राजस्थान भाजपा में घमासान, टीम वसुंधरा के नाम पर खड़ा हुआ नया संगठन, पूर्व सीएम की नई सियासी चाल

Rajasthan BJP Crisis: पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों की ओर से अलग संगठन बनाए जाने से भाजपा (BJP) में भी घमासान मचा हुआ है। इसका मकसद 2023 के विधानसभा चुनावों में वसुंधरा राजे को एक बार फिर राज्य का मुख्यमंत्री बनाना है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update:2021-09-03 11:04 IST

कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया

Rajasthan BJP Crisis: राजस्थान में सिर्फ कांग्रेस (Congress) में ही घमासान नहीं चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje Scindia) के समर्थकों की ओर से अलग संगठन बनाए जाने से भाजपा (BJP) में भी घमासान मचा हुआ है। टीम वसुंधरा के नाम से बनाए गए इस नए संगठन का जयपुर (Jaipur) में कार्यालय तक खोल दिया गया है। इस संगठन से जुड़े लोगों का दावा है कि इसका मकसद 2023 के विधानसभा चुनावों (Rajasthan Assembly Election 2023) में वसुंधरा राजे को एक बार फिर राज्य का मुख्यमंत्री बनाना है। 

वसुंधरा राजे के समर्थकों की ओर से नया संगठन बनाए जाने से साफ हो गया है कि भाजपा में भी सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। वसुंधरा राजे की राज्य के भाजपा नेताओं के साथ पटरी नहीं बैठती। वे प्रदेश अध्यक्ष की ओर से बुलाई जाने वाली बैठकों से भी दूरी बनाए रखती हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि मौजूदा समय में राजस्थान भाजपा में वसुंधरा राजे ही सबसे बड़ा चेहरा हैं।

उन्होंने पर्दे के पीछे से एक शातिर चाल चलकर पार्टी नेतृत्व के लिए नया संकट खड़ा कर दिया है। वसुंधरा समर्थकों की ओर से नया संगठन बनाए जाने का एक मकसद पार्टी हाईकमान पर दबाव बनाना भी है ताकि नेतृत्व के मुद्दे पर वसुंधरा की अनदेखी न की जा सके। 

वसुंधरा राजे (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

भाजपा के लिए पैदा हुई नई मुसीबत

राजस्थान की सियासत में कांग्रेस में एक साल से ज्यादा समय से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के गुटों के बीच खींचतान का दौर चल रहा है। अब भाजपा में भी वही स्थिति बनती दिख रही है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों ने टीम वसुंधरा के नाम से अलग संगठन बनाकर पार्टी के लिए नई मुसीबत पैदा कर दी है।

इस संगठन को बनाने में भी काफी चलाकी दिखाई गई है क्योंकि इसमें वसुंधरा राजे के नजदीकी किसी बड़े चेहरे को शामिल नहीं किया गया है। इसे भी वसुंधरा के करीबी नेताओं की बड़ी चाल माना जा रहा है। वसुंधरा राजे के करीबी नेताओं को इसमें शामिल करने पर भाजपा की ओर से सवाल उठाए जा सकते थे। यही कारण है कि वसुंधरा के करीबी चर्चित नेताओं को अभी संगठन से अलग रखा गया है।

वसुंधरा को फिर सीएम बनाना मकसद

जयपुर में गुरुवार को वसुंधरा राजे के समर्थकों की ओर से नए कार्यालय का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। जयपुर के सांगानेर इलाके में संगठन का नया कार्यालय खोला गया है। कार्यालय के उद्घाटन समारोह में बड़े नेताओं ने भले ही हिस्सा न लिया हो मगर इसे वसुंधरा खेमे की शातिर चाल बताया जा रहा है।

जानकार सूत्रों के मुताबिक वसुंधरा टीम का मकसद राज्य में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में उन्हें मुख्यमंत्री बनाना है। इस टीम को वसुंधरा का आशीर्वाद बताया जा रहा है और खुद वसुंधरा पर्दे के पीछे से चाल चलने में जुटी हुई हैं। हालांकि प्रदेश कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर खुद वसुंधरा राजे मौजूद नहीं थीं। उनके समर्थक बड़े नेताओं ने भी इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी।

