कहीं आपका बच्चा बोलने लगा है ऐसी बातें तो हो जाइए सतर्क, जानें अंजाम

ये चीजें उनके माता-पिता की परवरिश पर निशाने पर आ जाता है। इसलिए बच्चों को सही राह दिखाई जाए। इसके कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं। तो जानते हैं इसके बारे में।

Update: 2020-09-20 16:56 GMT
इसलिए बच्चों को सही राह दिखाई जाए। इसके कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं। तो जानते हैं इसके बारे में।

लखनऊ : छोटे बच्चों वही सीखते हैं जो उसके आस-पास घटता हैं। ऐसे में यही समय होता हैं जब बच्चों में संस्कार का बीज बोया जाता हैं और उन्हें एक अच्छा इंसान बनाया जाता हैं। बच्चे कम उम्र में ही अपनी भाषा में गलत शब्दों का चयन करने लगे हैं और गाली गलौच का इस्तेमाल करने लगे हैं। ये चीजें उनके माता-पिता की परवरिश पर निशाने पर आ जाता है। इसलिए बच्चों को सही राह दिखाई जाए। इसके कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं। तो जानते हैं इसके बारे में।

असभ्‍य भाषा का इस्‍तेमाल

बच्‍चा कैसे-कैसे लोगों के संगत में हैं। कई बार बच्‍चे पैरेंट्स के सामने गाली नहीं दे रहे होते हैं मगर पीठ पीछे जरूर असभ्‍य भाषा का इस्‍तेमाल कर रहे होते हैं। बच्‍चों की ऐसी आदत लंबे समय तक छिपती नहीं है। अगर बच्‍चा गलती से भी गाली का प्रयोग करता है तो उसे वहीं तुरंत टोकें ताकि वह दोबारा ऐसे शब्‍दों का प्रयोग न करे।

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नैतिकता का पाठ

बचपन में बच्‍चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाना चाहिए। बच्‍चों को गीता, रामायण और वेदों से जुड़ी कहानियां बतानी चाहिए। उन्‍हें उन महापुरुषों की कहानी सुनानी चाहिए, जिन्‍होंने देश के लिए और समाज के लिए कुछ अलग किया हो। नैतिकता से बच्‍चों में गंभीरता आती है और वे किसी महान व्‍यक्तित्‍व की तरह जीवन जीते हैं। ऐसे बच्‍चे कभी बुरी संगत में नहीं पड़ते हैं बल्कि वे आगे चलकर अपने माता-पिता का नाम करते हैं।

सोशल मीडिया से फोटो

नजर रखने का मतलब

कुछ माता-पिता न तो अपने बच्‍चे पर नजर रख पते हैं और न ही उनके दोस्‍तों पर, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर आप अपने बच्‍चों की अच्‍छी तरह से परवरिश करना चाहते हैं तो उनपर नजर रखें। हालांकि, नजर रखने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप उनकी जासूसी करें। बच्‍चे से उसके बारे में और उसके दोस्‍तों के बारे में जरूर बात करें साथ ही उन्‍हें अच्‍छे दोस्‍त और बुरे दोस्‍तों में फर्क को समझाएं।

 

बच्‍चों को अच्‍छी सीख

अच्‍छे इंसान कौन होते हैं और बुरे इंसान कौन होते हैं, इस प्रकार की समझ बच्‍चों विकसित नहीं होती है। ये उन्‍हें सिखाना पड़ता है। और ये काम माता-पिता का होता है। पेरेंट्स को अपने बच्‍चों को अच्‍छी सीख देने के साथ अच्‍छे और बुरे इंसानों के बीच फर्क को भी बताना चाहिए, ताकि वे ऐसी संगत में न पड़ें जिससे उनका भविष्‍य और आपकी छवि खराब हो।

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पैरेंट्स को जरूर

बच्‍चा पढ़ने में कैसा है, उसके मार्क्‍स कैसे आ रहे हैं, शिक्षकों का उसके प्रति क्‍या भाव है जैसी बातों को एक पैरेंट्स को जरूर पता होना चाहिए। कुछ मिलाकर माता-पिता को उसकी पढ़ाई पर विशेष ध्‍यान देना चाहिए। ताकि उसका मन पढ़ाई में लगे और वो बुरी आदतों और संगतों से दूर रहें। अगर आपका बच्‍चा पढ़ाई में अच्‍छा होगा तो निश्चितरूप से उसके दोस्‍त भी कम होंगे और अच्‍छे होंगे।

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