मिलिए 13 साल के State Level तैराक से, पिता ने चाय बेचकर सिखवाई स्विमिंग

Update: 2018-06-01 08:58 GMT

लखनऊ: जिसकी सुबह की नींद चाय की दुकान पर खुलती हो और रात में गरीबी की चादर ओढ़ कर पूरा परिवार सो जाता हो। ऐसी परिसिथतियों में अगर बेटा स्‍टेट लेवल प्‍लेयर बन कर उभरे तो बेटे पर गर्व होना लाजमी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं नवाबी नगरी के तैराकी में उभरते नन्‍हें 13 साल के स्‍टेट लेवल तैराक प्रांशू सोनी की।

इन्होने अपनी परिस्थितयों से लड़कर न सिर्फ स्‍टेट का नाम रोशन किया बल्कि अब उनका सपना देश के लिए गोल्‍ड लाने का है। अब इनकी स्विमिंग ही इनकी पहचान बन चुकी है। प्रांशू सोनी ने newstrack.com से खास बातचीत की।

कठिन था स्‍टोव से लेकर पूल तक सफर

प्रांशू सोनी ने newstrack.com को बताया कि उसकी सुबह पिता देवेंद्र सोनी की चाय की दुकान से होती थी। वहां स्‍टोव जलाने के बाद ही उसका कोई दूसरा काम शुरू होता था। एक दिन वह के डी सिंह स्‍टेडियम के पूल में स्विमिंग प्रैक्टिस कर रहा था। तभी उस पर वहां के कोच निशीथ दीक्षित की नजर पड़ी। इसके बाद उन्‍होंने उसकी पूरी कहानी जानी। उनहोंने बड़े विश्‍वास के साथ प्रांशू को ट्रेन करने का निर्णय लिया। इसके बाद तो जैसे प्रांशू के सपनों को पंख लग गए। आज प्रांशू स्‍टेट लेवल तैराक है।

25 साल से लखनऊ में चाय बेचते हैं पिता

प्रांशु के पिता देवेंद्र सोनी ने बताया कि उन्‍हें लखनऊ में 25 साल से ज्यादा का समय हो गया है। शुरू से ही वो अमीनाबाद में चाय की दुकान लगाकर परिवार का पेट पाल रहे हैं। प्रांशू के अलावा उनकी एक बेटी भी है1 देवेंद्र ने बताया कि मैं ज्यादा पढा लिखा नहीं था, कमाई के लिए कोई जरिया समझ नहीं आ रहा था, इसीलिए चाय की दुकान खोल ली। बस तब से इसी से काम चल रहा है।

पहले कई जगहों पर नौकरी की लेकिन परिवार के साथ महंगाई बढती रही, इसीलिए अपना काम करने की सोची। मेरी पत्नीं गुडिया सोनी का साथ हर मोड पर मिला। कई बार ऐसे दिन भी आए जब पूरा दिन काम करने के बाद भी इतना पैसा नहीं मिलता था कि रात का खाना खा सकें। लेकिन उसने बहुत साथ दिया, आज हम खुश हैं, उसने मुश्किल से जो थोडे बहुत पैसे इकट्ठा किये थे, उसी से दुकान का कुछ सामान लाया और लोगों को चाय पिलाना शुरू किया।

कोच करते हैं मदद

देवेंद्र सोनी ने बताया कि प्रांशू को ट्रेनिंग दिलवाने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। इसमें प्रांशू के कोच निशीथ दीक्षित ही उनकी मदद करते हैं। अपना काम करने के बाद अपने दोनों बच्चो को पढा पा रहा हूं यही मेरी उपलब्धि है। पहले बेटा भी दुकान पर आकर हाथ बंटाता था। लेकिन अब मेरा सपना है कि वो बस नैशनल चैम्पियन बन जाए। इसी लिए उसे अब कभी भी दुकान पर काम करने के लिए नहीं बुलाता हूं।

बेटी भी बनना चाहती है प्‍लेयर

देवेंद्र सोनी ने बताया कि प्रांशू अमीनाबाद इंटर कालेज में आठवीं कक्षा मे पढ रहा है। स्कूल के र्स्पोट्स टीचर और स्टेडियम के कोच निशीथ दीक्षित बहुत सर्पोट करते हैं। वो हर वक्त बच्चे की मदद को तैयार रहते हैं, चाहे उसकी तैयारी करवानी हो, या फीस की दिक्कत हो, हमेशा उनका साथ मिला है।

मेरी बेटी मुस्कान भी हाईस्कूल में है, वो भी खेलना चाहती है लेकिन मेरे हाथ तंग होने के कारण हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हूं। छोटी सी उम्र में मेरा बेटा 4 से 5 घंटे प्रैक्टिस करता हैं, लेकिन खुशी है उसकी यही मेहनत उसे देश में चैम्पियन बनाएगी।

कोच बोले- 2 साल में प्रांशू बना स्‍टेट लेवल तैराक

केडी सिंह बाबू स्टेडियम में स्विमिंग कोच निशीथ दीक्षित ने कहा कि प्रांशू सोनी में बहुत टैलेंट है। वो पिछले 2सालों से इसे ट्रेन कर रहे हैं। निशीथ दीक्षित ने कहा कि हमारी लिमिटेशन हैं, लेकिन जितना हो सकता है, हम हर तरह से उसे सर्पोट करते हैं।

बेहतर से बेहतर सिखाने की कोशिश करते हैं, सबसे अच्छी बात ये है कि प्रांशू बहुत तेजी से आर्ब्जव करता है। हम अभी अगले साल जूनियर चैम्पियनशिप की तैयारी के लिए उसी हिसाब से उसे तैयार कर रहे है। मुझे विश्‍वास है एक दिन प्रांशू नैशनल चैंपियन बनेगा और देश के लिए गोल्‍ड लाएगा।

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