कभी नौकरी मांगने पर इस पिता को सहना पड़ा था अपमान, आज दो बेटियां है गवर्मेंट जॉब में

Update: 2018-08-30 12:05 GMT

इंदौर: मध्य प्रदेश के राघौगढ़ में 32 साल पहले गेल इंडिया में नौकरी मांगने गए जिस सहरिया आदिवासी को अधिकारियों ने अनपढ़ कहकर अपमानित कर भगा दिया था, उसने मेहनत-मजदूरी कर परिवार को पाला और अपने बच्चों को पढ़ाकर काबिल बनाया। उसके 6 बच्चों में से एक बेटी आज सरकारी टीचर है तो दूसरी पुलिस कांस्टेबल है।

पिता को सहना पड़ा अपमान

दरअसल राघौगढ़ के वार्ड 5 लालापुरा में रहने वाले 54 वर्षीय कल्लूराम सहरिया करीब 32 साल पहले गेल इंडिया लिमिटेड में नौकरी मांगने गए थे, जहां अधिकारियों ने उससे कहा- तुम अनपढ़ हो, तुम किसी काम के लायक नहीं हो। यह अपमान भरे शब्द सुनकर उसने उसी दिन सौगंध ली कि मैं अपने सभी बच्चों को पढ़ा-लिखाकर अच्छे मुकाम पर पहुंचाऊंगा। इसके बाद उसने अपनी पत्नी कसूलल से कहा- मैं अपने सभी बच्चों को नौकरी करते देखना चाहता हूं।

दिन में करते थे मजदूरी

दंपती की अपनी बेटियों व बेटों के लिए किए गए संघर्ष की स्थिति का अंदाजा इसी बात यह लगाया जा सकता है कि कल्लूराम और उसकी पत्नी रोजाना मजदूरी पर तो जाते ही थे, साथ ही शाम को वक्त निकालकर बीड़ी बनाने का भी काम करते थे, ताकि परिवार का खर्च चलाने के साथ ही 4 बेटियों और 2 बेटों की पढ़ाई-लिखाई पूरी हो सके।

बड़ी बेटी टीचर बनी तो बढ़ गया हौंसला

कल्लू ने पत्नी के साथ मेहनत और मजदूरी कर अपनी 4 बेटियों व दो बेटों की पढ़ाई-लिखाई कराते रहे। बड़ी बेटी रेखा सहरिया का 12वीं कक्षा तक पढ़ने के बाद 2010 में टीचर में सिलेक्शन हुआ। 2018 में मप्र पुलिस में हुई आरक्षक भर्ती में ज्योति का चयन हुआ। उसके बाकी के भाई बहन अभी पढ़ाई कर रहे है।

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