Rajtilak : महाराणा प्रताप के वंशजों में राजतिलक पर बवाल, जानिए क्या है पूरा मामला?
Rajtilak : राजस्थान में उदयपुर के चित्तौड़गड़ दुर्ग स्थित फतह प्रकाश महल में पूर्व राजपरिवार सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक हुआ।
Rajtilak : राजस्थान में उदयपुर के चित्तौड़गड़ दुर्ग स्थित फतह प्रकाश महल में पूर्व राजपरिवार सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक हुआ। इस दौरान 21 तोपों की सलामी के साथ ही सलूंबर रावत देवव्रत सिंह ने अपना अंगूठा काटकर अपने खून से तिलक लगाया है। इसे लेकर काफी बवाल हुआ है और विश्वराज हो गद्दी पर बिठाया गया है। इसे लेकर बवाल हो गया है। बता दें कि विश्वराज सिंह मेवाड़, महेन्द्र सिंह मेवाड़ के बेटे हैं, उनके निधन के बाद राजतिलक की रस्म हुई है। यह रस्म सांकेतिक तौर पर निभाई जाती है।
पूर्व राजपरिवार सदस्य विश्वराज मेवाड़ के राजतिलक रस्म निभाने के बाद धूणी माता के दर्शन करने के लिए जब उदयपुर के सिटी पैलेस तो वहां दरवाजे बंद थे। इसके बाद विश्वराज के समर्थकों ने बैरीकेड को हटा दिया, इस दौरान विश्वराज की तीन कारें आगे बढ़ीं, हालांकि पुलिस और समर्थकों के बीच बवाल हो गया। पुलिस ने इस दौरान हल्का बल प्रयोग भी किया। हालांकि विश्वराज सिंह को अंदर जाने दिया गया है, लेकिन समर्थकों को रोक दिया गया था। इस दौरान पुलिस और प्रशासन के तमाम अधिकारी पहुंचे थे, दोनों पक्षों को समझाने की कोशिशें भी की गई हैं।
राजतिलक की रस्म को लेकर चाचा हुए नाराज
दरअसल, विश्वराज मेवाड़ के राजतिलक की रस्म को लेकर उनके चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ नाराज हो गए। चाचा ने अपने नियंत्रण वाले सिटी पैलेस में उनके आने पर रोक लगा दी थी। इसके लिए उन्हें दो नोटिस भी जारी किए थे। नोटिस में यह भी कहा गया था कि ट्रस्ट से किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को सिटी पैलेस में प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा। इस ट्रस्ट के ट्रस्टी अरविंद सिंह मेवाड़ हैं।
इससे पहले 1531 में हुआ था राजतिलक
बता दें कि चित्तौड़गढ़ दुर्ग में इससे पहले 1531 में राजतिलक कार्यक्रम हुआ था। उस दौरान महाराणा संगा के बेटे महाराणा विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था। इसके बाद 1668 में मेवाड़ की राजधानी उदयपुर बनी। इसके बाद से उदयपुर में ही राज तिलक की रस्म निभाई जाने लगीं थीं।