वसुंधरा टीम (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

संगठन के पीछे वसुंधरा का हाथ

टीम वसुंधरा के नाम से नया संगठन बनाने वाले नेताओं का दावा है कि संगठन के साथ काफी संख्या में कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं। वे एक बार फिर मुख्यमंत्री के रूप में वसुंधरा राजे को ही देखना चाहते हैं। प्रदेश कार्यालय में एक बड़ा पोस्टर भी लगाया गया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा वसुंधरा राजे की मां विजयाराजे सिंधिया की तस्वीर है। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा सियासत की माहिर खिलाड़ी हैं। वही इस संगठन की रणनीति बनाने में भूमिका निभा रही हैं।

यही कारण है कि टीम वसुंधरा के नाम से बनाई गई इस टीम से कई नेताओं ने किनारा कर रखा है। हालांकि उनका समर्थन भी टीम वसुंधरा को तय माना जा रहा है। उद्घाटन समारोह से वसुंधरा राजे ने भी दूरी बनाए रखी मगर जानकारों का मानना है कि वे भीतर ही भीतर संगठन के पक्ष में भी हैं।

भाजपा ने जताई तीखी प्रतिक्रिया

टीम वसुंधरा के नाम से अलग संगठन बनाए जाने पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। इस बाबत भाजपा का कहना है कि पार्टी में किसी को भी अलग मंच या संगठन बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। भाजपा का यह भी कहना है कि वसुंधरा को भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए क्योंकि उनके नाम से बने संगठन को लेकर अब वसुंधरा पर ही सवाल उठाए जाने लगे हैं।

भाजपा नेताओं का कहना है कि वसुंधरा को खुद इस संगठन को समाप्त करने के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि इससे खुद वसुंधरा की छवि खराब होगी। सीएम पद पर उनकी दावेदारी को झटका भी लग सकता है।

भाजपा के प्रदेश स्तरीय मीडिया सेल से जुड़े पंकज जोशी का कहना है कि भाजपा में कोई व्यक्तिगत मंच या संगठन बनाने की अनुमति नहीं है। ऐसे में वसुंधरा को खुद इस मामले को देखना चाहिए क्योंकि इससे उनकी दावेदारी कमजोर पड़ने के साथ ही पार्टी में मतभेद भी उजागर हुए हैं। 

गृह मंत्री अमित शाह- पीएम नरेंद्र मोदी- बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

हाईकमान पर दबाव बनाने की कोशिश

अभी तक इस मामले में खुद वसुंधरा राजे ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि टीम वसुंधरा के पीछे उनका ही हाथ बताया जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि वसुंधरा इस संगठन के जरिए अपनी दावेदारी को पार्टी हाईकमान तक पहुंचाने की कोशिश में जुटी हुई हैं। राजस्थान विधानसभा में पिछला चुनाव हारने के बाद पार्टी नेतृत्व की ओर से वसुंधरा को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है। भाजपा के प्रदेशस्तरीय नेताओं के साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेता भी वसुंधरा से जुड़े इस मंच का विरोध कर रहे हैं मगर फिर भी टीम वसुंधरा से जुड़े सदस्य सक्रियता बनाए हुए हैं।

उनका दावा है कि राजस्थान के प्रत्येक जिले में टीम वसुंधरा का गठन किया जा चुका है। वैसे इस टीम से जुड़े नेताओं ने खुद को भाजपा से जुड़ा हुआ बताते हुए कहा कि हमारा मकसद सिर्फ सीएम चेहरे के रूप में वसुंधरा को प्रोजेक्ट करने का है । हम इससे पीछे नहीं हटेंगे। पार्टी हाईकमान की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कुछ भी बयान नहीं जारी किया गया है मगर माना जा रहा है कि हाईकमान के दबाव में वसुंधरा को अपने इस संगठन की गतिविधियों को ठप करना पड़ सकता है।

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