3 साल के मासूम के इलाज के लिए ठेकेदार ने नहीं दिए मजदूरी के पैसे, मां की गोद में तोड़ा दम

मां अपने तीन साल के मासूम का उपचार कराने के लिए मजदूरी को पैसे मिलने की आस से भीलवाड़ा तक चली तो आई लेकिन पैसे न मिलने के कारण डॉक्टर तक नहीं पहुंच पाई और 3 साल के मासूम ने दम तोड़ दिया।;

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Published By :  Deepak Kumar
Update:2021-09-15 08:00 IST

मासूम ने मां की गोद में तोड़ा दम। (Social Media)

Rajasthan: राजस्‍थान के भीलवाड़ा से मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है। जहां मजदूरी कर पेट पालने वाली एक मां अपने तीन साल के मासूम का उपचार कराने के लिए बकाया मजदूरी मिलने की आस से भीलवाड़ा तक चली तो आई लेकिन पैसे न मिलने के कारण डॉक्टर तक नहीं पहुंच पाई और 3 साल के मासूम ने दम तोड़ दिया। ग्रामीणों ने इस संबंध में बदनौर पुलिस को सूचना दी और सूचना पर पुलिस भी संवेदनहीन बनी रही। ग्रामीणों ने अपने स्तर पर पैसे इकट्ठे कर महिला को उसके गांव जोजावर (पाली) पहुंचाया।

जानकारी के अनुसार पाली जिले के जोजावर निवासी आशा पत्नी गोम सिंह रावत 3 साल के बेटे को लेकर बदनौर आई थी। आशा का बेटा बीमार था। आशा और गोम सिंह मोगरा निवासी ठेकेदार भंवर सिंह के लिए कुआं खोदने का काम करते हैं। भंवर सिंह बदनौर के पास मोगर गांव का रहने वाला है। मामला ये है कि आशा के बेटे की तबीयत अधिक बिगड़ी तो उसने ठेकेदार भंवर सिंह को फोन कर मजदूरी के बकाया रुपये देने की मांग की। आरोप है कि ठेकेदार भंवर ने उससे बेटे को लेकर बिदनौर आने को कहा।

पीड़ित आशा रावत ने बताया कि उसने ठेकेदार को बताया था कि उसका बच्चा बीमार है और उसके पास पैसे नहीं हैं। गांव से 300 रुपये उधार मिले थे, लेकिन पैसों के आभाव के कारण उसका पति नहीं आ पाया। इसके चलते महिला अकेले ही मजदूरी के पैसे लेने दोपहर करीब 12 बजे बदनौर आ गई। महिला को उम्मीद थी कि ठेकेदार उसे मजदूरी के पैसे दे देगा, फिर अपने बच्चे का इलाज करवाकर गांव लौट जाएगी।

बच्चे का इलाज कराने के लिए ठेकेदार से मजदूरी के पैसे की मांग की तो ठेकेदार ने उसे रुकने को कहा था कि इसी बीच ठेकेदार ने अपना फोन स्विच ऑफ कर दिया। अधिक समय बीत जाने पर बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी और कुछ ही देर बाद बच्चे ने मां की गोद में ही दम तोड़ दिया। मजबूर मां के पास वापसी के लिए किराए के पैसे भी नहीं बचे थे कि वो वापस अपने घर जा सके। बच्चों को गोद में लिए मां बिलखती रही।

गांव के लोगों ने महिला का दर्द जाना तब पुलिस को भी सूचना दी, लेकिन मौके पर आना पुलिस ने जरूरी नहीं समझा। बल्कि थाना प्रभारी विनोद मीणा ने ग्रामीणों से कह दिया कि ये काम पुलिस का नहीं है, पैसे एकत्रित कर महिला को गांव पहुंचवा दो। इसके बाद बदनौर गांव के गोविंद पुरी, इदरिश, भागचंद सोनी, सुखदेव माली, इस्लाम मोहम्मद ने गांव के लोगों से चंदे के रूप में तीन हजार रुपये का इंतजाम किया और एक वाहन से महिला और उसके बच्चे का शव उसके गांव पाली जिले के जोजावर भिजवाने की व्यवस्था की। 

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