Yashasvi Jaiswal: IPL में छाया भदोही का लाल, कभी टेंट में सोया तो कभी बेचा गोलगप्पा, देखें फर्श से अर्श तक की कहानी

Cricket Player Yashasvi Jaiswal Profile: यशस्वी जायसवाल का शानदार प्रदर्शन उन लोगों के लिए मिसाल है जो हमेशा गरीबी और कम संसाधनों का रोना रोते रहते हैं। यशस्वी काफी संघर्षों के बाद इस मुकाम पर पहुंचने में कामयाब हुए है। आइए जानते है यशस्वी जायसवाल के संघर्ष की कहानी....

Update: 2023-05-02 15:50 GMT

Cricket Player Yashasvi Jaiswal Profile: IPL 2023 में राजस्थान रॉयल्स के युवा सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल काफी चर्चाओं में बने हुए हैं। अभी तक खेले गए मैचों में वे 428 रन बनाकर ऑरेंज कैप के दावेदारों में पहले नंबर पर पहुंच गए हैं। रविवार को मुंबई इंडियंस के खिलाफ खेले गए मैच में उन्होंने 62 गेंदों पर 124 रनों की तेजतर्रार पारी खेली। इस दौरान उन्होंने 16 चौके और आठ छक्के जड़े। यह उनके आईपीएल कॅरियर का पहला शतक है। हालांकि यशस्वी की शानदार बल्लेबाजी के बावजूद राजस्थान की टीम यह मैच नहीं जीत सकी और टिम डेविड ने आखिरी ओवर में लगातार तीन छक्के जड़कर मुंबई की टीम को जीत दिला दी।

हाल के वर्षों में अपनी शानदार बल्लेबाजी से यशस्वी क्रिकेट फैंस के बीच काफी लोकप्रिय हो गए हैं मगर उनके संघर्षों के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। उत्तर प्रदेश में भदोही जिले का रहने वाला यह लाल 11 साल की उम्र में मुंबई पहुंचा था। यशस्वी को अपना सपना पूरा करने के लिए तमाम रातें टेंट में गुजारनी पड़ी, पेट भरने के लिए कभी गोलगप्पे बेचने पड़े तो कभी फल बेचने में मदद करनी पड़ी, कभी खाली पेट भी सो जाना पड़ा मगर उन्होंने कभी मुसीबतों से हार नहीं मानी। तमाम मुसीबतों से लड़ते हुए आज वे सबके चहेते क्रिकेटर बन गए हैं।

मुंबई के खिलाफ विस्फोटक बल्लेबाजी

पहली बात कल के मैच की जाए तो यशस्वी ने अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी से हर किसी का दिल जीत लिया। मुंबई का कोई भी गेंदबाज उनको बांधने में कामयाब नहीं हो सका। राजस्थान की टीम ने 20 ओवर में सात विकेट पर 212 रनों का बड़ा स्कोर बनाया था और इसमें सबसे बड़ा योगदान यशस्वी का ही था। इस बार के आईपीएल में अपनी शानदार फार्म को बरकरार रखते हुए यशस्वी ने सिर्फ 62 गेंदों में 124 रनों की शानदार पारी खेली।

इस दौरान यशस्वी ने 16 चौके और 8 छक्के लगाए। उन्होंने लगातार एक छोर संभाले रखा और मुंबई के गेंदबाजों की जमकर धुनाई की। इस विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए यशस्वी को मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार भी दिया गया। इस बार आईपीएल में 428 रन बनाकर यशस्वी अब ऑरेंज कैप के दावेदारों में पहले नंबर पर पहुंच गए हैं।

संघर्षों के बाद हासिल किया मुकाम

यशस्वी जायसवाल का शानदार प्रदर्शन उन लोगों के लिए मिसाल है जो हमेशा गरीबी और कम संसाधनों का रोना रोते रहते हैं। यशस्वी काफी संघर्षों के बाद इस मुकाम पर पहुंचने में कामयाब हुए हैं। क्रिकेट के प्रति जुनून के कारण ही वे टीम इंडिया के लिए खेलने का सपना लेकर मुम्बई पहुंचे।

आर्थिक स्थितियां सही न होने के कारण वे मुंबई के मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के गार्ड के साथ तीन साल तक टेंट में रहे मगर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने 11 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था।

आर्थिक दिक्कतों में डूबा था परिवार

दो भाइयों में छोटे यशस्वी उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं। उनके पिता भदोही में एक छोटी सी दुकान के जरिये परिवार का खर्चा चलाते हैं। यशस्वी के पिता के लिए परिवार को पालना मुश्किल हो रहा था और यही कारण था कि उन्होंने बेटे के मुम्बई जाने का विरोध नहीं किया।

मुंबई में यशस्वी के चाचा का घर इतना बड़ा नहीं था कि वो उसे साथ रख सकें। इसलिए चाचा ने मुस्लिम यूनाइटेड क्लब से अनुरोध किया कि वो यशस्वी को टेंट में रहने की इजाजत दे दें। यशस्वी को इसके लिए इजाजत मिल गई और उन्होंने मुम्बई में तीन साल इसी टेंट में गुजारे।

टेंट में गुजारने पड़े तीन साल

यशस्वी ने एक बार इंटरव्यू में खुलासा किया था कि इससे पहले मैं काल्बादेवी डेयरी में काम करता था। दिन भर क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और सो जाता था। एक दिन डेयरी वालों ने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता। यशस्वी के मुताबिक एक दिन उन्होंने मेरा सामना उठाकर बाहर फेंक दिया और कहा कि मैं कुछ नहीं करता हूं। मैं उनकी मदद नहीं करता, केवल सोने के लिए आता हूं।

