Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में सियासी घमासान के बीच सचिन पायलट पहुंचे दिल्ली,कई नेताओं से कर सकते हैं मुलाकात

Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट की राजस्थान के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं के साथ मुलाकात हो सकती है। हालांकि अभी तक इस बाबत आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। पायलट के अनशन के बाद राजस्थान में सियासी हलचल में काफी तेज हैं।

Update:2023-04-12 18:34 IST
Sachin Pilot (Pic: Social Media)

Rajasthan Political Crisis: जयपुर में एक दिन का अनशन करके सियासी भूचाल खड़ा करने वाले राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट बुधवार को राजधानी दिल्ली पहुंच गए। जानकार सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट की राजस्थान के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं के साथ मुलाकात हो सकती है। हालांकि अभी तक इस बाबत आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। पायलट के अनशन के बाद राजस्थान में सियासी हलचल में काफी तेज हैं और इस कारण पायलट की दिल्ली यात्रा को सियासी लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वैसे पायलट के अनशन और प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा नेता वसुंधरा राजे के बीच सांठगांठ के आरोपों से कांग्रेस हाईकमान नाराज बताया जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बयानों से साफ है कि पार्टी इस मुद्दे पर अशोक गहलोत के साथ खड़ी है। माना जा रहा है कि राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से पायलट को समझाने की कोशिश की जाएगी। पार्टी की ओर से राजस्थान में डैमेज कंट्रोल की कोशिशें की जा सकती हैं। अब सबकी निगाहें सचिन पायलट के अगले सियासी कदम पर लगी हुई हैं।

अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं पायलट

राजस्थान में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की चेतावनी को अनदेखा करते हुए पायलट ने मंगलवार को जयपुर में अनशन किया था। अनशन से पूर्व ही रंधावा ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा था कि इस तरह की कोई भी गतिविधि पार्टी विरोधी कदम मानी जाएगी। उन्होंने पार्टी से जुड़े मुद्दों को पार्टी फोरम पर ही उठाने पर जोर दिया था। इसके बावजूद सचिन पायलट न केवल अनशन पर बैठे बल्कि अनशन के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने विभिन्न मुद्दों को लेकर जंग आगे भी जारी रखने का ऐलान किया था।
उनका कहना था कि राजस्थान में अब विधानसभा चुनाव में सिर्फ 6-7 महीने ही बचे हैं। ऐसे में वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। पायलट अभी तक अपनी इस मांग पर अड़े हुए हैं कि हमें जनता से किए गए इस वादे को पूरा करना होगा। अनशन के बाद आगे भी जंग जारी रखने के ऐलान से साफ हो गया है कि सचिन पायलट अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रहे हैं।

पायलट के अनशन से कांग्रेस हाईकमान नाराज

दूसरी ओर सचिन पायलट की ओर से उठाए गए कदम को लेकर कांग्रेस हाईकमान नाराज बताया जा रहा है। पायलट ने जिस तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भ्रष्टाचार के मामलों की जांच न होने और चिट्ठी लिखने पर भी गहलोत की ओर से कोई कदम न उठाए जाने का जिक्र किया है, उससे पार्टी के वरिष्ठ नेता नाराज हैं। राजस्थान में विधानसभा चुनाव सिर पर है और ऐसे में सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे पर निशाना साधने के बहाने अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। पार्टी हाईकमान की ओर से पायलट को पहले भी समझाने की कोशिश की गई थी मगर उनके तीखे तेवर बरकरार हैं।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि दिल्ली यात्रा के दौरान पायलट की पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के अलावा प्रियंका और सोनिया गांधी से भी मुलाकात हो सकती है। अपने मुद्दों को लेकर वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मुलाकात कर सकते हैं। माना जा रहा है कि पायलट के सियासी भविष्य को लेकर फैसला इन मुलाकातों के बाद ही किया जाएगा।

एक्शन लेने पर सियासी नुकसान की आशंका

वैसे कांग्रेस आलाकमान को सचिन पायलट के खिलाफ एक्शन लेने पर राजस्थान में सियासी नुकसान होने का डर भी सता रहा है। माना जा रहा है कि एक्शन लेने की स्थिति में पायलट भी कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। उनके भाजपा में जाने की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा रहा है। इसके साथ ही वे कोई नया दल बनाकर भी सियासी अखाड़े में कूद सकते हैं।
पायलट के खिलाफ कोई एक्शन लेने पर वे जनता की सहानुभूति पाने में भी कामयाब हो सकते हैं। इन सब हालातों को देखते हुए माना जा रहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की ओर से पायलट को समझाने-बुझाने की कोशिश की जाएगी।

पायलट को समझाना अब आसान नहीं

वैसे पायलट को समझाना भी अब आसान नहीं रह गया है। चुनाव नजदीक आने के साथ पायलट ने अब तीखा तेवर अपना लिया है और वे अपने मुद्दों पर डटे रहने की बात खुलकर कह रहे हैं। गहलोत के खिलाफ 2020 में भी उन्होंने बागी तेवर दिखाया था मगर उस समय प्रियंका गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने इस संकट को सुलझा लिया था। अब इस बार राजस्थान में पैदा हुए सियासी घमासान को संभालना काफी मुश्किल माना जा रहा है।

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