Packaged Mineral Water Ban: सिक्किम में मिलेगा अब सिर्फ नल का पानी, सरकार ने बैन किया बोतलबंद मिनरल वॉटर

Sikkim Bans Packaged Mineral Water: सिक्किम में बोतलबंद मिनरल वॉटर की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। मुख्यमंत्री पीएस तमांग ने घोषणा की है कि इस हिमालयी राज्य में एक जनवरी, 2022 से बोतलबंद मिनरल वाटर पर प्रतिबंध लग जायेगा।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update:2021-10-03 11:21 IST

नल का पानी (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Sikkim Bans Packaged Mineral Water: साक्षरता, साफ-सफाई, जैविक उत्पाद, पर्यावरण की रक्षा और तमाम अन्य चीजों में सिक्किम (Sikkim) मिसाल कायम कर रहा है। देश का यही राज्य ऐसा है, जिसके नाम जैविक खेती करने का खिताब शामिल है। जहां रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। सिक्किम में 1998 से ही प्लास्टिक के इस्तेमाल पर बैन (Plastic Ban) लगा हुआ है। अब पूरे राज्य में बोतलबंद मिनरल वॉटर की बिक्री पर प्रतिबन्ध (Sikkim Bans Packaged Mineral Water) लगा दिया गया है। 2016 में राज्य सरकार ने सचिवालय में ही बोतलबंद पानी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इसके बाद लाचेन शहर में प्लास्टिक की बोतलें बैन करके बांस की बोतलों का विकल्प उतारा गया था।

सिक्किम भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसे वर्ष 2016 में पूर्ण रूप से जैविक (India's First Fully Organic State) घोषित किया गया था। राज्य सरकार ने जैविक अभियान की कामयाबी सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में बाहर से किसी भी किस्म के गैरजैविक खाद्य पदार्थों की आपूर्ति पर भी पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिये थे। इसके अलावा सिक्किम ने 1998 में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर भी पूरी तरह से पाबंदी (Plastic Bags Par Pabandi) लगा दी थी। प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग पूरी तरह बंद करने के लिए प्लास्टिक थैलियों की खरीद पर बैन लगाया गया, लाइसेंस खत्म किये गए, भारी जुर्माना लगाया गया था । जगह जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। 

बांस की बोतलें (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

बांस की बोतलें (Bans Ki Bottle)

प्लास्टिक की समस्या से निपटने के लिए सिक्किम ने एक अभिनव प्रयोग किया था, जिसमें प्लास्टिक की बोतलों से होने वाली गंदगी और प्रदूषण से बचने के लिए बांस की बोतल का विकल्प पेश किया गया। यह प्रयोग सबसे पहले सिक्किम के लाचेन शहर में किया गया। जहाँ प्लास्टिक की बोतलों पर प्रतिबन्ध लगा कर उनकी जगह बांस की बोतलों को पेश किया गया।

दरअसल, लाचेन में हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते थे। अपने पीछे भरी संख्या में प्लास्टिक की बोतलें छोड़ जाते थे। गंदगी और प्रदूषण से निपटने के लिए प्लास्टिक की बोतलों पर बैन लगा दिया गया । लोगों से कहा गया कि वे स्टील या बांस की बोतलें इस्तेमाल करें। सिक्किम में बांस बहुत ज्यादा नहीं होता है, सो बांस की बोतलें असम से मंगवाई गईं। 

मुख्यमंत्री पीएस तमांग (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

पहली जनवरी से मिनरल वाटर पर प्रतिबन्ध

सिक्किम के मुख्यमंत्री पीएस तमांग (Prem Singh Tamang) ने घोषणा की है कि इस हिमालयी राज्य में एक जनवरी, 2022 से बोतलबंद मिनरल वाटर पर प्रतिबंध लग जायेगा। क्योंकि राज्य प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है, जो ताजा एवं उत्तम पेय जल प्रदान करते हैं। तमांग ने यह भी कहा कि पाबंदी लगने के बाद लोग प्राकृतिक संसाधनों से पानी लेंगे, जो प्लास्टिक की बोतलों में उपलब्ध पानी से अधिक स्वास्थ्यकर है।

उन्होंने कहा, "सिक्किम में हर व्यक्ति को मिनरल वाटर बोतल से दूर जाना होगा।" प्राकृतिक जन संसाधनों को अपनाना होगा। सिक्किम के सरकारी कार्यालयों में बोतलबंद पानी के उपयोग की अनुमति पहले से ही नहीं है। अफसर-मंत्री पुन: उपयोग योग्य पानी की बोतलें ही कार्यालय में ले जा सकते हैं।

सिक्किम फैक्ट फाइल

- 2003 में सिक्किम पर्यावरण की रक्षा और स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के उद्देश्य से जैविक खेती प्रथाओं को आधिकारिक तौर पर अपनाने के लिए भारत में प्राथमिक राज्य बन गया।

- राज्य ने देश में हेल्दी फ़ूड को प्रोत्साहित करने के लिए खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) से 'ऑस्कर फॉर बेस्ट पॉलिसीज' की शुरुआत की है।

- 1998 में, सिक्किम डिस्पोजेबल प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया।

- महिलाओं को भी राज्य की राजनीति में 50 फीसदी स्थान देने वाला अग्राणी राज्य सिक्किम ही बना है।

- राज्य सरकार ने स्टायरोफोम और थर्मोकोल डिस्पोजेबल प्लेट, कटलरी और खाद्य कंटेनरों की बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है। इनकी जगह पत्तों, गन्ना, बगास और बांस से बने प्लेट और कटलरी के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

- सिक्किम भारत में खुले में शौच पर प्रतिबंध लगाने वाला अतिरिक्त राज्य है। ऐसा करने पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। किसी भी सरकारी लाभ के लिए पात्र होने के लिए सेनेटरी टॉयलेट बनाना अनिवार्य है।

- सरकार पर्यावरण की रक्षा करने की पहल में सभी नागरिकों को अपने बच्चे या भाई की तरह एक पेड़ को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। लोग कोई भी पेड़ अपने नाम पंजीकृत करा सकते हैं। पंजीकृत पेड़ पर किसी भी चोट को वन अपराध माना जाता है।

- सिक्किम ने अनाज उत्पादन में आत्म निर्भर बनाने का लक्ष्य रखा हुआ है। इसे पूरा करने के लिए जैविक अनाज उत्पादन को बढ़ावा दिया अजा रहा है। अनाज आत्मनिर्भरता के लिए घर की छतों और दीवारों पर भी खेती करने के विकल्प आजमाए जाते हैं।  

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