(चारू खरे )
मेरी खुशी का अंदाज़ा लगा लिया था तब सबने
दिल की चौखट पर दस्तक दी थी जब तुमने
एक आहट बनकर रूह में समाए थे तुम कुछ ऐसे
बंजर जमीं को अरसों बाद पानी से सुकून मिला हो जैसे
अपनी मोहब्बत को सबकी निगाहों से हम यूं बचाते रहे
चाहते हैं कितना तुम्हें... तुम्हीं से छिपाते रहे
हां मुश्किल तो हुआ दिन-रात जीना मेरा
पर तुम्हें जिंदगी बनाकर हम हर गम भुलाते रहे
अपनों से कम ख्वाबों से मिलती हूँ अब मैं ज्यादा
सौदागर हैं ये मेरी नींदो के.. तुम्हें ख़यालों में कैद करने का करते हैं वादा
ना गिला है तुझसे कोई ना हो संग साथ का इरादा
तू बन जा समुन्द्र मेरा......मैं खुश हूं तेरा बनकर किनारा