Father's day 2020: पापा को बेटे ने दिया स्पेशल गिफ्ट्स, दिल छूने वाली स्टोरी

वो मुस्कुराता नहीं था, प्यार भी नहीं समझता था उसे तो बस मम्मी की याद सताती थी, पापा का मतलब समझ नहीं आता था। चेहरे पर हरदम उदासी की चादर ओढे खामोस रहा करता था, ऐसा था चिन्मय जिसे पापा नहीं मम्मी की हरदम याद सताती है।  चिन्मय दस साल का बच्चा जिसकी मम्मी को 2 साल पहले दुर्घटना में मौत हो गई

Update:2020-06-17 18:50 IST

लखनऊ: वो मुस्कुराता नहीं था, प्यार भी नहीं समझता था उसे तो बस मम्मी की याद सताती थी, पापा का मतलब समझ नहीं आता था। चेहरे पर हरदम उदासी की चादर ओढे खामोस रहा करता था, ऐसा था चिन्मय ,जिसे पापा नहीं मम्मी की हरदम याद सताती है। चिन्मय दस साल का बच्चा जिसकी मम्मी को 2 साल पहले दुर्घटना में मौत हो गई । उसके बाद से वो खामोश था। हर समय हंसता-खिलखिलाता रहने वाला चिन्मय उदास रहने लगा। मम्मी के जाने के बाद पापा ने उसका पूरा ख्याल रखा, लेकिन उसे पिता की नहीं, मां के प्यार की जरूरत थी।

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मम्मी के जाने के बाद चिन्मय के घर में दादी और पापा हैष चिन्मय की दादी भी उसे खुश रखने की पूरी कोशिश करतीं, लेकिन वह उदास रहता है। कोरोना और लॉकडाउन के बाद चिन्मय और ज्यादा उदास हो गया। पहले स्कूल जाता था तो उसका थोड़ा-सा बच्चों के साथ हंस खेल लेता था, लेकिन अब तो उसे हमेशा घर में रहना पड़ता था। हर समय उसे अपनी मम्मी की याद आती।

अब तो उसके पापा भी घर पर नहीं रहते हैं। क्योंकि वो कोरोना के मरीजों की देख-भाल में दिन-रात लगे रहते थे। वह सरकारी अस्पताल में डॉक्टर हैं। चिन्मय देख रहा था कि पापा आजकल घर नहीं आ पाते। दादी ने बताया था कि हम दोनों की सुरक्षा के लिए वे घर नहीं आते।

 

अब कई दिनों से चिन्मय को पापा की याद आने लगी थी। उन्हें खोने का डर सताने लगा था। वह टीवी न्यूज चैनल्स में देख रहा था कि किस तरह पुलिसकर्मी और डॉक्टर्स भी संक्रमित होकर मौत की बली चढ़ रहे हैं।

पापा के हाथ के बनाए हुए सैंडविच चिन्मय को याद आते। उसे याद आता कि अस्पताल से लौटकर थके हुए होने के बाद भी पापा कैसे उसके साथ कैरम, चेस, लूडो खेलते थे, उसे पार्क ले जाते थे। बिना कहे ही उसके मन की हर बात जान लेते थे। पापा उसे कितना प्यार करते हैं, यह वह पहले ही क्यों नहीं समझ पाया था? चिन्मय ने अब फैसला कर लिया था, उसे अब क्या करना है।

 

चिन्मय में आए बदलाव को देखकर दादी हैरान थीं। उदास चिन्मय मुस्कुराने लगा था। वह फिर से दादी से कहानियां सुनने की जिद भी करने लगा था। उस दिन वह बोला, 'दादी! पापा ने मुझसे प्रॉमिस किया था कि वो फादर्स-डे पर जरूर आएंगे। हम दोनों मिलकर पापा की मनपसंद कोई डिश बनाते हैं। मैं पापा के लिए सुंदर-सा कार्ड भी बनाऊंगा।'

 

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दादी देख रही थीं कि पहले वाला चुलबुला चिन्मय लौट आया है। उन्हें इस बात की बहुत खुशी और संतोष था। चिन्मय ने खुद से वादा किया था कि वह अब उदास नहीं रहेगा, हमेशा खुश रहेगा। क्योंकि उसके पास पापा हैं, ऐसे पापा जिन पर उसे ही नहीं, पूरे देश को नाज है। वो जानता था, उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा, उसके पापा के लिए फादर्स-डे का सबसे बड़ा गिफ्ट होगा।

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