Relationship Tips: रिश्तों में न रखें कोई झूठी उम्मीद, फॉलो करें ये टिप्स
Relationship Tips: हर रिश्ता एक उम्मीद और आशा पर टिका होता है। हमारी उम्मीद ही उस रिश्ते के प्रति हमारा समर्पण दिखती है। लेकिन जब चीज़ों को सामने देखने के बाद भी आप उसे न माने तो इसमें आपकी ही गलती कही जाएगी। आइये जानते हैं ऐसा कब होता है।
Relationship Tips: रिश्ते नाज़ुक धागे की तरह होते हैं इसलिए उन्हें जिसने ज़्यादा सहेज कर रखा जाये उतना ही भला। वहीँ एक स्वस्थ रिश्ता हममें एक बेहतर कल की उम्मीद पैदा करता है। एक खुशहाल रिश्ता रिश्ते में शामिल लोगों के लिए विकास के लिए एक सुरक्षित स्थान भी बनाता है। उम्मीद एक खूबसूरत चीज है, लेकिन हमे ये भी देखने की ज़रूरत है कि कहीं ये झूठी उम्मीद हो नहीं है? दरअसल जब हम किसी रिश्ते में झूठी उम्मीद रखते हैं, तो वो हमें भावनात्मक रूप से तोड़ सकता है और भरोसे की समस्या पैदा कर सकता है। "आशा एक खूबसूरत चीज है। लेकिन वहीँ झूठी आशा - यही वो चीज है आपके जीवन में दल दल की तरह आएगी। और आपको फंसाए रखेगी, आपके जीवन के कई साल बर्बाद कर देगी। इसलिए, आशा कब झूठी आशा बन जाती है ये पता ही नहीं चलता। वहीँ आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आशा जब झूठी उम्मीद में बदल जाती है तो रिश्ते कैसे होते हैं और आप उनका पता कैसे लगा सकते हैं। अगर आप भी ये गलती अपने रिश्ते में कर रहे हैं तो सावधान हो जाइये।
रिश्तों में न रखें कोई झूठी उम्मीद
हर रिश्ता एक उम्मीद और आशा पर टिका होता है। हमारी उम्मीद ही उस रिश्ते के प्रति हमारा समर्पण दिखती है। लेकिन जब आपकी ये उम्मीद और आशा किसी रिश्ते पर हावी होने लगे तो ये झूठी उम्मीद में बदलने लगती है। चीज़ों को सामने देखने के बाद भी आप उसे न माने तो इसमें आपकी ही गलती कही जाएगी। आइये जानते हैं ऐसा कब होता है।
किसी को अपने विचारों में फिट करने की उम्मीद : भले ही हमें ये पता हो कि इस रिश्ते की हमारे जीवन में क्या जगह है और वो क्या करने में सक्षम हैं, लेकिन हम एक खुशहाल रिश्ते के हमारे विचार में फिट होने के लिए उनसे उम्मीद लगा बैठते हैं कि किसी दिन उनमे ये बदलाव आएगा। इसलिए हम उम्मीद रखते हैं और रिश्ते से दूर नहीं जाते हैं।
अच्छे पल: हर रिश्ते के कुछ अच्छे पल होते हैं। लेकिन जब हम सुनहरे पलों को थामे रहते हैं और चीजों की वास्तविकता को देखने से इंकार करते हैं, तो ये हमारे भीतर झूठी आशा पैदा करता है कि समय किसी दिन चीजों को बेहतर बनाएगा।
मानक: रिश्ते में फिट होने के लिए हम अपेक्षाओं और जरूरतों के अपने मानकों को कम करना शुरू करते हैं। हम रिश्ते में बने रहने के लिए उसकी बुनियादी जरूरतों को भी नकारने लगते हैं।
रफ पैच: हम कठिन समय को रिश्ते का रफ पैच मानने लगते हैं, और हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में चीजें बेहतर होंगी।
बहाने: हम उन्हें तर्कहीन बहाने से समझाना शुरू कर देते हैं और उस जीवन के सपने देखने की कोशिश करते हैं जो हमने उनके साथ देखा है।
अगर रिश्ते उस तरह से नहीं जा रहे जैसा हमने सोचा था तो उसमे खुद को बांधकर रखना सही नहीं होता। इससे आपको घुटन और परेशानियां ही हाँथ आती हैं। इसलिए बातचीत के ज़रुये इसका हल निकलने का प्रयास करिये और किसी भी रिश्ते से कोई झूठी उम्मीद न करना ही बेहतर होता है।
नोट: इस आर्टिकल में दी गयी जानकारी विशेषज्ञों की अपनी राय पर आधारित है। न्यूज़ट्रैक इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।