Mansplaining जानिए किस बला का नाम, इसका कैसे हो सकती हैं शिकार

जब कोई व्यक्ति मैन्सप्लेन करना शुरू करता है तो यह आपको फंसा हुआ महसूस करवा सकता है। इससे बचने के दो विकल्प हैं। एक वहां से हट जाएं या फिर निराश बुरा महसूस करने के लिए तैयार रहें।

Update:2021-03-09 10:54 IST
Mansplaining जानिए किस बला का नाम, इसका कैसे हो सकती हैं शिकार

लखनऊ : अगर आप जूलॉजी की टीचर है तो बेहतर तरीके से अपने स्टूडेंट्स को रिप्रोडेक्टिव सिस्टम के बारे में बता सकते हैं, अचानक किसी और विषय के जानकार आपे कहें कि मैडम इसे इस तरह से बच्चों को बताएं तो ठीक रहेगा। तब कैसा महसूस किया है आपने, खीज होती है न? मन करता है कह दें कि हमें इस बारे में आपसे ज्यादा पता है।इस तरह के अपने कलीग के व्यवहार को कोई नाम नहीं दे पा रही हैं तो हम आपको बताते हैं इसे क्या नाम दें। इसे मैंसप्लेनिंग (Mansplaining ) कहते हैं।

 

जो पितृसत्तामक माइंड सेट से इस कदर जुड़ी हैं कि लोग यह स्वीकार ही नहीं कर पाते कि एक महिला भी अपने फील्ड में मास्टर हो सकती है, परफेक्ट हो सकती है। फिर इस तरह के व्यवहार से निपटने के लिए तैयार हो जाएं, न इससे खुद को कमतर आंकें और न ही अपने सेल्फ कॉन्फिडेंस में कमी लाएं।

मैंसप्लेनिंग का मतलबः

मैंसप्लेनिंग एक ऐसा टर्म हैं, जिसका मतलब है बहुत ही साधारण तरीके से और जबरन अनुग्रह कर, अति आत्मविश्वास के साथ स्पेशली किसी औरत को गलत या नीचा दिखाते हुए उस पर कमेंट करना या उसे समझाना। फिर चाहे आपको यह पता हो या न हो कि जिस सबजेक्ट या विषय विशेष पर आप उस औरत को सलाह दे रहे हैं, उसे कमतर साबित कर रहे हैं वह उस सबजेक्ट की एक्सपर्ट है।

 

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पुरुष की उस काल्पनिक सोच का नतीजा

 

इस तरह का बिहेवियर सदियों से चली आ रही पुरुष की उस काल्पनिक सोच का नतीजा है जहां वह सोचते हैं कि महिलाएं कम जानकारी रखती हैं। हम इसमें पुरुषों को भी दोष नहीं दे सकते क्योंकि समाज में यह सोच गहरी बैठा दी गई है, न चाहते हुए भी किसी भी काम को बेहतर करने में पुरुषों को ही तरजीह दी जाती है। अगर कोई महिला किसी काम में बेहतर कर भी ले तो उसे अजूबे की तरह लिया जाता है।

 

जब से समाज बना तब से मैंसप्लेनिंग

अगर आप समझ रहे है कि मैंसप्लेनिंग कुछ खास नहीं तो गलत है आप। पुराने समय में भी इस पर बातें होने लगी थी हो सकता है उस वक्त इस तरह के बिहेवियर के लिए कोई सटीक शब्द न मिल पाया हो। यहां यह बात भी गौर करने लायक है कि जब से समाज बना है तभी से ये आस्तिव में हैं। आए दिन होने वाली घटनाएं यह बताने के लिए काफी है कि मैंसप्लेनिंग अस्तिव में है। अब इस घटना को ही लें जिसमें फॉरमर नासा साइंटिस्ट अनिता सेनगुप्ता ट्विटर पर भारतीय पुरुषों की मैंसप्लेनिंग की शिकार हुई।

उन्होंने चंद्रयान दो मिशन पर पृथ्वी के अलावा अन्य जगहों में रोबोट लैंडिंग के ओवरऑल साइंस बारे में जानकारी दी थी। इसके तुरंत बाद ही 20 साल की इस अनुभवी साइंटिस्ट की बात को काटते हुए इंडियन पुरुष ट्विटर पर अपना ज्ञान बघारने लगें। इसके तुंरत बाद इस साइंटिस्ट ने ट्विटर पर इन पुरुषों को आड़े हाथों लेते हुए मैंसप्लेनिंग का फ्लो चार्ट शेयर किया था।

 

आपने अगर एमटीवी का कैटरीना कैफ और रणवीर कपूर का इंटरव्यू देखा होगा तो आपको समझ आ गया होगा कि किस तरह से रणवीर कैटरीना के क्वेशचन्स को मैंसप्लेन कर रहे थे। साल 2009 का वीडियो म्यूजिक अवार्ड आपको याद होगा जब टेलर स्विफ्ट को कान्ये वेस्ट से मंच पर जाकर लगभग उनके हाथ से माइक छीनते हुए उन्हें बीच में ही बोलने से रोक दिया था। इस पर बहुत कंट्रोवर्सी भी हुई थी और यह वीडियो क्लिप 23 मिलियन बार देखी गई थी।

 

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नेगेटिव इफेक्ट्सः

जब कोई व्यक्ति मैन्सप्लेन करना शुरू करता है तो यह आपको फंसा हुआ महसूस करवा सकता है। इससे बचने के दो विकल्प हैं। एक वहां से हट जाएं या फिर निराश बुरा महसूस करने के लिए तैयार रहें। मैंसप्लेनिंग झुंझलाहट और निराशा की भावनाओं को ट्रिगर कर सकता है। यह आपकी हार्ट रेट बढ़ा सकता है। इस वजह से आपकी बॉडी के हार्मोनल रिस्पांस के तरीके में भी बदलाव आ सकता है।

 

महिलाओं को पुरुषों की तुलना

खबरों के मुताबिक, बातचीत या मीटिंग के दौरान महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक बार इंटरेप्ट किया जाता है। प्रोफेशनल मीटिंग के दौरान पुरुष बातचीत पर हावी होते है। महिलाएं प्रोफेशनल मीटिंग्स में केवल 25 फीसदी बोलीं जबकि पुरुषों ने मीटिंग के औसतन 75 फीसदी हिस्से में बातचीत की।

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