानी पड़ी थी.
श्रद्धांजलि में झुके सर
बीएसफ के डीआईजी से जब भैरोंसिंह के बारे में पूछा गया तो संजय यादव बस इतना ही बोल पाए, "बीएसफ का हीरो, पूरे भारत वर्ष का वीर योद्धा नहीं रहा, मेरे पास इस समय बोलने के लिए कोई भी शब्द नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्विट कर कहा, "नायक (रिटायर्ड) भैरों सिंह जी को राष्ट्र के लिए उनकी सेवा हेतु हमेशा याद रखा जाएगा. उन्होंने हमारे देश के लिए इतिहास में एक महत्वपूर्ण समय पर अदम्य साहस दिखाया. उनके निधन से मैं दुखी हूं. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं."
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तस्वीर के साथ दो ट्विट किए और लिखा, "1971 के युद्ध के नायक भैरों सिंह राठौड़ जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। लोंगेवाला पोस्ट पर सेना के साथ @BSF_India की एक छोटी सी टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए उन्होंने अपने पराक्रम से दुश्मन को परास्त कर भारत माता का मस्तक ऊँचा किया। उनकी वीरता पर हर भारतीय को हमेशा गर्व रहेगा।" और दुसरे ट्विट में लिखा, "पिछले वर्ष अपने जैसलमेर के प्रवास पर भैरों सिंह राठौड़ जी से भेंट हुई थी, मातृभूमि के लिए प्रेम और देशभक्ति की जो ज्वाला उनके दिल में थी वो सचमुच अद्वितीय थी। उनकी शौर्यगाथा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। ईश्वर उनके परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति दें। ॐ शांति शांति"
बीएसएफ ने भी अपने ट्विटर हैंडल से इस वीर को श्रद्धांजलि देते हुए कई ट्विट और रीट्विट किए हैं, इस फेहरिश में सुनील शेट्टी, राजनाथ सिंह, कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के नाम शामिल हैं. जिसने सुना वो दुखी हुआ, जिसने कहानी सुनी वो गर्व से बोला, भारत के इस वीर की जय, भारत माता की जय.
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी बीएसएफ एसटीसी पहुंचीं, भैरोंसिंह राठौड़, लोंगेवाला के हीरो की पार्थिक देह पर पुष्प अर्पित कर अंतिम विदाई दी, सहायक प्रशिक्षक केन्द्र बीएसएफ में दी श्रद्धांजलि... दर्शनार्थ पार्थिव देह को वहां से उनके पैतृक गांव जोधपुर से करीब 120 किमी दूर सोलंकियातला में सैन्य सम्मान के साथ ले जाया जाएगा. जहाँ अंत्येष्टि होगी. बीएसएफ के अफसर सोलंकियातला पहुँच चुके हैं. भारत के इस वीर जवान को न्यूज़ट्रेक की पूरी टीम की तरफ से सलाम और श्रद्धांजलि.