सड़क पर आ जाने के बाद मेरे सामने कोई विकल्प नहीं बचा था। इसके बाद मैंने आजाद मैदान ग्राउंड पर ग्राउंड्समैन के साथ तीन साल टेंट में बिताए जहां बारिश के समय छत टपकती थी।

यशस्वी ने कभी अपनी संघर्ष भरी जिंदगी के बारे में अपने मां-पिता को नहीं बताया क्योंकि अगर उन्हें यह बात पता चल जाती तो वे उन्हें मुंबई से वापस बुला लेते। यशस्वी मुंबई से खाली हाथ नहीं लौटना चाहते थे। अपने सपने को पूरा करने के लिए वे टेंट में रहने के बावजूद मुंबई में डटे रहे।

मजबूरी में गोलगप्पा तक बेचना पड़ा

यशस्वी दिन में तो क्रिकेट खेला करते थे और रात के वक्त गोलगप्पे बेचते थे। इसके बावजूद उन्हें कई रातों में भूखे सोना पड़ता था। यशस्वी ने इंटरव्यू में यह खुलासा भी किया था कि रामलीला के समय मेरी अच्छी कमाई हो जाती थी क्योंकि उन दिनों में ज्यादा भीड़ होती थी। मैं यही दुआ करता था कि मेरी टीम के खिलाड़ी वहां न आएं। लेकिन कई खिलाड़ी वहां आ जाते थे और तब मुझे बहुत शर्म आती थी।

मैं हमेशा अपनी उम्र के लडक़ों को देखता था कि वो घर से खाना लाते थे जबकि मुझे तो खुद बनाना था और खुद ही खाना था। टेंट में मैं रोटियां बनाता था। वहां बिजली नहीं थी। इसलिए हर रात कैंडल लाइट डिनर होता था।

मुसीबतों ने जज्बे को और बनाया मजबूत

यशस्वी के मुताबिक मुझे वे दिन याद हैं जब मैं अपने दोस्तों से सीधे बोलता था कि मेरे पास पैसा नहीं है, भूख है। टीम के साथियों के मजाक उड़ाने या छेड़ने पर यशस्वी नाराज नहीं होते। वे कहते हैं कि उन्हें बुरा इसलिए नहीं लगता था क्योंकि उनके साथियों को कभी टेंट में सोना नहीं पड़ा, न ही पानी-पूरी बेचना पड़ा। उन्हें खाली पेट सोने का दर्द भी नहीं मालूम।

यशस्वी के मुताबिक परिवार की याद आने पर वे खूब रोते थे। यशस्वी का कहना था कि मेरी जिंदगी ने मुझे मानसिक तौर पर काफी मजबूत बनाया है। कभी मेरे लिए जरूरी यह था कि अगले समय का खाना मिलेगा या नहीं।

अंडर-19 विश्व कप में भी किया था कमाल

जिंदगी में इतनी मुसीबतें झेलने और संघर्ष करने के बाद यशस्वी ने पहले मुंबई की टीम में जगह बनाई। बाद में वे भारत की अंडर 19 टीम में शामिल हुए।

उन्होंने 2020 में हुए अंडर 19 विश्व कप में शानदार बल्लेबाजी से सबका दिल जीत लिया था। मुंबई अंडर-19 कोच रह चुके सतीश सामंत यशस्वी के खेल से इतना प्रभावित हुए थे कि उन्होंने कहा था कि मुझे पूरा भरोसा है कि यशस्वी एक दिन देश के सफल क्रिकेटर जरूर बनेंगे।

शानदार बल्लेबाजी से पाक को चटाई थी धूल

2020 में खेले गए अंडर-19 वर्ल्ड कप के दौरान यशस्वी जायसवाल ने कमाल की बल्लेबाजी की थी। इस टूर्नामेंट के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले पर पूरे देश के क्रिकेट प्रेमियों की नजर गड़ी हुई थी और इस मुकाबले को यशस्वी ने शानदार बैटिंग से एकतरफा बना दिया था।

पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने 113 गेंदों में अपना शतक पूरा किया। यह यशस्वी का ही कमाल था कि भारत ने पाकिस्तान को दस विकेट से रौंद दिया था। यशस्वी ने छक्के के साथ अपना शतक पूरा किया था।

अन्य टीमों के खिलाफ भी शानदार प्रदर्शन

अंडर-19 विश्व कप के दौरान यशस्वी पहले ऐसे बल्लेबाज बने थे जिसने 300 रनों का आंकड़ा छुआ था। सेमीफाइनल से पहले यशस्वी ने श्रीलंका के खिलाफ 74 गेंद पर 59 रन, जापान के खिलाफ 18 गेंद पर नाबाद 29 रन, न्यूजीलैंड के खिलाफ 77 गेंद पर नाबाद 57 रन और क्वार्टर फाइनल में 82 गेंदों पर 62 रन की पारी खेली थी।

फाइनल मुकाबले में भी यशस्वी ने भारत की ओर से 88 रनों की सबसे बड़ी पारी खेली थी।

हालांकि भारत फाइनल मुकाबला जीतने में कामयाब नहीं हो सका था। बांग्लादेश की टीम ने यह मुकाबला तीन विकेट से जीत लिया था। क्रिकेट के जानकारों का मानना है कि यशस्वी जिस अंदाज में खेल रहे हैं, उसे देखते हुए यह तय है कि आने वाले दिनों में वे भारतीय टीम के बड़े सितारे बनकर भरेंगे।

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