मेरठ की स्पोर्ट्स मार्केट पड़ी सूनी, GST के बाद खेल कारोबार मुश्किल में

उत्तर प्रदेश के खेल उद्यमी जीएसटी से परेशान हैं। इनकी शिकायत है कि जीएसटी से खेल उद्योग को जोर का झटका लगा है और नयी व्यवस्था लागू होने के बाद से खेल कारोबार में करीब 40 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है।

Update: 2017-09-01 11:25 GMT

मेरठ : उत्तर प्रदेश के खेल उद्यमी जीएसटी से परेशान हैं। इनकी शिकायत है कि जीएसटी से खेल उद्योग को जोर का झटका लगा है और नयी व्यवस्था लागू होने के बाद से खेल कारोबार में करीब 40 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है।

दरअसल, जीएसटी लगने के बाद जहां खेल का सामान महंगा हुआ है। वहीं व्यापारी तमाम सामानों पर जीएसटी की दर अलग-अलग तय होने से बिल बनाने में दुश्वारी झेल रहे हैं। यही वजह है कि एक जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद से मेरठ की स्पोट्स मार्केट सूनी पड़ी है।

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जीएसटी के तहत खेल के सामानों पर 12 से 28 फीसदी टैक्स लग गया है। यानी हर सामान पर अलग-अलग दर है। जीएसटी से पहले खेल के सामानों पर कोई टैक्स नहीं था। सिर्फ दो फीसदी एक्साइज ड्यूटी चुकानी पड़ती थी।

विदेशों तक फैला कारोबार

मेरठ के खेल कारोबार की बात करें तो यहां क्रिकेट, टेबल टेनिस और एथलेटिक्स का सामान बनाने वाली नामचीन कंपनियों समेत करीब दो हजार इकाईयां हैं। मेरठ के क्रिकेट बैट से तो देश-विदेश के बड़े-बड़े खिलाड़ी खेलते हैं। मेरठ में बनने वाला जिम का सामान भी निर्यात किया जाता है। इसके अलावा खिलाड़ियों के प्रयोग में आने वाले कपड़े, जूते, बैग आदि के साथ ही ट्रॉफी भी मेरठ में बनती है। इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, जर्मनी, न्यूजीलैंड, अफ्रीका, फ्रांस, ब्राजील, हालैंड, जिम्बाबे समेत कई देशों तक मेरठ का खेल कारोबार फैला हुआ है। यहां से करीब 1800 करोड़ रुपए सालाना का घरेलू कारोबार होता है और करीब 600 करोड़ रुपए का माल एक्सपोर्ट होता है।

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क्या बताया स्पोट्स गुड्स फेडरेशन के अध्यक्ष ने?

स्पोट्स गुड्स फेडरेशन के अध्यक्ष पुनीत मोहन शर्मा कहते हैं कि जब स्पोट्र्स गुड्स एक वर्ग में आते हैं तो इन पर अलग-अलग दर से जीएसटी क्यों है। पुनीत मोहन शर्मा आंकड़ों का हवाला देते हुए कहते हैं कि जीएसटी के चलते उत्तर प्रदेश के खेल कारोबार में 40 फीसदी तक गिरावट आ चुकी है।

स्पोट्र्स गुड्स एक्सपोर्ट प्रमोशन के सदस्य सुमनेश अग्रवाल कहते हैं कि फिटनेस आइटम पर 28 फीसदी टैक्स है। लेकिन हेल्थ सर्विसेज पर टैक्स नहीं है। यह उचित नहीं है। इसके अलावा भी खेल के कई सामान ऐसे हैं जिनमें अलग-अलग टैक्स लगे हैं।

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अनियमित तरीके से लागू हुआ जीएसटी

ऑल इंडिया स्पोट्स गुड्स मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े राकेश महाजन कहते हैं कि सरकार ने अलग-अलग चैप्टर में स्पोट्स गुड्स को रख कर ठीक नहीं किया है। स्पोर्टर्स कारोबारी सौरभ का क्रिकेट बैट, कैरम बोर्ड आदि बनाने का काम है। सौरभ कहते हैं कि जीएसटी अनियमित तरीके से लागू हुआ है उसके कारण हम सामान सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं।

सौरभ ने कहा, आलम यह है कि किट बैट पर 12 फीसदी जीएसटी है तो हेलमेट पर 18 फीसदी। जबकि पूरी किट देते हैं तो उस बैग पर 28 फीसदी है। अकेले क्रिकेट का सामान देने में ही जीएसटी की तीन दरों से बिल तैयार करना पड़ता है। यही नहीं, 500 से सस्ते जूते पर 5 फीसदी और इससे महंगे पर सीधे 18 फीसदी जीएसटी है।

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क्या कहा खेल कारोबारी ने?

एक अन्य खेल कारोबारी ने अपना दुखड़ा रोते हुए कहा कि जुलाई के बाद कंपनियों ने माल के रेट में करीब 10 फीसदी तक कमी की है, लेकिन उठान नहीं है। निर्माण इकाइयों से कारोबारी तीन महीने के उधार पर माल उठाते हैं। अब कारोबारी को एडवांस में हर महीने खरीदे गए माल पर 28 फीसदी तक टैक्स देना पड़ रहा है। जबकि पहले ऐसा नही था। पहले टैक्स नहीं होने के कारण किसी तरह की कोई माथापच्ची नहीं करनी पड़ती थी। अब तो पहले खरीदे गए स्टॉक पर जीएसटी देनी पड़ रही है। ऑल इंडिया स्पोट्स गुड्स मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े राकेश महाजन कहते हैं कि अगर सरकार को खेल कारोबार की वाकई में चिंता है तो उसे सभी खेल उत्पादों को एक चैप्टर में शामिल कर जीएसटी की दर पांच फीसदी तय कर देनी चाहिए। यही हमारी मांग है।

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